न सैनिक कम होंगे, न चीन की चलेगी…. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख के हालात की समीक्षा की


नई दिल्ली
पूर्वी लद्दाख में पीछे न हटने पर अड़े चीन के रुख को देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को उच्चस्तरीय बैठक कर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। यह बैठक भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए राजनयिक स्तर पर हुई वार्ता के दो दिन बाद हुई। सूत्रों ने बताया कि आर्मी चीफ जनरल जनरल एमएम नरवणे ने भारत की सैन्य तैयारियों, हथियारों और सैनिकों की तैनाती, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) सहित सभी संवेदनशील इलाकों में कड़ाके की सर्दी के बीच सैनिकों की तैनाती बनाए रखने को लेकर प्रजेंटेशन दिया।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, CDS जनरल बिपिन रावत, थल सेना प्रमुख जनरल नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने इस बैठक में शिरकत की। सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत किसी भी हाल में सैनिकों की संख्या कम नहीं करने जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने चीन के साथ बातचीत में मजबूती के साथ कहा कि विवाद को सुलझाने के लिए अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल होनी चाहिए।

सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि हालात से निपटने के लिए भविष्य के कदमों पर विचार-विमर्श किया गया। उधर, सेना ने बताया है कि उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर सुरक्षा स्थिति और सैन्य तैयारियों की समीक्षा के लिए 20 और 21 अगस्त को सेना के कमांडरों की बैठक हुई थी।

विवाद सुलझाने के लिए गंभीर नहीं चीन
सूत्रों ने बताया कि सेना का आकलन है कि चीनी सैनिक सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गंभीर नहीं हैं। यह माना जा रहा है कि दो दिवसीय सम्मेलन में सेना के कमांडरों ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों और उनसे प्रभावी तरीके से निपटने पर चर्चा की। भारत और चीन के बीच पिछले ढाई महीने में सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई चरण की बातचीत हो चुकी है लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के समाधान के लिए कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हो पाई है।

दोनों पक्षों के बीच गुरुवार को राजनयिक स्तर की अगले चरण की वार्ता हुई जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने त्वरित तरीके से और निर्धारित समझौते और प्रक्रिया के मुताबिक लंबित मुद्दों के समाधान के लिए सहमति जताई है। हालांकि सूत्रों ने कहा कि बैठक में कोई महत्वपूर्ण समाधान नहीं हो सका। सूत्रों ने बताया कि सैन्य वार्ता में भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा एलएसी को ‘बदलना’ स्वीकार्य नहीं है जबकि चीनी सेना की कोशिश पूर्वी लद्दाख में अपनी कार्रवाई को उचित ठहराने की रणनीति पर काम करने की है।

LAC पर लंबे समय तक डेरा डालने की तैयारी कर चुकी सेना
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर वार्ता हो रही है, लेकिन भारतीय सेना इसके साथ ही पूर्वी लद्दाख में कड़ाके की ठंड में भी सैनिकों की तैनाती कायम रखने की तैयारी कर रही है। एक सैन्य अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए कहा, ‘सेना लंबे समय तक एलएसी पर डेरा डाले रखने के लिए तैयार है।’

-25 डिग्री सेल्सियस तापमान के लिए विशेष इंतजाम
सूत्रों ने बताया कि सेना प्रमुख जनरल नरवणे पहले ही एलएसी की अग्रिम इलाकों की तैयारियों को देख रहे अपने सभी वरिष्ठ कमांडरों को सतर्क रहने और चीन के किसी भी दुस्साहस का आक्रामक तरीके से जवाब देने का संदेश दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि सेना हथियार, गोलाबारूद और अग्रिम मोर्चो पर डटे जवानों के लिए विशेष वर्दी खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है क्योंकि एलएसी के कई इलाकों में सर्दियों के दिनों में तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है।

सूत्रों ने बताया कि भारत लद्दाख में नई सड़कें बिछाने का भी काम कर रहा है। अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर बातचीत के एक दिन बाद छह जुलाई को सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई थी। हालांकि, मध्य जुलाई के बाद से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पीछे हट चुकी है लेकिन पैंगोग सो, देपसांग तथा कुछ अन्य स्थानों से सैनिकों की वापसी नहीं हुई है।



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here