लॉकडाउन के नियमों से राहत मिलते ही देश में ईंधन की मांग बढ़ने लगी है। मई में इसकी बिक्री अप्रैल के मुकाबले करीब दोगुनी रही फिर भी साल भर पहले की तुलना में एक तिहाई से अधिक कम थी। सार्वजनिक क्षेत्र की ईंधन विपणन कंपनियों के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार सालाना आधार पर मई में पेट्रोल की बिक्री 36.5 प्रतिशत घटकर 15.9 लाख टन रही। जबकि अप्रैल की तुलना में यह काफी बढ़ गयी। अप्रैल में देशभर में 9,73,000 टन पेट्रोल की बिक्री हई थी जो अप्रैल 2019 के मुकाबले 61 प्रतिशत कम थी।
2019 की तुलना मे 31% गिरी डिजल की बिक्री
इसी तरह डीजल की बिक्री सालाना आधार पर मई में 31 प्रतिशत गिरकर 48.1 लाख टन रही। जबकि अप्रैल में देशभर में 32.5 लाख टन डीजल बिका था। यह अप्रैल 2019 की तुलना में 56.5 प्रतिशत कम थी। सालना आधार पर विमान ईंधन (एटीएफ) की बिक्री भी मई में 85 प्रतिशत गिरकर सिर्फ 9,600 टन रही।
पेट्रोल और डीजल की मांग में इजाफा
सरकार ने देशभर में लॉकडाउन के पांचवें चरण को लागू किया है जो 30 जून तक रहेगा, लेकिन इसी के साथ देश के आर्थिक क्षेत्रों को फिर खोलने का काम भी एक जून से शुरू हो गया है। इसके पहले चरण को ‘अनलॉक 1.0 नाम दिया गया है। लॉकडाउन के चौथे चरण के दौरान मई में विभिन्न तरह की राहत देने से देश में पेट्रोल और डीजल की मांग में इजाफा देखा गया।
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घरेलू रसोई गैस की मांग 12 प्रतिशत बढ़ी
लॉकडाउन के दौरान जिस ईंधन की मांग में लगातार इजाफा देखा गया, वह घरेलू रसोई गैस है। सरकार के गरीबों को मुफ्त गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने के प्रयासों की बदौलत मई में रसोई गैस का उपभोग सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़कर 23 लाख टन रहा। इसी तरह अप्रैल में भी गैस का उपभोग सालाना आधार पर 12 प्रतिशत बढ़कर 21.3 लाख टन था। यह आंकड़े सिर्फ सरकारी कंपनियों के बिक्री आंकड़ों पर आधारित हैं। पूरे ईंधन उद्योग के आंकड़े अगले हफ्ते तक जारी होने की उम्मीद है।