अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके पूर्व भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की प्रतिभा के कायल सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि पिच क्यूरेटर और ग्राउंड स्टाफ भी रहा है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) के पिच क्यूरेटर शिवकुमार ने कहा कि धोनी के पास पिच पढ़ने की अद्भुत कला रही है। वास्तव में वह पिच के तकनीकी पहलुओं पर बात करते थे। मसलन पिच पर आखिरी बार पानी कब दिया गया। पिच की नमी का स्तर क्या है। पिच पर ग्रास रूट्स कितने पुराने हैं। यहां तक कि उन्हें पिच की मिट्टी के घनत्व के बारे में खासा ज्ञान रहा है।
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साल 2003 से ग्रीनपार्क की पिच का जिम्मा संभाल रहे शिवकुमार ने कहा कि धोनी ने इस मैदान पर संभवत: चार मैच खेले हैं। इसी मैदान पर उन्होंने वर्ष 2008 में अपनी कप्तानी का पहला टेस्ट मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था जिसमें भारतीय टीम विजयी रही थी। पिच क्यूरेटर ने कहा कि धोनी मैच से पहले सिर्फ दो बार पिच का मुआयना करते थे। एक बार नेट के दौरान जब पिच को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही होती थी और एक बार टॉस के लिए जाने से पहले वह पिच को बारीकी से पढ़ते थे।
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उन्होंने कहा कि इस दौरान वह ग्राउंड स्टाफ के साथ थोड़ी बहुत चुहलबाजी भी कर लिया करते थे लेकिन पिच के बारे में हल्की फुल्की टिप्पणी करने के बाद वह टॉस के लिए चले जाते थे। हालांकि टॉस के बाद मैच का रुख भारतीय टीम की ओर मुड़ जाता था। शिवकुमार ने कहा कि कई बार हमें लगा कि धोनी ने पिच के मिजाज को भांपने में गलती की है। पिच को लेकर उनकी टिप्पणी से ऐसा महसूस होता था लेकिन मैच के आगे चलने के साथ उनका आकलन बेहद सटीक नजर आता था।