केरल में विमान हादसे के बाद एक बार फिर पटना एयरपोर्ट पर विमानों के उड़ने और उतरने के खतरे पर चर्चा तेज हो गई है। केरल में जिस रनवे पर विमान के उतरने के बाद हादसा हुआ उसकी लंबाई नौ हजार फीट है जबकि पटना एयरपोर्ट पर रनवे की लंबाई मात्र 65 सौ फीट है। ऐसे में विमानों के उतरने के दौरान एक पल के लिए भी पायलटों के पलक झपकी तो बड़ा हादसा हो सकता है।
खतरे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पटना के रनवे पर विमानों के उतरने के बाद ब्रेक इतनी जोर से लगता है कि विमान में बैठे यात्रियों तक पहियों की थरथराहट का साफ असर होता है। दूसरा सबसे बड़ा खतरा परिसर का छोटा होना है। एयरपोर्ट पर उतरने और उड़ान भरने वाले विमान परिसर के छोटा होने की वजह से काफी नीचा उड़ते और उतरते हैं। यदि विमान को इतना नीचे न किया जाए तो लैंडिंग के दौरान टच डाउन से विमान के आगे निकलने का खतरा होता है। रनवे के खत्म ही महज चंद फलांग पर एयरपोर्ट की बाउंड्री है ऐसे में एक पल की चूक बड़े हादसे का सबब बन सकती है।
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पटना एयरपोर्ट के लिए तीसरा बड़ा खतरा सचिवालय का वाच टॉवर है। इसलिए विमानों के लैंडिंग और उड़ान भरने के दौरान पायलट को हर पल सतर्क रहना होता है कि अगर विमान के पहिए सही जगह पर रनवे को टच नहीं कर रहे हों और दोबारा उड़ान भरने की स्स्थिति पैदा हो तो इस टावर से न टकराए। एयरपोर्ट के लिए चौथा बड़ा खतरा रनवे के दूसरे छोर पर रेलवे की पटरियां हैं । इन पटरियों के ऊपर विजली के तार व पोल हैं जिससे रेलवे परिचालन होता है। इन पोल की ऊंचाई भी विमानों के लिए बड़ा खतरा हैं। यही वजह है कि 65 सौ मीटर लंबे रनवे का भी इस्तेमाल ठीक से नहीं हो पाता है।
आसमान में बर्ड हीट का बड़ा खतरा
पटना एयरपोर्ट पर आए दिन बर्ड हीट के मामले आते रहते हैं। एयरपोर्ट परिसर के आसपास मांस मछलियों की खुली दुकानें आसमानी खतरें को बुलावा देती हैं और अक्सर विमान परिंदों से टकरा जाते हें जिससे इनके असंतुलन का खतरा बना रहता है। इस बाबत एयरपोर्ट की ओर से अक्सर स्स्थानीय अधिकारियों से गुहार लगाई जाती है लेकिन कुछ दिन की सख्ती के बाद मामला ढाक के तीन पात वाला होता हे। पिछले साल दर्जन भर ऐसे मामले आए जब विमान से पक्षियों के टकराने की घटना उड़ान या लैंडिंग के समय हुईं।
फुलवारीशरीफ की मानक से ऊंचे मकान
एयरपोर्ट से सटे फुलवारीशरीफ इलाके में निर्धारित मानकों से ज्यादा ऊंचाई पर कई मकान बने हैं। पटना एयरपोर्ट ने कई बार इस मामले में स्स्थानीय प्रशासन को पत्र व्यवहार किया है लेकिन इन मकानों पर कार्रवाई न के बराबर हुई है। ऐसे में अगर विमानों को किसी कारण से हवा में चक्कर लगाना पड़े तो सामने भारी खतरा होता है।
निर्माण परियोजना पर चल रहा काम लेकिन हो रही लेटलतीफी
पटना एयरपोर्ट के निर्माण की दिशा में काम जारी है लेकिन रनवे विस्तार की योजना अभी भी ठंडे बस्ते में है। एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा पिछले दो वर्षों में अलग अलग प्रस्ताव भेजे गए जिसपर अभी अंतिम सहमति नहीं बन सकी है। जाड़े में विजिबिलिटी की समस्या होने पर दर्जनों विमान रद्द कर दिए जाते हैं। हाल के महीनों में विजिबिलिटी ठीक करने के लिए एयरपोर्ट प्रशासन ने कुछ विशेष लाइटें रनवे की ओर लगाईं हैं जिससे 720 मीटर की विजिबिलिटी होने पर भी विमान आसानी से उतर सकें हालांकि इन्हें 420 मीटर की न्यूनतम विजिबिलिटी तक ले आने की योजना भी है। पटना एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग का काम अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना है जिसके लिए 12सौ कोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की जान है। हालांकि इससे संरक्षा पर विशेष असर न पड़कर सुविधाओं की बढ़ोतरी पर असर पड़ेगा। अभी एयरपोर्ट के टर्मिनल बिल्डिंग के अस्स्थायी विस्तार काम काम चल रहा है जो 15 अगस्त तक पूरा होने के आसार हैं।
बिहटा एयरपोर्ट के निर्माण में अभी काफी देरी
पटना एयरपोर्ट पर बोझ कम करने और संभावित खतरे को टालने के लिए बिहटा में एक नागरिक एयरपोर्ट को विकसित करने की योजना है। हालांकि अभी एयरपोर्ट के डिजायन को लेकर ही काम चल रहा है और निर्माण की प्रक्रिया भी ठीक से शुरू नहीं हो सकी है। आरंभ में यहां भी 2022 तक निर्माण कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वर्तमान प्रगति को देखकर तय समय में यहां काम पूरा होने के आसार कम ही हैं। बिहटा एयरपोर्ट फिलहाल वायु सेवा के जिम्मे हैं जिसके रनवे की लंबाई लगभग 9000 फीट तक बढ़ाने के लिए जमीन की डिमांड की गई है। लेकिन समस्या यह है कि यहां भी जमीन की उपलब्धता न होने की वजह से बड़े विमानों के उतरने में मुश्किल होगी। ऐसे में संशोधित प्रस्ताव पर काम जारी है।