नयी दिल्ली। उन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पिछले कई सालों से न्यूज की हेडलाइंस बने रहे हैं। एक बार फिर कुलदीप सिंह फिर मोदी व योगी सरकार के लिये परेशानी का सबब बन गये हैं। कांग्रेह महासचिव प्रियंका गांधी हाल ही में यूपी के दौरे से लौटी है। वहां उन्होने भाजपा के एक पोस्टर में रेप के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर का फोटो देखा।
उस पोस्टर में रेप का आरोपी और सजा काट रहा सेंगर योगी ओर मोदी को 15 अगस्त की बधाइयां देते दिख् रहा है। इसे देख कर उन्होंने पीएम मोदी और योगी के इस पोस्टर को सोशल मीडिया पर टेग करते हुए भाजपा और मोदी से यह पूछा है कि आपको शर्म नहीं आती है कि रेप का आरोपी पोस्टर के जरिये आप सबको बधाइयां दे रहा है और आप चुप रह कर समर्थन दे रहे हैं। उस रेप के आरोपी समर्थन में स्थानीय भाजपाई को अब तक भाजपा ने पार्टी से बाहर क्यों नहीं किया है।
दिचस्प बात यह है कि जब मामला काफी गर्मा गया तो प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र सिंह ने मौखिक रूप से यह कह दिया कि उन्होंने पार्टी से विधायक को संवस्पेंड कर दिया है। लेकिन यह बात केवल मौखिक रूप से ही हुई कागजी कार्रवाई हीं की गयी। मामला और गरमाया तो उन्होंने सेंगर को सस्पेंड कर दिया। यह बात उन्होंने मीडिया को भी बतायी लेकिन यह बात नहीं बतायी कि सेंगर की पत्नी को बीजेपी में शामिल कर लिया। यह मामला बिल्कुल ठीक उसी तरह से हुए जैसा कि भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के साथ हुआ था। दया शंकर ने मायावती को लेकर अभद्र व अश्लील टिप्पणी की। पहले तो दयाशंकर के बचाव में पार्टी आयी लेकिन मामला नहीं सुलझा तो उसकी पत्नी स्वाति सिंह को पार्टी में शामिल कर लिया। बाद में विधानसभा चुनाव में राजधानी से चुनाव लड़ी और आज वो प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री है।
सबसे ज्यादा चर्चा में तब आये जब उनके इलाके की एक लड़की ने उन पर लगातार कई सालों तक जबरन रेप करने का आरोप लगाया। लेकिन प्रदेश सरकार पुलिस ने आरोपी के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई की और न ही उनके खिलाफ कोई मुकदमा ही कायम किया गया। लाचार हो पीड़िता ने लखनउ जाकर मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने का प्रयास किया तब जाकर मीडिया ैर शासन जागा। उस लड़की की शिकायत दर्ज की गयी। लेकिन उस विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी। जबकि रेप का आरोपी मुख्यमंत्री से विधानसभा और उनके आवास पर मुलाकात करता रहा लेकिन पुलिस उसे पकड़ने में नाकाम रही। रेप के इस मामले पर जब पूरे देश में धरने प्रदर्शन होने लगे तब जा कर योगी ने मामला सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की। लेकिन मामले में सेंगर को न तो पुलिस ने अरैस्ट किया और न ही भाजपा ने अपने इस सपूत को पार्टी से निकाला।
विधायक की गिरफ्तारी तो सीबीआई की जाचं शुरू करने के बाद ही हो सकी। इसके बावजूद सेंगर के गुर्गे पीड़िता को धमकाते रहे कि केस वापस ले ले नहीं तो पूरे खानदान को खत्म कर देंगे। साहब अंदर हैं तो क्या हम लोग तो बाहर हैं। इसी बीच पुलिस हिरासत में पीड़िता के पिता की हत्या हो जाती है और पुलिस यह कहती है कि उसकी मौत बीमारी के चलते हुई। बहरहाल सेंगर पर सीबीआई चार मुकदमे दर्ज कराये है। इतना ही नहीं सुप्रीमकोर्ट ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पीड़िता के साथ सरकार ने ऐसा सुलूक क्यों किया। उसे आत्मदाह करने की नौबत आन पड़ी।
हाल ही में पीड़ता अपने चाचा से मिलने रायबरेली जेल जा रही थी कि एक ट्रक ने उनकी कार को सामने से जोरदार बटक्कर मार दी जिसमें उसकी चाची और मौसी दोनों ही मारे गये। पीड़िता को भी काफ गंभीर चोटें आयीं। उनका वकील भी इस हादसे में बुरी तरह घायल हुआ। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने सीधे शब्दोे प्रदेश सरकार को निर्देश किया कि हादसे की रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर दे। साथ सीबीआई को भी यह निर्देश दिया कि इस मामले का प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट दे। इस मामले में यह भी कहा गया कि पीड़िता को एयरलिफ्ट कर दिल्ली के अच्छे अस्पताल में समुचित इलाज कराया जाये।