मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पैशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना: राहत इंदौरी


कोरोना वायरस ने देश को वह दर्द भी दे दिया जिससे कभी ‘राहत’ नहीं मिल पाएगी। दुनियाभर में तबाही मचाने वाले इस वायरस ने राहत इंदौरी साहब को भी छीन लिया है। देश के मशहूर शायर राहत इंदौरी की सांसें थम गई हैं, लेकिन अपने गीत, गजलों, शायरी, नज्मों से वह हमेशा हर जुबान पर रहेंगे।

इसी साल उन्होंने 26 जनवरी को दो लाइनों में अपनी पूरी शख्सियत बताते हुए लिखा था कि जब मैं मर जाऊं तो मेरे माथे पर हिन्दुस्तान लिख देना। उन्होंने लिखा था, ”मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पैशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना।”





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