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Edited By Sudhakar Singh | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

लखनऊ
अखिलेश भइया, शिवपाल चाचा जिंदाबाद…समाजवादी परिवार के गढ़ सैफई में चंद महीनों पहले यह नारा लगा था। उत्तर प्रदेश का सबसे कद्दावर यादव कुनबा क्या फिर एक होगा? एक साल से यह सवाल सूबे के सियासी गलियारों में घुमड़ रहा है। इस साल होली पर सैफई में जब चाचा-भतीजे का मिलन हुआ तो लगा कि दूरियां अब नजदीकियों में बदल सकती हैं। अब शिवपाल की विधानसभा सदस्यता के खिलाफ दी गई अर्जी वापस लेने पर स्पीकर ने मुहर लगा दी है। ऐसे में एक बार फिर चर्चा गरम है कि क्या चाचा-भतीजा एक होंगे?
स्पीकर ने 23 मार्च की गुजारिश पर लगाई मुहर
उत्तर प्रदेश विधानसभा के स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित ने समाजवादी पार्टी की गुजारिश को मान लिया है। पार्टी ने शिवपाल यादव की सदस्यता के खिलाफ दी गई अर्जी वापस लेने की अपील की थी। स्पीकर ने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी ने चार सितंबर, 2019 को दल परिर्वतन के आधार पर शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर की थी। चौधरी ने 23 मार्च को प्रार्थना पत्र देकर याचिका वापस करने का आग्रह किया था।
जरूरी दस्तावेज नहीं सौंपने का था हवाला
चौधरी ने कहा था कि याचिका पेश करते वक्त कई जरूरी दस्तावेज और सबूत नहीं सौंपे गए थे, ऐसे में याचिका वापस की जाए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इसी आधार पर चौधरी की याचिका वापस करने की अपील को स्वीकार कर लिया गया। बता दें कि 2017 में शिवपाल यादव ने एसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। वह जसवंतनगर सीट से निर्वाचित हुए थे। लेकिन एक साल बाद ही 2018 में शिवपाल ने अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) बना ली थी।
इस साल होली मिलन पर शिवपाल यादव के पैर छूते हुए अखिलेश यादव
2022 में शिवपाल-अखिलेश आएंगे साथ?
तो क्या 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले शिवपाल यादव एक बार फिर अखिलेश के साथ आएंगे? इस बारे में जब एसपी के एक नेता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पार्टी सदस्यता समाप्त करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ेगी। प्रदेश की जनता उनके भाग्य का फैसला करेगी। उन्होंने शिवपाल के दोबारा पार्टी में शामिल होने की अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया। लेकिन बात इतनी सीधी भी नहीं है।
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अगर एसपी की याचिका वापस लेने की टाइमिंग को देखें तो कयासों को बल मिलता है। होली में अखिलेश और शिवपाल के मिलन के दो हफ्ते के अंदर ही एसपी ने अर्जी से कदम पीछे खींच लिए। 2016 में शुरू हुए यादव परिवार के घमासान के बाद इस साल होली में पहली बार यादव कुनबा सैफई में जुटा था। चार साल पहले ही परिवार के ये चार बड़े नेता अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, राम गोपाल यादव और शिवपाल यादव एक मंच पर आए थे। सैफई में इस बार की होली इसी वजह से खास रही कि परिवार के सब लोग साथ आए।
होली मिलन पर अखिलेश के घर शिवपाल
पिछले कुछ सालों में सैफई की होली फीकी रही थी। वजह थी अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का अलग-अलग होली मनाना। इस साल अखिलेश यादव के घर पर हुए होली मिलन समारोह में शिवपाल यादव भी पहुंचे। शिवपाल को अपने घर आया देख अखिलेश ने मौका नहीं गंवाया और सबके सामने ही उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। चाचा-भतीजे का मिलन देखकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अखिलेश भइया, शिवपाला चाचा जिंदाबाद के खूब नारे लगाए थे। इससे पहले शिवपाल यादव भी कई बार कह चुके हैं कि वह अखिलेश यादव के साथ गठबंधन करने को तैयार हैं।
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अखिलेश बोले थे- आंख बंद करके ले लेंगे पार्टी में
इससे पहले पिछले साल सितंबर में भी अखिलेश और शिवपाल के बीच गतिरोध खत्म होने के संकेत मिले थे। मैनपुरी में शिवपाल ने कहा कि मेरी तरफ से सुलह की पूरी गुंजाइश बची है। इस पर जब अखिलेश यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शिवपाल का घर में स्वागत है। अगर वह समाजवादी पार्टी में आना चाहें तो आंख बंद करके शामिल कर लूंगा।
शिवपाल जीते नहीं, लेकिन जीतने भी नहीं दिया
तकनीकी रूप से शिवपाल यादव अभी एसपी से असंबद्ध विधायक हैं। वर्ष 2017 में यूपी विधानसभा चुनावों के समय से ही मुलायम सिंह यादव के परिवार में बिखराव शुरू हो गया था। इस टकराव का नतीजा ये हुआ कि शिवपाल को एसपी से बाहर होना पड़ा और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली। लोकसभा चुनाव 2019 में शिवपाल ने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद से ताल ठोकी थी। शिवपाल ने अक्षय के वोट काटकर बीजेपी के चंद्रसेन जादौन को जिता दिया था। अक्षय को 4.67 लाख, जबकि विजयी कैंडिडेट जादौन को 4.95 लाख वोट मिले थे। वहीं शिवपाल को 91 हजार से ज्यादा वोट हासिल हुए थे।
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