भारतीय शराब कारोबारी विजय माल्या को भारत लाने के लिए केंद्र सरकार ब्रिटिश सरकार के संपर्क में है। भगोड़ा घोषित हो चुके माल्या के वहां की हाई कोर्ट से तब निराशा हाथ लगी थी, जब सुप्रीम कोर्ट में प्रत्यर्पण के खिलाफ इजाजत मांगने वाली याचिका खारिज हो गई थी।
मिल रही जानकारी के मुताबिक अब प्रत्यर्पण की प्रक्रिया 28 दिन के अंदर पूरी करनी होगी। माल्या की बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइन्स के कर्ज से संबंधित धोखाधड़ी और धनशोधन के मामले में भारत प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ उसकी अपील हाई कोर्ट में पिछले महीने ही खारिज हो गई थी।
Govt of India is in touch with the United Kingdom for the next step in extradition of fugitive businessman Vijay Mallya: MEA on Vijay Mallya losing application (on May 14) in UK High Court to appeal in UK Supreme Court in extradition case
— ANI (@ANI) May 21, 2020
माल्या के पास हाई कोर्ट के फैसले के बाद से इससे भी ऊंची अदालत में जाने की अनुमति मांगने का ताजा आवेदन दाखिल करने के लिए 20 अप्रैल से लेकर 14 दिन का समय था। हाई कोर्ट ने ब्रिटेन के गृह मंत्री द्वारा प्रमाणित वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ माल्या की अपील खारिज कर दी थी। ताजा फैसले को ‘प्रनाउन्समेंट’ (घोषणा) कहा गया है यानी भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत ब्रिटेन का गृह कार्यालय अब माल्या को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के अदालत के आदेश को 28 दिन के भीतर औपचारिक रूप से प्रमाणित कर सकता है।
लंदन की रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस में लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लाइंग की दो सदस्यीय पीठ ने फैसले में कहा, ”अदालत ने सुप्रीम कोर्ट में अपील के मद्देनजर आम सार्वजनिक महत्व के विधि के प्रश्न को प्रमाणित नहीं करने के अपने इरादे को प्रकट कर दिया है।” अदालत ने ब्रिटेन के प्रत्यर्पण कानून 2003 की धारा 36 और धारा 118 के तहत 28 दिन की ‘जरूरी अवधि तय की है जिसके भीतर प्रत्यर्पण प्रक्रिया होनी चाहिए।
ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा कि माल्या की विधि के प्रश्न (प्वाइंट ऑफ लॉ) को प्रमाणित करने की अपील सभी तीनों आधारों पर खारिज हो गई, जिनमें मौखिक दलीलों पर सुनवाई, तैयार किए गए सवालों पर प्रमाणपत्र देना और सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए अनुमति देना शामिल हैं।
सैद्धांतिक रूप से अगले कदम के तौर पर माल्या अपने प्रत्यर्पण को इस आधार पर रोकने के लिए यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स (ईसीएचआर) में आवेदन कर सकता है कि उसे निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा और उसे हिरासत में लिया जाएगा जो यूरोपियन कन्वेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स के अनुच्छेद 3 की शर्तों का उल्लंघन होगा। इस समझौते में ब्रिटेन भी एक पक्ष है। अगर ईसीएचआर में इस तरह का आवेदन किया जाता है तो उसका फैसला आने तक प्रत्यर्पण की प्रक्रिया रुक जाएगी।
हालांकि, ईसीएचआर में अपील के बाद भी माल्या के लिए सफलता की बहुत कम गुंजाइश होगी क्योंकि उसे साबित करना होगा कि इन आधारों पर ब्रिटेन की अदालतों में उसकी दलीलें पहले खारिज हो चुकी हैं। इस लिहाज से पिछले महीने हाई कोर्ट में माल्या की अपील खारिज होना और इस सप्ताह अपील दाखिल करने की अर्जी को एक बार फिर अस्वीकृत किया जाना शराब कारोबारी के खिलाफ मामले में सीबीआई तथा ईडी के लिए निर्णायक बिंदु हैं।
माल्या को एक प्रत्यर्पण वारंट पर अप्रैल 2017 में यहां गिरफ्तार किया गया था। तब से वह जमानत पर है। वह ब्रिटेन में फिलहाल जमानत पर है। जस्टिस इरविन और जस्टिस लाइंग ने पिछले महीने व्यवस्था दी थी, ”हमने देखा है कि प्रथम दृष्टया गलत बयानी और षड्यंत्र का मामला है और इस तरह से पहली नजर में धन शोधन का भी मामला है।” माल्या को भारत सरकार ने भगोड़ा घोषित कर रखा है। वह मार्च 2016 से ब्रिटेन में है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)