लाभार्थियों की सूची में प्रवासी मजदूरों के न होने से मुश्किल, नई लिस्ट बनाने का दबाव


कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में राज्यों में प्रवासी मजदूरों के पलायन से विभिन्न योजनाओं के लिए लाभार्थियों की नई सूची तैयार करने का दबाव बन रहा है। राज्यों में महिलाओं और बच्चों के लिए योजना में इसकी खास जरूरत बताई जा रही है। कई राज्यों से फीडबैक मिला है कि महिलाओं व बच्चों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ प्रवासी मजदूरों के महिलाओं व बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। राज्य इन योजनाओं के लिए ज्यादा मदद की मांग केंद्र सरकार से कर रहे हैं। इसका असर पोषण के लक्ष्य पर पड़ने और ज्यादा मौतों की आशंका जताई जा रही है।

महिलाओं व बच्चों के लिए काम कर रही संस्था ‘अचूक पॉलिसी थिंक टैंक’ का कहना है कि लाभार्थियों की सूची में विभिन्न राज्यों में करीब डेढ़ से दो करोड़ नए लोगों को जोड़ने की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि सरकार का दावा है कि करीब एक करोड़ लोग अपने राज्यों में पहुंचाए गए हैं। फिलहाल राज्यों में डेटा बेस बनाया जा रहा है। कई राज्यों ने मुफ्त राशन का इंतजाम मजदूरों के परिवार के लिए किया है। लेकिन ये मदद भी सभी लोगों तक नही पहुंच पाई है।

कोरोना मरीजों के मामले में ब्रिटेन को पीछे छोड़ भारत चौथे स्थान पर

अचूक पालिसी थिंक टैंक की अंजना शर्मा ने कहा, “योजनाओं में नए लाभार्थियों को जोड़ना होगा। इसके लिए श्रमिक ट्रेन, बसों व अन्य परिवहन माध्यमों से गए लोगों के डेटा बेस का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर ऐसा नही किया गया तो बड़ी संख्या में महिलाएं व बच्चे कुपोषण की मार झेलने को मजबूर होंगे।”

सरकार की विभिन्न कमेटियों में शामिल डॉक्टर एचपीएस सचदेवा ने कहा, “पोषण के लिए जरूरी है कि जो भी नए लोग गांवों में गए हैं उनको लाभार्थी सूची में जोड़ा जाए। क्योंकि इसके बिना टेक होम राशन या पोषाहार उन्हें उपलब्ध नहीं होगा। केवल मुफ्त राशन कुपोषण का शिकार लोगों के लिए मददगार नहीं होगा।”

राज्यों में गए प्रवासी मजदूरों का सही डेटा बेस तैयार होने में वक्त लगेगा। फिलहाल केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे सभी जरूरतमंद लोगों की पहचान कर आंगनबाड़ी व आशा कर्मियों के जरिए कुपोषण का शिकार महिलाओं व बच्चो को पोषाहार दिलाने की व्यवस्था करें। गौरतलब है कि कोरोना संकट के दौरान भारत में बच्चों पर कुपोषण का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ की हालिया रिपोर्ट में इस बात की आशंका जाहिर की गई थी कि कोरोना संकट काल में 6 महीने में तीन लाख बच्चों की मौत हो सकती है। भारत में पहल से ही पांच में से एक बच्चा कुपोषित था, वहीं अब कोरोना ने इस संकट को और बढ़ा दिया।





Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here