Edited By Sudhakar Singh | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated:
- चीन की चाल पर पीएम मोदी का सख्त स्टैंड कारगर दिख रहा है
- एलएसी पर तनाव के बीच अब समझौते की भाषा बोल रहा चीन
- चीन के राजदूत ने कहा दोनों देश एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं
- विदेश मंत्रालय ने भी कहा था कि बातचीत से सुलझ सकता है मुद्दा
सचिन पाराशर, नई दिल्ली
लद्दाख में चीन की चाल पर अंकुश लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सख्त स्टैंड कारगर नजर आ रहा है। भारत की तरफ से सख्त संदेश मिलने के बाद अब चीन के सुर बदलते दिख रहे हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव और चीनी मीडिया में आक्रामक बयानबाजी के बाद चीन ने अब समझौते की भाषा बोलना शुरू किया है। भारत में चीन के राजदूत सुन वेडांग ने कहा है कि भारत और चीन एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं। द्विपक्षीय सहयोग में दोनों देशों के मतभेद की परछाई पड़ने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
‘दोनों पड़ोसी देश एक-दूसरे के लिए अवसर’
चीन के राजदूत सुन वेडांग ने दोनों पड़ोसी देशों को एक-दूसरे के लिए अवसर की तरह बताया। उन्होंने कहा कि रणनीतिक आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए भारत और चीन को एक-दूसरे के विकास को सही नजरिए से देखना चाहिए। चीनी राजदूत का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा के हालात पूरी तरह स्थिर और नियंत्रण में हैं। इस बयान में कहा गया कि भारत-चीन बातचीत के जरिए मुद्दा सुलझाने में सक्षम हैं।
“हमें एक-दूसरे के मतभेद को सही नजरिए से देखने की जरूरत है। दोनों देशों को कभी द्विपक्षीय सहयोग में इसे आड़े नहीं आने देना चाहिए। हमें बातचीत के जरिए धीरे-धीरे आपसी समझ विकसित करते हुए मतभेदों का हल निकालना चाहिए।”-भारत में चीन के राजदूत सुन वेडांग
इन सबके बीच अभी पूर्वी लद्दाख के तनातनी वाले इलाके में स्थिति पहले की तरह है। यहां भारत के इलाकों में चीन की सेना ने घुसपैठ की थी। दोनों देशों के कमांडर संपर्क में हैं। मंगलवार को भारत ने साफ तौर पर कहा था कि वह फॉरवर्ड पोजीशन से तब तक पीछे नहीं हटेगा जब तक चीन के सैनिक एलएसी पर गश्त वाली पूर्ववत स्थिति में नहीं आते हैं।
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‘द्विपक्षीय सहयोग में आड़े न आए मतभेद’
चीनी राजदूत सुन वेडांग ने कहा, ‘हमें एक-दूसरे के मतभेद को सही नजरिए से देखने की जरूरत है और दोनों देशों को कभी द्विपक्षीय सहयोग में इसे आड़े नहीं आने देना चाहिए। साथ ही हमें बातचीत के जरिए धीरे-धीरे आपसी समझ विकसित करते हुए मतभेदों का हल निकालना चाहिए।’ वेडांग ने कहा कि भारत और चीन सौहार्द्रपूर्ण सहअस्तित्व के साथ अच्छे पड़ोसी और सहयोगी की तरह रहना चाहिए।
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“भारत और चीन को इस मूल समझ पर बने रहना चाहिए कि वे एक-दूसरे के लिए मौके की तरह हैं। वे एक-दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं हैं। ड्रैगन और हाथी के साथ-साथ डांस करने की हकीकत को समझना चीन और भारत दोनों के लिए सही विकल्प है।”-भारत में चीन के राजदूत सुन वेडांग
‘ड्रैगन-हाथी साथ-साथ डांस करें’
सुन ने इस दौरान कहा भारत और चीन को इस मूल समझ पर बने रहना चाहिए कि वे एक-दूसरे के लिए मौके की तरह हैं। वे एक-दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं हैं। कुछ पत्रकारों और युवाओं के डेलिगेशन के साथ वेबिनार में राजदूत सुन वेडांग ने कहा, ‘ड्रैगन और हाथी के साथ-साथ डांस करने की हकीकत को समझना चीन और भारत दोनों के लिए सही विकल्प है। इसी से दोनों देशों और उनके नागरिकों के मूल हित सुरक्षित रहेंगे। दो बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में चीन और भारत को आपसी सहयोग मजबूत करना चाहिए। जिससे दोनों समान हित के केक का विस्तार कर सकें।’ चीनी राजदूत से पूछा गया था कि भारत-चीन संबंधों को सुधारने के लिए क्या किया जाना चाहिए।
नक्शे पर नेपाल का रुख बदला-बदला
उधर नक्शे के विवाद पर नेपाल के रुख में भी बदलाव दिख रहा है। नेपाली संसद में बुधवार को देश के नक्शे में बदलाव के लिए संवैधानिक संशोधन किया जाना था। हालांकि, इस पर कोई चर्चा तो दूर की बात, इसे सदन के अजेंडे से ही बाहर कर दिया गया। हाल ही में नेपाल ने एक नया नक्शा जारी कर भारत के क्षेत्र को अपने क्षेत्र के तौर पर दर्शाया था। जब तक संवैधानिक तौर पर इस नए नक्शे को मान्यता नहीं मिल जाती, इसे वैध नहीं माना जा सकता है।
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इससे पहले खबर थी कि दोपहर को 2 बजे कानून मंत्री शिवमाया तुमबहाम्फे इस प्रस्ताव को पेश करेंगे। इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि क्यों इसे पेश नहीं किया गया। हालांकि, काठमांडू पोस्ट के मुताबिक कृष्ण प्रसाद सितौला ने बताया है कि केंद्रीय कार्य समिति संशोधन पर फैसला करेगी। फिलहाल के लिए इसे रोक दिया गया है। संशोधन को पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर इसे सर्वसम्मति से पारित करने की अपील की थी।
नेपाल ने जारी किया था नक्शा
नेपाल की सरकार ने संसद में 22 मई को संशोधन के लिए प्रस्ताव दिया था। कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्रों के तौर पर दिखाते हुए 18 मई को एक नक्शा जारी किया गया था। दरअसल, कुछ दिन पहले भारत ने लिपुलेख के रास्ते मानसरोवर के लिए एक लिंक रोड का निर्माण किया था जिसके बाद से नेपाल नाराज चल रहा है और लगातार भारत के साथ सीमा के मुद्दे को उठा रहा है।