महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने रविवार को प्रदेश की जनता को संबोधित किया। उद्धव ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक प्रवासी मजदूरों को उनके गांव भेजने के लिए एक फूटी कौड़ी तक नहीं आई है जबकि राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। उद्धव ने कहा कि केंद्र सरकार ने जीएसटी के पैसे अभी तक नहीं दिए हैं।
Edited By Shivam Bhatt | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं
- उद्धव का कहना है कि वह सरकारी खजाने से प्रवासियों को उनके घर भेज रहे हैं
- केंद्र सरकार की तरफ से इस काम के लिए महाराष्ट्र को पैसा नहीं दिया गया है
- बीजेपी का नाम न लेते हुए उद्धव ने कहा कि ऐसे समय में वह ओछी राजनीति कर रही है
मुंबई
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर हो रहे हैं। उनकी जुबान तीखी होती जा रही है। रविवार को उद्धव ने बीजेपी का नाम न लेते हुए कहा कि जो लोग ऐसे महासंकट में ओछी राजनीति करने पर उतारू हैं, वे शौक से करें लेकिन मेरी सभ्यता और संस्कृति मुझे ऐसे समय में राजनीति करना नहीं सिखाती। मैं अपनी पूरी लगन से जनता की सेवा करता रहूंगा। उद्धव ने केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक प्रवासी मजदूरों को उनके गांव भेजने के लिए एक फूटी कौड़ी तक नहीं आई है जबकि महाराष्ट्र सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। सरकार ने मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेनों में सरकारी खजाने से पैसे देकर श्रमिकों को उनके गांव पहुंचाने का काम किया है और अभी भी किया जा रहा है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस ने सबसे बड़ी चोट महाराष्ट्र पर की है। राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या 47 हजार के पार जा चुकी है और 1500 से ज्यादा लोगों की इस बीमारी से जान जा चुकी है। इस बीच महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने रविवार को प्रदेश की जनता को संबोधित किया। उन्होंने ईद की शुभकामनाएं देते हुए सभी से घरों में ही रहकर त्योहार मनाने का आग्रह किया है।
महाराष्ट्र में घरेलू उड़ानें चालू करने के लिए उद्धव ने मांगा और वक्त
‘केंद्र ने जीएसटी और किराए के पैसे भी नहीं दिए’
उद्धव ने कहा कि केंद्र सरकार ने जीएसटी के पैसे अभी तक नहीं दिए हैं। श्रमिकों को उनके गांव तक पहुंचाने के लिए रेलवे के किराए के तौर पर जो पैसे देने थे, वह भी नहीं दिए हैं। ऐसे में राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही है लेकिन लोग इसमें भी राजनीति कर रहे हैं।
31 मई के बाद भी मुम्बई से लॉकडाउन हटेगा?
उद्धव ठाकरे ने कहा की फिलहाल जो परिस्थिति मुंबई शहर की है उसको देखते हुए यह बिल्कुल नहीं कह सकते हैं कि 31 मई के बाद भी लॉकडाउन हटेगा या नहीं। उन्होंने कहा कि मैं उन तमाम कोरोना वॉरियर्स को नमन करता हूं और सब से यह गुजारिश करता हूं कि कोई भी अपना काम छोड़कर न जाए। सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि स्थिति को सामान्य किया जाए, लेकिन हमें इस बात को समझना होगा कि अब कोरोना कुछ समय के लिए हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। हमें अब इसे एक नियम के रूप में कुछ वक्त तक निभाना होगा और सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क जैसे हथियारों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना होगा।
मुंबई से घरेलू उड़ानों को मिली अनुमति
इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई से घरेलू उड़ानों के लिए हर रोज 25 टेक ऑफ और 25 लैंडिंग की अनुमति देने पर सहमति दे दी है। यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ाई जाएगी। मंत्री नवाब मलिक ने बताया कि राज्य सरकार जल्द ही इस संबंध में विवरण और दिशानिर्देश जारी करेगी। इससे पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि अभी मुंबई में हवाई सेवाओं को संचालित करना मुश्किल है क्योंकि यहां कोरोना मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में हवाई सेवाओं को शुरू करके संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। हवाई सेवाओं को शुरू करने के लिए कुछ और वक्त की जरूरत है उसके बाद उसके बाद ही धीरे-धीरे हम यह सब शुरू कर पाएंगे।
कोरोना को रोकने में बीएमसी पास या फेल?
देश की सबसे अमीर महानगर पालिका बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) जिसका बजट देश के कई छोटे-छोटे राज्यों जैसे गोवा, सिक्किम और त्रिपुरा के बजट से भी बड़ा है। बीएमसी ने साल 2020-21 के लिए अपना बजट 33441 करोड़ का रखा है जबकि 70 हजार करोड़ रुपये एफडी के रूप में जमा हैं। लेकिन तमाम संसाधनों के होते हुए भी बीएमसी कोरोना के बढ़ते प्रकोप को रोकने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई जबकि बीएमसी में भी शिवसेना की सत्ता है और राज्य में भी शिवसेना ही सरकार चला रही है खुद उद्धव ठाकरे राज्य के मुखिया हैं।
सरकार के लिए चिंता का सबब बने स्लम एरिया
ऐसे में सवाल तो लाजमी है जिन स्लम एरिया मसलन धारावी, मालवणी, बांद्रा, चांदीवली, साकीनाका कांदिवली मुलुंड को अब टारगेट करना शुरू किया है, अगर इन पर पहले ही ध्यान दिया जाता और पहले से ही ठोस रणनीति कोरोना से निपटने के लिए बनाई गई होती तो यह आंकड़े इतने नहीं बढ़ते। अभी भी सरकार का टेस्टिंग रेट उतना नहीं है जितना होना चाहिए। अभी भी यह स्लम इलाके सरकार के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं यहां पर ना तो कोई सोशल डिस्टेंसिंग है और ना ही लोग यहां पर बहुत ज्यादा लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए नजर आ रहे हैं। हमें यह भी समझना होगा इन झुग्गियों में रहने वालों की भी अपनी समस्याएं हैं यहां हर कोई रोजी-रोटी की तलाश में पहुंचा हुआ है और एक कमरे में 1010 लोग रहते हैं ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर पाना इनके लिए व्यवहारिक रूप से बेहद कठिन।
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