मद्रास उच्च न्यायालय ने एक निवेशक समूह की याचिका पर संकटग्रस्त फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड और सेबी को नोटिस जारी किया है। निवेशक समूह के बयान के मुताबिक फंड हाउस द्वारा छह योजनाओं को बंद करने और इसके चलते निवेशकों के करीब 28,000 करोड़ रुपये सुरक्षित करने के संबंध में यह नोटिस दिया गया है।
निवेशक समूह के बयान में यह भी कहा गया कि सभी प्रभावित निवेशकों को एक साथ लाने के लिए अलग से एक ऑनलाइन याचिका शुरू की जा रही है और इसे प्रधानमंत्री कार्यालय और फंड हाउस के अमेरिकी अभिभावक और अमेरिकी बाजारों के नियामक एसईसी को भेजा जाएगा। बयान में कहा गया कि म्यूचुअल फंड और कोष प्रबंधकों को निवेश के संबंध में निर्णय लेने के तरीकों, विनियामक और विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन करने के बारे में सवालों के जवाब देने चाहिए।
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निवेशक समूह चेन्नई फाइनेंशियल मार्केट्स अकाउंटेबिलिटी (सीएफएमए) ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि एक जनहित याचिका दायर करने के बाद मद्रास उच्च न्यायालय ने 26 मई को सेबी, फ्रैंकलिन टेम्पलटन एसेट मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, म्यूचुअल फंड के न्यासियों, इसके अध्यक्ष संजय सप्रे, फिक्स्ड इनकम के सीआईओ संतोष कामथ और अन्य प्रमुख प्रबंधन कर्मियों को नोटिस जारी किए।
28,000 करोड़ रुपये डूबने का खतरा
बयान में कहा गया कि उच्च न्यायालय ने इस मामले की गंभीरता का संज्ञान लिया, जिसमें आम जनता के लगभग 28,000 करोड़ रुपये डूबने का खतरा है। इस संबंध में न्यायालय ने सेबी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है और साथ ही अब तक की गई कार्रवाई पर स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है। निवेशक समूह के अनुसार फ्रैंकलिन टेम्पलटन एमएफ ने कहा है कि अगले पांच वर्षों के दौरान इन छह योजनाओं में धन की वसूली 5-81 प्रतिशत के बीच होगी।
पांच साल तक करना पड़ेगा इंतजार
सीएफएमए के वकील नित्येश नटराज ने कहा मौजूदा कठिन समय में निवेशकों के हाथ बंधे हुए हैं, जबकि उन्हें अपनी होल्डिंग के नकदीकरण का अधिकार है और उन्हें पांच साल तक इंतजार करना पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि तब तक एफटीएएमसी भारत को छोड़ सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में एफटीएएमसी या सेबी की कोई प्रतिबद्धता नहीं है कि कम से कम निवेशकों की मूल राशि उन्हें चुकाई जाएगी।