रिलीज हुई विद्युत जामवाल की ‘खुदा हाफिज’, एंटरटेनिंग लेकिन फिल्म की कहानी है कमजोर


कहते हैं कि प्यार में बहुत ताकत होती है, और एक पति अपनी पत्नी की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. ‘खुदा हाफिज’ भी एक ऐसी ही कहानी कहती है. विद्युत जामवाल इस फिल्म में भी हमेशा की तरह जबरदस्त एक्शन करते दिख रहे हैं. विद्युत जामवाल की अपनी एक अलग फैन फॉलोइंग है, उनके एक्शन और फिल्मों को खासा प्यार देते हैं. वहीं, इन दिनों नेपोटिज्म को लेकर छिड़ी बहस के बीच भी सेल्फमेड एक्टर्स की फिल्मों को लेकर दर्शकों के दिलों में एक सॉफ्ट कॉर्नर है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस फिल्म को भी दर्शक खूब प्यार देंगे. अगर आप भी ‘खुदा हाफिज’ देखने का मन बना रहे हैं तो पहले यहां जानें कैसी है ये फिल्म…

कहानी

ये कहानी है समीर चौधरी और नरगिस की. दोनों एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते हैं. समीर और नरगिस की अरेंज मैरिज होती है और दोनों पहली ही नजर में एक दूसरे को दिल दे बैठते हैं. दोनों की शादी हो जाती है और अच्छी जिंदगी बसर कर रहे हैं. लेकिन तभी देश में आती है मंदी. देश और दुनिया में आई मंदी के चलते कई लोगों की नौकरियां चली जाती हैं. दोनों नौकरी की तलाश में नोमान में अप्लाई करते हैं. इसमें नरगिस की नौकरी पहले लग जाती है और नोमान जाने का मौका मिलता है. लेकिन वहां पहुंचकर नरगिस एक सेक्स रैकेट और ह्यूमन ट्रेफिकिंग गैंग के बीच फंस जाती है. विदेश में अकेली फंसी नरगिस किसी तरह समीर को फोन करती हैं और बताती है कि वो मुश्किल में है.

इसके बाद उनका फोन कभी नहीं मिलता और भारत में बैठा समीर ये समझ ही नहीं पाता कि आखिर वो करे तो क्या? और अपनी पत्नी नरगिस को कहां ढूंढे? नरगिस को ढूंढते हुए समीर नोमान पहुंचता है और उसकी मुलाकात अन्नू कपूर से होती है जो कि वहां टैक्सी ड्राइवर का काम करते हैं. समीर वहां पहुंच तो जाते हैं लेकिन वहां साजिशों के जाल में फंस जाते हैं. इसमें उन्हें डिप्लोमैट्स और सुरक्षा एजेंसियों के सवालों में घिर जाते हैं. अब क्या वो समीर अपनी पत्नी को ढूंढ पाएगा और क्या वो उसे सही सलामत भारत वापस ला पाएगा इसके लिए आपको फिल्म देखने होगी.

एक्टिंग

फिल्म में विद्युत जामवाल और शिवालिका ओबेरॉय लीड रोल्स में हैं. विद्युत जामवाल ज्यादातर अपनी फिल्मों में एक्टिंग के चलते तारीफें बटोरते नजर आते हैं. लेकिन इस फिल्म में उन्होंने अपने एक्टिंग स्किल्स का नमूना भी पेश किया है. विद्युत एक ऐसे पति के किरदार में हैं जिसकी पत्नी लापता है और वो जानता है कि उसे जबरन वैश्यावृति में धकेले जाने वाली है. ऐसे में एक डरे हुए और बेबस पति के भावों को विद्युत ने बखूबी निभाया है.

वहीं शिवालिका ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है. हालांकि उन्हें स्क्रीन स्पेस काफी कम मिला है. इसके अलावा विलेन की छोटी सी भूमिका में दिखे हैं. इसके अलावा अहाना कुमार एक सिक्योरिटी एजेंसी के ऑफिसर के किरदार में बेहद जची हैं. वो स्क्रीन पर एक्शन करती भी नजर आईं हैं. इसके अलावा अन्नू कपूर ने भी बेहतरीन किरदार निभाया है.

निर्देशन और स्क्रिप्टिंग

इस फिल्म का निर्देशन फारुक कबीर ने किया है. वैसे तो फिल्म को एक एक्शन थ्रिलर बताया जा रहा है. लेकिन फिल्म में एक्शन और थ्रिलर दोनों ही फिल्म में कम मात्रा में नजर आते हैं. वहीं. निर्देशन की बात करें तो फारुक ने कहानी के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश की है. लेकिन बावजूद इसके फिल्म कई जगह पिच से हटती दिखती है. वहीं, स्क्रिप्टिंग की बात करें तो उसे भी और बेहतर किया जा सकता था.

क्यों देखें/ क्यों न देखें?

  • स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज की गई ये एक फैमिली फिल्म है जिसे पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है. फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट मिला है. ऐसे में आप परिवार के साथ घर पर वीकेंड का मजा ले सकते हैं.
  • फिल्म में विद्युत जामवाल का एक्शन और एक्टिंग दोनों ही देखने को मिलेंगे. साथ ही ये एक एंटरटेनिंग और इंगेजिंग फिल्म है.
  • हालांकि फिल्म में सस्पेंस बहुत ज्यादा नजर नहीं आ रहा है. कहानी भी कई जगह अपनी पकड़ छोड़ती नजर आती है. लेकिन एक बार तो देखा ही जा सकता है.
  • वहीं, फिल्म की कहानी को जबरन खींचा भी गया है. इसे और छोटा किया जा सकता था. फिल्म में सस्पेंस के नाम पर कहानी में ऐसे ट्विस्ट डाले गए हैं, जिनका अंदाजा दर्शक आसानी से  लगा सकते हैं



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here