जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के दो जवान आतंकी हमले (Terror attack)में शहीद हो गए। दोनों जवान इफ्तार करने के लिए रोटी लेने गए थे। इस दौरान एक व्यस्त बाजार में बाइक सवार आंतकवादियों ने हमला बोल दिया।

Edited By Sujeet Upadhyay | भाषा | Updated:

सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स

  • श्रीनगर के बाहरी इलाके सूरा में बुधवार की शाम हुआ था आतंकी हमला
  • पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली हमले की जिम्मेदारी
  • पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले थे दोनों जवान, अम्फान चक्रवात के चलते पार्थिव शरीर उनके घर नहीं भेजे जा सके

श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो जवान आतंकी हमले (Terror attack)में शहीद हो गए। दोनों कुछ ही मिनट पहले इफ्तार करने के लिए रोटी लेने गए थे। इस दौरान एक व्यस्त बाजार में बेकरी से गुजर रहे बाइक सवार आंतकवादियों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी की, जिसमें बीएसएफ कांस्टेबल जिया-उल-हक और राणा मंडल ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। हमला बुधवार की शाम श्रीनगर के बाहरी इलाके सूरा में हुआ था। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।

अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादियों ने बेहद नजदीक से जवानों को गोलियां मारीं और भीड़भाड़ वाले इलाके की गलियों से निकलते हुए फरार हो गए। उन्होंने कहा कि जिया-उल-हक और राणा मंडल पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के निवासी थे, लेकिन अम्फान चक्रवात के चलते राज्य में हवाई अड्डे बंद होने की वजह से उनके पार्थिव शरीर उनके घर नहीं भेजे जा सके। हक (34) और मंडल (29) दोनों के सिर में गंभीर चोटें आई थीं। अधिकारियों ने बताया कि दोनों दोस्त सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 37वीं बटालियन से थे और पंडाक कैंप में तैनात थे। उनका काम नजदीकी गंदेरबल जिले से श्रीनगर के बीच आवाजाही पर नजर रखना था। उन्होंने बताया कि मौत से कुछ ही मिनट पहले वे रोजा खोलने (इफ्तार) के लिए रोटी लेने गए थे। लेकिन वे इफ्तार नहीं कर सके और रोजे की हालत में ही शहीद हो गए।

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साल 2009 में बीएसएफ में शामिल हुए जिया-उल-हक

बीएसएफ की 37वीं बटालियन के जवानों ने कहा कि वह रोजा होने की वजह से पूरे दिन पानी की एक बूंद पिये बिना ही इस दुनिया से रुख्सत हो गए। जवानों ने अपने साथियों की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह बहुत जल्दी हमेशा के लिए अलविदा कह गए। साल 2009 में बीएसएफ में शामिल हुए जिया-उल-हक के परिवार में माता-पिता, पत्नी नफीसा खातून और दो बेटियां… पांच साल की मूकबधिर बेटी जेशलिन जियाउल और छह महीने की जेनिफर जियाउल हैं। वह मुर्शिदाबाद कस्बे से लगभग 30 किलोमीटर दूर रेजिना नगर में रहते थे।

पुलवामा में आतंकी हमला, CRPF और पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंगपुलवामा में आतंकी हमला, CRPF और पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंगजम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में दो जवान घायल हैं। पुलिस और सेना ने इलाके में घेराबंदी करके तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। आतंकियों ने यह हमला घात लगाकर किया है। लॉकडाउन के चलते पुलवामा की शुरुआत में ही पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों का एक नाका लगाया गया था। यहां पर जवान मौजूद थे। बताया जा रहा है कि दोपहर को इस नाके पर आंतकवादियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। अचानक हुए इस हमले से जब तक सेना और पुलिस के जवान कुछ समझते, जवानों को गोली लग चुकी थी।

पांच अगस्त 2019 से कश्मीर में तैनात थे दोनों जवान

राणा मंडल के परिवार में माता-पिता के अलावा एक बेटी और पत्नी जैस्मीन खातून है। वह मुर्शिदाबाद में साहेबरामपुर में रहते थे। दोनों जवान केंद्र सरकार की ओर से पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के बाद से कश्मीर में तैनात थे। वह 24 या 25 मई को आने वाला ईद का त्योहार भी नहीं मना सके।

Web Title two bsf jawans martyred in terror attack in jammu kashmir(News in Hindi from Navbharat Times , TIL Network)

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