लद्दाख में करगिल जैसी घुसपैठ के लिए एक साल से तैयारी कर रहा था चीनी ड्रैगन!


Edited By Shailesh Shukla | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

वो तीन बड़े कारण जिनके चलते लद्दाख में पीछे हटा चीन

पेइचिंग

लद्दाख में भारतीय सेना की जोरदार तैयारियों से घबराए चीनी ड्रैगन ने करीब एक साल पहले से ही ‘कारगिल’ जैसी घुसपैठ की तैयारी शुरू कर दी थी। ताजा गतिरोध के बीच सैटलाइट से मिली तस्‍वीरों में खुलासा हुआ है कि चीनी सेना ने पिछले साल के मध्‍य में पैंगोंग शो झील से 100 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में अपनी मोर्चाबंदी तेज कर दी थी। इसके तहत सैन्‍य ठिकाने का आधुनिकरण शुरू कर दिया गया था। इसके बाद कोरोना महासंकट में भारत को फंसा देख चीन ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर दी।

इसके अलावा बड़ी मात्रा में सैन्‍य साजोसामान को इकट्ठा किया गया। यही नहीं चीन ने पैंगोंग शो झील से मात्र 180 किलोमीटर दूर स्थित नागरी इलाके में बड़ा हवाई ठिकाना तैयार कर लिया था। इसके अलावा नागरी में बहुत से ऐसे सैन्‍य वाहन जुटा लिए थे जिससे बहुत तेजी से सैनिकों को भारतीय सीमा तक पहुंचाया जा सके। इसी एयरबेस पर चीनी ड्रैगन ने उड़ान भरने के अनुकूल लड़ाकू विमान जे-11 और जे 16एस को भी ऑपरेट करना शुरू कर दिया है। ताजा तस्वीरों को ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनॉलिस्ट Detresfa ने जारी किया है।

ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की उड़ाने भी बढ़ीं

सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने Ngari Gunsa एयरबेस पर लड़ाकू विमानों के परिचालन को तेज कर दिया है। इतना ही नहीं, हाल के दिनों में यहां कई ट्रांसपोर्ट विमानों की लैंडिंग भी हुई। माना जा रहा है कि भारत से लगी सीमा पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए चीन ने आवश्यक सैन्य साजोसामान को पहुंचाया। लद्दाख के नजदीक इस चीनी एयरबेस को बढ़ाने का काम भी किया जा रहा है। यह भारत के दौलत बेग ओल्‍डी हवाई पट्टी से कुछ ही दूरी पर स्थित है।

सैटेलाइट की तस्वीरों ने साफ कर दिया कि सीमा पर चीन ‘युद्ध’ की तैयारी कर रहा है !

चीनी एयरफोर्स Ngari Gunsa एयरबेस पर एक और रनवे का निर्माण कर रही है। इस रनवे पर भारी ट्रांसपोर्ट जहाजों तो उतारा जा सकता है। चीन का शेययांग जे 11 रूस की सुखोई एसयू 27 का चीनी वर्जन है। यह फाइटर प्लेन एयर सुपीरियर होने के साथ दूर तक हमला करने में सक्षम है। इसमें दो इंजन लगे होते हैं जिससे जेट को ज्यादा पॉवर मिलती है। चीन में निर्मित इस विमान को केवल चीनी एयर फोर्स ही ऑपरेट करती है। यह जेट 33000 किलोग्राम तक के वजन के साथ उड़ान भर सकता है। यह विमान एक बार में 1500 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है।



कोरोना के कारण भारतीय सेना अभ्यास रोका था


मार्च के दूसरे सप्ताह में एक जवान कोरोना संक्रमित पाया गया था इसके बाद कई तरह के ऐहतियाती कदम उठाए गए थे। इसमें सुरक्षाबलों के जमावड़े पर रोक लगा दी गई थी। अधिकारियों ने बताया कि कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए लद्दाख में किया जाने वाला अभ्यास को भी स्थगित करने का फैसला इसमें शामिल था।

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चीन का 1962 की तरह भारत को धोखा

चीन ने भी अपने अभ्यास को एक महीने के लिए स्थगित कर दिया था लेकिन चीन ने चालाकी दिखाते हुए गलवान घाटी और पैंगोंग शो झील के करीब फिंगर एरिया में तुरंत सैनिकों की तैनाती कर दी। इकनॉमिक टाइम्स ने गलवान तनाव के बारे में सबसे पहले जानकारी दी थी। चीनी सैनिकों के पहुंचने के कारण दौलत बेग ओल्‍डी और काराकोरम पास से लेह तक जाने के लिए पिछले साल बनाए गए सड़क से संपर्क टूट जाने का खतरा मंडराने लगा है।

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चीन ने चली पाकिस्तान वाली चाल

चीन की चाल को देखते हुए भारत ने सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल तोड़ते हुए लेह में तैनात अपने सैनिकों तो तुरंत इलाके में भेज दिया। हालांकि पहले ही चालाकी कर चुके चीन को भारतीय इलाके गलवान और फिंगर इलाके में अहम रणनीतिक बढ़त हासिल हो चुकी थी। सूत्रों ने बताया कि गलवान में चीन के करीब 3,400 सैनिक तैनात हैं जबकि पैंगोंग लेक के करीब 3,600 चीनी सैनिक हैं।

लद्दाख में घुसपैठ के ल‍िए एक साल से तैयारी कर रहा था चीन

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