Edited By Chandra Pandey | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
नई दिल्ली
पूरा देश कोरोना का कहर झेल रहा है लेकिन पश्चिम बंगाल और ओडिशा पर तो दोहरी मार पड़ी है। अम्फान तूफान ने खासकर पश्चिम बंगाल में ज्यादा तबाही मचाई है। कोरोना को लेकर पहले ही पश्चिम बंगाल पर भेदभाव का आरोप लगाता रहा है। अब अम्फान तूफान को लेकर केंद्र और राज्य का टकराव और बढ़ सकता है। हालांकि, पीएम मोदी बंगाल और ओडिशा में तूफान से तबाही का हवाई सर्वेक्षण करने जा रहे हैं, लिहाजा दोनों राज्यों के लिए केंद्र की तरफ से मदद का ऐलान भी हो सकता है। आइए एक नजर डालते हैं कि पश्चिम बंगाल को केंद्र से क्या मिला है और ममता की मांगें क्या हैं।
केंद्र से पश्चिम बंगाल को किस रूप में मदद
केंद्र ने कोरोना की वजह से चरमराई अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के भारी-भरकम पैकेज का ऐलान किया है जो देश की जीडीपी का करीब 10 प्रतिशत है। इसमें केंद्र की तरफ से पश्चिम बंगाल या किसी भी राज्य के लिए अलग से स्पेशल पैकेज का ऐलान नहीं हुआ है। अब तक केंद्रीय योजनाओं के तहत ही लोगों को सीधे राहत पहुंचाने की कोशिश की गई है। उज्ज्वला योजना के तहत गरीबों को कोरोना संकट के दौरान मुफ्त सिलिंडर, महिलाओं के जनधन अकाउंट में हर महीने पांच-पांच सौ रुपये की मदद जैसे कदम उठाए गए हैं।
केंद्र ने पिछले महीने कोरोना से निपटने के लिए जिन राज्यों को 17 हजार करोड़ रुपये की मदद की थी, उनमें पश्चिम बंगाल भी था। बुधवार को ही केंद्र ने सेंन्ट्रल टैक्स और ड्यूटीज में राज्यों की हिस्सेदारी के करीब 46 हजार करोड़ रुपये जारी किए जो मई महीने का इंस्टालमेंट था। इसमें से 3,461.65 करोड़ रुपये पश्चिम बंगाल को मिला है।
सीधे लोगों और उपभोक्ताओं के लिए 2.99 लाख करोड़ रुपये
राज्यों को उम्मीद थी कि महापैकेज में उनके हिस्से भी अच्छा-खासा फंड आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केंद्र के महापैकेज में 2.99 लाख करोड़ रुपये तो डायरेक्ट पब्लिक और उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। यह पूरे पैकेज का करीब 14 प्रतिशत हिस्सा है। इससे पश्चिम बंगाल समेत सभी राज्यों के लोगों को लाभ मिला है। यही वजह है कि केंद्र ने सीधे राज्यों को फंड नहीं दिया है।
केंद्र ने 1.7 लाख करोड़ रुपये के पीएम गरीब कल्याण पैकेज का ऐलान किया है। प्रवासी मजदूरों के रहने और खाने के लिए 4 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं। गरीबों के लिए 3 महीने तक मुफ्त राशन, मनरेगा की मजदूरी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये करने, हर महिला जनधन अकाउंट होल्डर को 3 महीने तक 500-500 रुपये, 8 करोड़ गरीब परिवारों को 3 महीने तक मुफ्त गैस सिलिंडर देने जैसे कदम उठाए हैं।
मांग से दोगुने पैकेज का ऐलान, पर ममता ने बताया था ‘बिग जीरो’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए केंद्र से 10 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की मांग की थी। केंद्र ने उससे दोगुना यानी 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया लेकिन ममता ने इसे ‘बिग जीरो’ करार दिया। पीएम ने जब महापैकेज का ऐलान किया तब राज्यों को उम्मीद थी कि उनके हिस्से में ठीक-ठाक फंड आएगा लेकिन जब वित्त मंत्री ने पैकेज का ब्रेकअप देना शुरू किया तो राज्यों को निराशा हाथ लगी।
महापैकेज के ऐलान से पहले ममता बनर्जी जिस 10 लाख करोड़ रुपये के नैशनल इकनॉमिक रिलीफ पैकेज की मांग कर रही थीं, वह राज्यों के लिए था। वह चाहती थीं कि कोरोना वायरस की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र की तरफ से 10 लाख करोड़ रुपये राज्यों को दिए जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
बंगाल के ममता मांग रहीं 25000 करोड़ का स्पेशल पैकेज
कोरोना वायरस से हुए नुकसान से उबरने के लिए ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से पश्चिम बंगाल के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के स्पेशल पैकेज की मांग की थी। अब ऊपर से अम्फान तूफान की तबाही। कोरोना पर ही केंद्र और पश्चिम बंगाल में कई बार टकराव हो चुका है। केंद्रीय टीम के दौरे से लेकर लॉकडाउन का पालन नहीं होने पर केंद्र के खत तक यह टकराव खूब दिखा है।
बंगाल को नजरअंदाज करने का आरोप
ममता बनर्जी केंद्र पर पश्चिम बंगाल को नजरअंदाज करने का आरोप लगाती रही हैं। उनका आरोप है कि अतिरिक्त मदद तो दूर, केंद्र उनके राज्य का वाजिब हिस्सा तक समय से नहीं दे रहा। पिछले महीने ममता ने केंद्र से पश्चिम बंगाल के हिस्से के 2,393 करोड़ रुपये के जीएसटी के भुगतान की मांग की थी। नवंबर के बाद से ही राज्य को जीएसटी में अपनी हिस्सेदारी नहीं मिली थी।
इसके अलावा उन्होंने केंद्र से 36 हजार करोड़ रुपये के पेंडिंग ड्यू को क्लियर करने को कहा था। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने भी दावा किया था कि राज्य में केंद्र द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर खर्च हुए 37,973 करोड़ रुपये को अभी मोदी सरकार ने नहीं भेजा है।