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मुंबई: गलत पता और फोन नंबर देकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों ने बढ़ाई बीएमसी की मुसीबत

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मुंबई: गलत पता और फोन नंबर देकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों ने बढ़ाई बीएमसी की मुसीबत

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Edited By Abhishek Shukla | मुंबई मिरर | Updated:

प्रतीकात्मक तस्वीरप्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स

  • मुंबई में कोरना मरीजों का आंकड़ा 21 हजार के पार कर गया है
  • टेस्टिंग के दौरान व्यक्ति का फोन नंबर और पता लिया जाता है
  • सही डिटेल नहीं देने से मरीज को ट्रेस करने में परेशानी होती है
  • 100 से भी ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज अभी ट्रेस नहीं हो पाए हैं
  • बीएमसी ऐसे लोगों को ट्रेस करने के लिए UIDAI से भी मदद ले रही है

मुंबई

महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अकेले राजधानी मुंबई में कोरना मरीजों का आंकड़ा 21 हजार के पार कर गया है। इस बीच बीएमसी के सामने एक नई मुसीबत सामने आ गई है। दरअसल टेस्टिंग के दौरान व्यक्ति का फोन नंबर और पता लिया जाता है, इनमें कुछ लोग अपनी सही डिटेल नहीं देते हैं या फिर टेस्टिंग लैब के कर्मियों से भी डिटेल भरते समय गलती हो जाती है। ऐसे में पॉजिटिव आए मरीज को ट्रेस करने में बहुत परेशानी होती है।

एडिश्नल कमिश्नर सुरेश काकानी ने मुंबई मिरर को बताया कि 100 से भी ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं जो लापता हैं। यह कई कारणों से होता है, लेकिन मुख्य तौर पर दर्ज किए गए मरीजों की गलत डिटेल देना है। वैसे हमारे पास ऐसे व्यक्तियों पर नज़र रखने के अन्य तरीके हैं। हम ऐसे लोगों को ट्रैक करने के लिए प्रॉपर्टी कार्ड रिकॉर्ड खोजते हैं या मतदाता सूची को भी देखते हैं। सोमवार को, मैं बांद्रा पूर्व क्षेत्र की समीक्षा कर रहा था और पाया कि कंपनियों ने अपने कर्मचारियों का टेस्ट किया और बांद्रा पूर्व के रूप में अपना पता दिया जिससे व्यक्तियों को ट्रैक करना मुश्किल हो गया। बीएमसी अधिकारियों ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (आधार) से ऐसे लापता लोगों का विवरण भी मांगा है, लेकिन उन्हें अभी तक एक्सेस नहीं मिल पाया है।

गलत नंबर और पता देकर पैदा कर रहे खतरा

चेंबूर, कुर्ला, मानखुर्द क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त बी आर मराठे ने कहा, कोरना वायरस के बारे में कुछ लोगों के मन में एक डर है और यह उन्हें गलत पते और फोन नंबर देने के लिए प्रेरित करता है। जो लोग प्राइवेट लैब में जांच करवाते हैं, उन्हें दोपहर 3 बजे तक रिजल्ट के बारे में बता दिया जाता है। यह लिस्ट रात तक नागरिक प्रधान कार्यालय को भेज दी जाती है और अगली सुबह तक वार्ड लेवल पर आ जाती है। कई बार, यह उन लोगों को समय देता है जो अस्पताल में भर्ती होने के डर से भाग जाना चाहते हैं। जब ऐसे कोरना पॉजिटिव मरीज लापता हो जाते हैं और शहर में घूमते हैं, तो वे समाज के लिए अधिक खतरा पैदा करते हैं। कुछ मामलों में, बीएमसी ने लापता व्यक्तियों को ट्रैक करने के लिए लैब के सीसीटीवी फुटेज का उपयोग किया है।

ट्रेस करने के लिए की जा रही कोशिशें

एन वार्ड में, विक्रोली से कोरोना मरीजों के लापता होने के 12 मामले हैं और अधिकारी उन्हें ट्रेस करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। सहायक आयुक्त प्रशांत सपकाले कहते हैं, अंधेरी पूर्व में, कोरोना मरीजों के लापता होने के 27 मामले हैं। इनमें से ज्यादातर मामले झुग्गियों में हैं। किरण दीघवकर, सहायक नगर आयुक्त, जी-नॉर्थ वार्ड ने कहा कि धारावी में 29 व्यक्तियों ट्रेस नहीं किया जा सका है। लेकिन हम उनमें से कुछ का पता लगाने में कामयाब रहे हैं। इनमें प्राइवेट लैब में गलत पता और फोन नंबर देकर टेस्ट कराने वाले लोग शामिल हो सकते हैं।

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