यूएन में भारत ने सेंट्रल एशिया में तालिबान के विस्तार को लेकर चिंता जताई है। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद का ध्यान खींचते हुए कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, ड्रग्स तस्करी का खतरा बढ़ गया है। भारत के राजनयिक ‘कोऑपरेशन बिटविन यूनाइटेड नेशन्स ऐंड द कलेक्टिव सिक्यॉरिटी ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (CSTO)’ की बैठक में हिस्सा ले रहे थे।
इस ग्रुप में आरमीनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किरगिस्तान औऱ तजासिक्सान शामिल हैं। तिरुमूर्ति ने अफगानिस्तान पर जोर देते हुए कहा कि सेंट्रल एशिया के देशों को इस ओर ध्यान देना चाहिए और नई चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा, रीजनल और सब रीजनल ऑर्गनाइजेशन को अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभानी है। विवादों को हल करने में इनकी अहम भूमिका है। हम यूएन और रीजनल ऑर्गानाइजेशन के सामंजस्य का समर्थन करते हैं।
बता दें कि बीते कुछ महीनों में अफगानिस्तान की स्थिति में तेजी से परिवर्तन हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अफगानिस्तान पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं और साथ ही विदेशी सहयोग और अफगानी संपत्तियों पर भी रोक लग गई है। वहीं तालिबान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता की मांग कर रहा है जिससे कि वह इस बुरी आर्थिक हालत से बाहर आ सके।
अगस्त में सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा था कि अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि उसकी धरती पर आतंकवाद को बढ़ावा नहीं मिलेगा औऱ किसी अन्य देश को परेशान करने की कोशिश नहीं करेगा। यह प्रस्ताव 15 में से 13 वोटों के साथ पास हो गया था। रूस और चीन ने इसका समर्थन नहीं किया था।