लॉकडाउन के दौरान सरकार गरीब, मजदूर, किसान, कर्मचारी समेत हर एक नागरिक को राहत देने की कोशिश में लगी हुई है। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोदी सरकार  20 लाख करोड़ का बूस्टर डोज दे चुकी है। वहीं नौकरीपेशा के लिए भी सरकार कई घोषणाएं कर चुकी है। पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के करीब 12 लाख सदस्यों ने लॉकडाउन के दौरान 3,360 करोड़ रुपये की निकासी की है। 

ईपीएफओ ने कर्मचारियों को राष्ट्रव्यापी पाबंदी की वजह से पैदा हुई दिक्कतों के मद्देननजर 28 मार्च को ईपीएफओ से अग्रिम निकालने की अनुमति दी थी। श्रमिकों को यह राशि वापस जमा नहीं करानी होगी। कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है।  सीतारमण ने रविवार को आर्थिक पैकेज की पांचवीं किस्त की घोषणा करते हुए कहा कि पिछले दो माह के दौरानर ईपीएफओ के 12 लाख सदस्यों ने 3,360 करोड़ रुपये की निकासी की है। 

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केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के तहत आने वाले कर्मचारी भविष्यि निधि संगठन (ईपीएफओ) ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत 12 लाख दावों का निपटान किया है।  ईपीएफ येाजना से विशेष निकासी का प्रावधान सरकार द्वारा घोषित पीएमजीकेवाई योजना का हिस्सा है। 

यह है प्रावधान

इस प्रावधान के तहत सदस्य तीन महीने के मूल वेतन और महंगाई भत्ते के बराबर या सदस्य के खाते में पड़ी राशि का 75 प्रतिशत, जो भी कम हो, निकाल सकते हैं। इस राशि को उन्हें वापस जमा कराने की जरूरत नहीं होगी। सीतारमण ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान 2.2 करोड़ भवन और निर्माण श्रमिकों को पीएमजीकेवाई योजना के तहत 3,950 करोड़ रुपये दिए गए। इससे पहले मार्च में श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने सभी राज्यों से 52,000 करोड़ रुपये के निर्माण उपकर से 3.5 करोड़ निर्माण श्रमिकों को वित्तीय मदद देने को कहा था। 





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