भारत और चीन के बीच लद्दाख टेंशन (India China Dispute) बढ़ने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने सेनाओं को उचित कार्रवाई करने का आदेश दे दिया है। उसी के तहत भारतीय वायु सेना ने अपने संसाधनों को चाक-चौबंद करना शुरू कर दिया है। IAF ने भारत सरकार को रूस से लड़ाकू विमान खरीदने के संबंध में एक प्रस्ताव बनाकर भेजा है।​

Edited By Ashok Upadhyay | एएनआई | Updated:

हाइलाइट्स

  • प्रस्ताव में 12 एसयू -30 एमकेआई को लेने का प्रस्ताव शामिल है
  • रूस ने इन लड़ाकू विमानों को भारत को बेचने की पेशकश की थी
  • इन विमानों को हासिल करने के बाद वायु सेना की ताकत और बढ़ जाएगी

नई दिल्ली

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच, भारतीय वायु सेना (IAF) ने रूस से 21 नए मिग -29 और 12 Su-30MKI सहित 33 नए लड़ाकू विमानों को हासिल करने के लिए एक प्रस्ताव बनाकर सरकार के पास भेज दिया है। सूत्रों के अनुसार, वायु सेना कुछ समय से इस योजना पर काम कर रही है, लेकिन उन्होंने अब इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है। साथ ही 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के प्रस्तावों को रक्षा मंत्रालय के समक्ष अगले सप्ताह अनुमोदन के लिए रखा जाएगा।

उन्होंने कहा, प्रस्ताव में 12 एसयू -30 एमकेआई को लेने का प्रस्ताव शामिल है, जो विभिन्न दुर्घटनाओं में वायु सेना द्वारा खोए गए विमानों की संख्या की भरपाई करेंगे। भारत ने 10 से 15 साल की अवधि में कई बार 272 Su-30 फाइटर जेट्स के लिए आदेश दिए थे। अब भारतीय वायुसेना जो 21 मिग-29 को हासिल करने की योजना बना रही है। वे रूस के हैं, जिन्होंने वायु सेना को नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता को पूरा करने में मदद करने के लिए इन विमानों को बेचने की पेशकश की है।

चीन का ‘चाणक्य’ कहलाता है यह शख्स, जानें इसकी कहानी

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  • चीन की चाल भांपने में भारत से चूक

    भारत ने ड्रैगन की चाल समझने में चूक कर दी। उसे लगा था कि चीन सैन्‍य समझौतों का पालन करेगा। 6 जून को मिलिट्री कमांडर्स लेवल मीटिंग में जो तय हुआ था, चीन उससे मुकर गया। चीन ने न सिर्फ भारत की जमीन पर कदम रखे, बल्कि बातचीत की जगह हिंसा का रुख अपना लिया। भारत चीन के इरादे नहीं भांप पाया और नतीजा सामने है।

  • पूरी तैयारी के साथ आया था चीन

    चीन जिस तरह से बॉर्डर के पास साजोसामान जुटा रहा था, भारत को उसी वक्‍त समझ लेना चाहिए था कि उसके इरादे नेक नहीं। उसने पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ युद्ध की पूरी तैयारी कर रखी थी। चीन ने भारत के साथ तय हुए डिसएंगेजमेंट प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया, जबकि भारतीय सेना उसपर डटी रही।

  • ट्रैक रिकॉर्ड बताता है चीन के इरादे

    पिछले सात साल में चीन ने LAC पर कई जगह घुसपैठ की है। 2013 में डेपसांग, 2014 में चूमर, 2017 में डोकलाम और 2020 में पूर्वी लद्दाख। LAC तय न होना और चीन का अपने दावे बार-बार बदलना साफ दिखाता है चीन सीमा विवाद सुलझाना नहीं, बल्कि उसे जारी रखना चाहता है।

  • बातचीत से नहीं मानेगा चीन

    15-16 जून की रात जो हुआ, उससे चीन का असली चेहरा फिर सामने आ गया। भारतीय सैनिकों ने PLA सैनिकों से बातचीत कर तनाव खत्‍म करना चाहा था, मगर चीन ने और फोर्स बुला ली। जब भारतीय सैनिकों को एहसास हुआ कि चीन के इरादे क्‍या हैं तो उन्‍होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए निहत्‍थे ही चीन का सामना किया।

  • चीन समझ रहा यही है सही वक्‍त

    चीन को लगता है कि हिमालयन रीजन में कब्‍जा करने का यही सही वक्‍त है। PLA ने हाल के दिनों में बॉर्डर के पास जिस तरह का आधुनिकीकरण किया है, भारतीय सेना उसे मैच करने की कोशिश कर रही है। चीन के पास पहाड़ी इलाकों में थोड़ा एडवांटेज है और यही उसके बर्बर व्‍यवहार की वजह है।

