Edited By Shashank Jha | इकनॉमिक टाइम्स | Updated:
- प्रवासी मजदूरों के लिए मुफ्त में अनाज काफी नहीं है- राजन
- उन्हें मुफ्त अनाज के साथ-साथ कैश की भी जरूरत है
- इस राहत पैकेज से इकॉनमी में बहुत ज्यादा सुधार संभव नहीं
- सरकार को विपक्ष के टैलेंट का भी इस्तेमाल करना चाहिए
नई दिल्ली
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कोरोना महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए घोषित 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत पैकेज को अपर्याप्त बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों को मुफ्त में अनाज और दाल दिया है, लेकिन दूध, सब्जी, तेल और घर का किराया देने के लिए उन्हें पैसे की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने बहुत ही गंभीर चुनौती है, जिसे किसी भी रिसोर्स से पूरा नहीं किया जा सकता है।
राजकोषीय घाटा भी लगातार बढ़ रहा है
एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू के दौरान राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोना से पहले सुस्ती छाई हुई थी। विकास दर लगातार गिरती जा रही थी और राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा था। ऐसे में अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है। 20 लाख करोड़ के पैकेज को लेकर उन्होंने कहा कि इसमें बहुत कुछ अच्छी घोषणाएं भी हैं, लेकिन जरूरत उससे ज्यादा की है।
अब ऐमजॉन पर ऑनलाइन फूड ऑर्डर भी
इकॉनमी में अलग-अलग तरह की जरूरत
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को कुछ जगहों पर रीपेयर करने की जरूरत है। रिपेयरिंग का काम हर सेक्टर में, जैसे कुछ बैंक, बड़ी कंपनियां, MSMEs शामिल हैं। कुछ जगहों पर रिकवरी करने की जरूरत है जहां स्टिमुलस पैकेज काम आएगा और इसके अलावा कई जगहों पर कंप्लीट रिफॉर्म की जरूरत है।
स्विगी अब करेगी शराब की होम डिलिवरी
प्रवासी मजदूरों को कैश की भी जरूरत
आत्मनिर्भर भारत पैकेज की कमी को लेकर उन्होंने कहा कि इसमें इकॉनमी में रिकवरी को लेकर बड़ी घोषणाएं नहीं हैं और इसके अलावा प्रवासी मजदूरों की जरूरतों और समस्याओं को भी सही तरीके से डील नहीं किया गया है। उन्हें मुफ्त में अनाज के साथ-साथ पैसे की भी जरूरत है। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
गरीबों को राहत बहुत कम
स्टिमुलस पैकेज में सरकार की तरफ से जनधन खाताधारकों को हर महीने 500-500 रुपये दिए जा रहे हैं। इसके अलावा गरीबों को 5 किलो अनाज और एक किलो दाल भी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मार्च में लॉकडाउन की घोषणा के बाद से प्रवासी मजदूरों की हालत दयनीय हो गई है। उन्हें मुफ्त में अनाज के साथ-साथ कैश की भी जरूरत है ताकि वे अपनी अन्य जरूरतों को पूरा कर सकें।
विपक्ष की मदद भी लेनी चाहिए थी
राजन ने यह भी कहा कि संकट के इस समय में सरकार को विपक्ष की भी मदद लेनी चाहिए। उनके इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल होना चाहिए। यह काम अकेले PMO नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि देश में ऐसे टैलेंट की कमी नहीं है जो इस संकट के समय सरकार की भरपूर मदद करते और इसका फायदा भी होता।