- पाकिस्तान से भारत के कई राज्यों में टिड्डों के दल ने बोला धावा
- आर्थिक रूप से कमजोर कई अफ्रिकी देशों में कर चुका है तांडव
- पाकिस्तान में जून 2019 से ही था मौजूद, अब किया भारत का रुख
- पिछले हफ्ते से अब तक भारत के चार-पांच राज्यों में प्रवेश कर चुका टिड्डों का दल
नई दिल्ली
पिछले दो सालों से टिड्डों के आतंक की अचानक सुर्खियां बनने लगी हैं। अभी भी पाकिस्तान से राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा होते हुए मध्य प्रदेश तक टिड्डों का दल तांडव कर रहा है। फसलों को बर्बाद कर रहे टिड्डे उत्तर प्रदेश में भी घुसे थे। हालांकि हवा के बहाव के साथ पूरा दल एक बार फिर मध्य प्रदेश की तरफ मुड़ गया है।
आखिर इतने भारी संख्या में टिड्डे आ कहां से रहे हैं और इनका मूल स्थान कहां है? क्या ये पाकिस्तान में ही पैदा हो रहे हैं? जवाब है नहीं। IFS प्रवीण कासवान बताते हैं कि टिड्डियों की बाढ़ के पीछे मुख्य कारण मई और अक्टूबर 2018 में खाड़ी देशों, ओमान और यमन में आए मेकुनू और लुबान चक्रवाती तूफान हैं। उन्होंने विशेषज्ञों के हवाले से बताया कि उन चक्रवाती तूफानों के कारण ऐसे मौसमी हालात पैदा हुए जिनमें टिड्डियों की संख्या में अपार वृद्धि हो गई।
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उन्होंने ट्वीट किया, ‘फूड ऐंड ऐग्रिकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) के पूर्वानुमान के मुताबिक, हॉर्न ऑफ अफ्रीका में रेगिस्तानी टिड्डों को लेकर बेहद गंभीर परिस्थितियां पैदा हो गई हैं। वहां अभी फसल बुआई का सीजन है, इसके साथ ही टिड्डों ने अंडे देना शुरू कर दिया है। इसलिए, अगर टिड्डे रेकॉर्ड संख्या में पैदा हुए तो वो भोजन के लिए पूरब का ही रुख करेंगे।’ मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में टिड्डों का आतंक और भयावह रूप अख्तियार कर सकता है।
आइए जानते हैं टिड्डों और उनसे पैदा हो रही चुनौतियों के बारे में प्रमुख बातें…
1. रेगिस्तानी टिड्डे दुनिया में सबसे विध्वंसकारी कीट होते हैं जो एक देश से दूसरे देश पलायन करते हैं। इनसे खतरा इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इनकी आबादी बड़ी तेजी से बढ़ती है। ये अक्सर झुंडों में विचरते हैं। एक स्कैवयर किमी के झुंड में 15 लाख टिड्डे हो सकते हैं।
2. रेगिस्तानी टिड्डों का मुख्य आहार हरी-हरी फसलें होती हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के मुताबिक, एक स्क्वैयर किमी में टिड्डों का झुंड उतनी फसल चट कर सकता है जिससे 35 हजार लोगों को खाना मिल जाए।
3. पिछले वर्ष असामान्य रूप से भारी वर्षा के कारण ऐसा जलवायु परिवर्तन हुआ जिससे पूरे पूर्वी अफ्रीका में टिड्डों की बाढ़ आ गई।
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4. टिड्डों ने फरवरी महीने में इथियोपिया, केन्या और सोमालिया में जमकर तांडव मचाया। एफएओ के अनुसार, इथियोपिया और सोमालिया में टिड्डों का ऐसा आतंक 25 सालों में जबकि केन्या में यह 75 सालों में पहली बार देखा गया।
5. पिछले वर्ष पाकिस्तान पर 1993 के बाद से टिड्डों का सबसे बड़ा हमला हुआ। जून 2019 में ईरान से टिड्डे पाकिस्तान पहुंचे थे। पाकिस्तान में कपास, गेहूं और मक्के की फसलें तबाह हो गई थीं। उम्मीद की जा रही थी कि टिड्डे नवंबर महीने तक वहां रहेंगे, लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण जलवायु में टिड्डों के अनुकूल बदलाव के कारण ऐसा नहीं हुआ और पाकिस्तान में टिड्डे बढ़ते रहे।
6. इस महीने ये टिड्डे हिंद महासागर को पार कर गए और दक्षिणी पाकिस्तान, ईरान समेत कुछ भारतीय राज्यों, मसलन उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात पहुंच गए।
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7. भारत में ये टिड्डे पाकिस्तान से ही आए। पिछले हफ्ते टिड्डों का झुंड राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश पहुंचा।
8. भारत ने पाकिस्तान और ईरान को इस आफत पर साझी रणनीति बनाने का प्रस्ताव दिया।
9. राजस्थान में समस्या की गंभीरता का अंदाजा लगाते हुए टिड्डों को मारने के लिए ड्रोन से छिड़काव करने का आदेश दिया गया। अब तक फायर ब्रिगेड की बसों, ट्रैक्टरों और जिप्सियों से छिड़काव होता रहा था।
10. पिछले हफ्ते विश्व बैंक ने अफ्रीकी और मध्य पूर्व के देशों को टिड्डों से लड़ाई के लिए 50 लाख डॉलर (करीब 35 अरब रुपये)
आवंटित किए।
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11. चार सबसे ज्यादा प्रभावित देसों, जिबूती, इथियोपिया, केन्या और युगांडा को 16 करोड़ डॉलर (करीब 1.12 अरब रुपये) मिलेंगे।
12. वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि होर्न ऑफ अफ्रीका रीजन में इस साल के अंत तक टिड्डों के कारण 8.5 अरब डॉलर (करीब 6 खरब) रुपये मूल्य की फसलों का नुकसान होगा।
13. केन्या में टिड्डे दो दिनों में उतनी फसल चट कर जाते हैं जितने में पूरे केन्या के लोगों का एक दिन का भोजन हो जाए।