  • बुझ नहीं रही चीन की प्‍यास

    गलवान घाटी में जहां चीन ने हमला किया, वह भारत का हिस्‍सा है। मगर पहली बार चीन ने उसपर दावा ठोंका है। यह चीन की सोची-समझी रणनीति का हिस्‍सा है। वह पहले उन इलाकों पर धीमे-धीमे कब्‍जा करता है जहां उसे विरोध के लिए कोई सेना नहीं मिलती। जब कब्‍जा हो जाता है तो उसपर दावा ठोंकना चीन की पुरानी आदत है। LAC पर चीन यही रणनीति अपना रहा है।

  • महामारी का फायदा उठाना चाहता है चीन

    भारत समेत पूरी दुनिया का ध्‍यान इस वक्‍त कोरोना वायरस महामारी पर है। चीन, जहां से ये वायरस पूरी दुनिया में फैला, इस महामारी की आड़ में अपने निहित स्‍वार्थ को पूरा करना चाहता है। 1962 की जंग के लिए चीन के नेता माओ ने कहा था कि ’30 साल की शांति खरीदने का वक्‍त’ आ गया है। चीन 2020 में शायद उसी लाइन पर चल रहा है कि एक युद्ध और होगा तो भारत कम से कम 30 साल के लिए चुप हो जाएगा।

  • चीन के झांसे में अब न आए भारत

    भारत को ये समझ लेना चाहिए कि चीन शांति नहीं चाहता। मौका मिलते ही वह गर्दन दबोचने से नहीं हिचकेगा। भारत को हिमालय की वादियों में मौजूद अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना होगा चाहे उसके लिए पूरे बॉर्डर पर सेना क्‍यों न तैनात करनी पड़े। चीन के सामने झुकने का मतलब है कि उसकी हिम्‍मत और बढ़ेगी।

  • भारत अब क्‍या करे?

    ले. जनरल एच एस पनाग (रिटा.) के मुताबिक, भारत को अब वर्तमान और भविष्‍य की सुरक्षा चुनौतियों की रणनीतिक समीक्षा करनी चाहिए। उन्‍होंने द इंडियन एक्‍सप्रेस में लिखा है कि एक व्‍यापक राष्‍ट्रीय सुरक्षा रणनीति बनाने की जरूरत है। इसे संसद की स्‍क्रूटनी के दायरे में रखा जाना चाहिए।

  • सेना किसी से कम नहीं, पॉलिटिकल गाइडेंस की जरूरत

    पिछले कुछ दशक में भारत ने अपनी सेना को अत्‍याधुनिक हथियारों से लैस किया है। अब भारतीय सेना की गिनती दुनिया की सबसे घातक सेनाओं में से होती है। LAC पर हुई हिंसा सरकार के लिए चेतावनी है कि वह अपने अप्रोच को बेहतर करे। एक इंच जमीन गंवाए बिना इस संकट को दूर करनपा बेहद जरूरी है, साथ ही भारत को अपना सम्‍मान भी बचाना है। विपक्ष, संसद, मीडिया और आम जनता को साथ लेकर सरकार आगे बढ़े तो देश एकजुट खड़ा नजर आएगा। हमारी सेना के पास वो क्षमता है कि PLA को तहस-नहस कर सकती है।

वायु सेना ने यह जांचने के लिए एक अध्ययन किया है कि मिग -29 की एयरफ्रेम लंबे समय तक काम करने के लिए पर्याप्त हैं और वे लगभग नई स्थिति में पाए गए हैं। मिग -29 को वायु सेना द्वारा उड़ाया जाता है और पायलट इससे परिचित होते हैं। वायु सेना के पास मिग -29 के तीन स्क्वाड्रन हैं।

देश के लिए जो शहीद हुए हैं उन रणबांकुरों को सलामदेश के लिए जो शहीद हुए हैं उन रणबांकुरों को सलामगलवान वैली (Galwan Valley) पर चीनी सेना से लड़ते हुए हमारे 20 जवान शहीद हो गए हैं। चीन की कायरता पर आज पूरा देश स्तब्ध है। इन 20 जवानों के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है लेकिन उनके सीने में दर्द के साथ गर्व भी है और अपनों को वे विदाई दे रहे हैं। जानिए, उन 20 जवानों के बारे में जिन्होंने देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी।

दरअसल, हाल ही में गलवान घाटी पर चीन की सेना ने जो धोखा किया, उसके कारण भारतीय सेना ने अपने कम से कम 20 जवान खोए। सीमा पर खड़े चीनी सैनिकों को इस दौरान भारत की ओर से मुंहतोड़ जवाब मिला। नतीजतन चीन के 43 सैमिकों के मारे जाने की सूचना सामने आ रही है। आने वाली परिस्थितियों को देखते हुए भारत ने सेना यह प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है।

Web Title air force sent proposal to government for purchase of fighter jets from russia(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)

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