रिजर्व बैंक ने पहली बार कहा- 2020-21 में नेगेटिव रह सकती है देश की GDP, पढ़ें प्रेस कॉन्फ्रेंस की बड़ी बातें


रिजर्व बैंक ने पहली बार कहा है कि 2020-21 में देश की आर्थिक विकास दर निगेटिव रहेगी.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण सरकार का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

नई दिल्ली: कोरोना काल में रिजर्व बैंक ने बड़ी राहत दी है. रेपो रेट 0.4 फीसदी घटाकर 4 फीसदी कर दिया है. आरबीआई के इस फैसले से कर्ज सस्ता होगा साथ ही महंगाई कम होने की उम्मीद जताई गई है. हालांकि रिजर्व बैंक ने पहली बार कहा है कि 2020-21 में देश की आर्थिक विकास दर नेगेटिव रह सकती है.

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में कटौती की घोषणा की. केंद्रीय बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को जिस ब्याज दर पर अल्पावधि ऋण मुहैया करवाया जाता है उसे रेपो रेट कहते हैं. आरबीआई गवर्नर कोरोना संकट से देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए किए गए उपायों को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. कोरोना से निपटने के लिए देशभर में जारी लॉकडाउन की अवधि में केंद्रीय बैंक के गवर्नर यह तीसरी बार राहत के उपायों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इससे पहले उन्होंने 17 अप्रैल और 27 मार्च को कोरोना संकट को लेकर राहत के उपायों की घोषणा की थी.

RBI गवर्नर के प्रेस कॉन्फ्रेंस की बड़ी बातें

* भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि 2021 में विकास दर नकारात्मक रहने की संभावना है. उन्होंने कहा कि 2020-21 (1 अप्रैल से) में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 9.2 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी तक (15मई तक) 487 बिलियन डॉलर है.

कोर इंडस्ट्रीज के आउटपुट में 6.5% की कमी हुई है और मैन्युफेक्चरिंग में 21 फीसदी की गिरावट हुई है. मार्च में औद्योगिक उत्पादन में 17% की कमी दर्ज की गई है. मांग और उत्पादन में कमी आई है. अप्रैल महीने में निर्यात में 60.3 % की कमी आई है.

* शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट 4.4% से घटकर 4% हुआ. रिवर्स रेपो रेट घटकर 3.35% हुई. कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है. MPC ने रेपो रेट में कटौती करने का फैसला किया है.

* आरबीआई ने बैंकों के लोन मोराटोरियम को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया है और अब इसकी अवधि 31 अगस्त तक कर दी गई है. यानी ग्राहकों को तीन महीने के लिए अपने लोन की ईएमआई और टालने की सुविधा मिल गई हैं.

* मुख्य मुद्रास्फीति की दर पहली छमाही में तेज रह सकती है, दूसरी छमाही में इसमें नरमी आएगी, वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी/ चौथी तिमाही में ये चार प्रतिशत से नीचे रह सकती है.

* आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि भारत में मांग घट रही है, बिजली, पेट्रोलियम उत्पाद की खपत में गिरावट, निजी खपत में गिरावट.

* आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के बीच आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण सरकार का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है. मुद्रास्फीति की स्थिति बेहद अनिश्चित, दालों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी चिंताजनक, आयात शुल्क की समीक्षा की जरूरत है.



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