मानसून में सुधार- 45 फीसदी ज्यादा बारिश से दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती को फायदा


जून में अच्छी शुरुआत के बाद कमजोर पड़ा दक्षिण-पश्चिम मानसून अब एक बार फिर मजबूत होकर उभरा है. इससे उत्तर , मध्य भारत और महाराष्ट्र में दलहन, तिलहन और मोटे अनाज के किसानों की उम्मीद लौट आई है. जून में अच्छी बारिश होने की वजह किसानों ने तेजी से बुवाई की थी. पिछले साल की तुलना में इस बार किसानों का रकबा काफी ज्यादा था. लेकिन तिलहन, दलहन, कपास और मोटे अनाज की खेती करने वालों में बारिश में कमी से चिंता पैदा हो गई थी.लेकिन अब मानसून की बारिश में कम से 45 फीसदी का इजाफा हुआ है.

उत्तर भारत को छोड़ कर हर जगह मानसून ने जोर पकड़ा 

पिछले कुछ समय से दक्षिण, मध्य, पश्चिमी और पूर्वी भारत में मानसून की बारिश ने जोर पकड़ा है. अगले कुछ दिनों में इन इलाकों में मानसून का यह ट्रेंड जारी रह सकता है. लेकिन उत्तर भारत में बारिश कम रही है. कहीं ज्यादा बारिश हुई लेकिन कहीं बहुत कम. इससे उत्तर भारत में खरीफ का रकबा कम रह सकता है. हालांकि कुछ दिनों में यहां मानसून के जोर पकड़ने की उम्मीद है.

ऑल इंडिया दाल मिलर्स एसोसिएशन के मुताबिक राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जुलाई के महीने में पर्याप्त बारिश नहीं हुई थी. इससे दलहन और तिलहन की खेती प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई थी. लेकिन अब अच्छी बारिश फसलों के लिए काफी अहम है. जुलाई महीने में यहां सामान्य से नौ फीसदी कम बारिश हुई थी. उत्तर, मध्य औैर पश्चिम भारत में कई इलाकों में 20 से 27 फीसदी बारिश कम हुई थी.

दलहन उत्पादक राज्यों में कम हुई थी बारिश 

भारतीय मौसम विभाग के डेटा के मुताबिक दाल उत्पादक राज्यों में से एक राजस्थान के 33 जिलों में से 26 में कम बारिश हुई थी. उत्तर प्रदेश के 75 में 32, गुजरात के 33 में से 19 और मध्य प्रदेश के 51 जिलों में से 17 में कम बारिश हुई थी. इसका दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की खेती पर नकारात्मक असर पड़ सकता था. लेकिन अब मानसून के सुधरने से दलहन की खेती में इजाफा हो सकता है.



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here