श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अब खाने की कमी पूरी करेगा रेलवे, रेलवे बोर्ड ने दी 50 रुपये प्रति श्रमिक की मंजूरी


शुक्रवार को लखनऊ के चारबाग स्‍टेशन पर श्रमिक स्‍पेशल ट्रेन (shramik special trains) के श्रमिकों के लिए नाश्‍ते के पैकेट के लिए हुई अव्‍यवस्‍था को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने यह फैसला लिया है।

Edited By Alok Bhadouria | नवभारत टाइम्स | Updated:

सांकेतिक तस्‍वीर
हाइलाइट्स

  • शुक्रवार को लखनऊ के चारबाग रेलवे स्‍टेशन पर खाने के पैकेट और पानी के लिए झीनाझपटी हुई थी
  • इसे देखते हुए रेलवे बोर्ड ने फैसला लिया है कि अब रेलवे श्रमिक स्पेशल में अब खाने की कमी पूरी करेगा
  • इसके लिए रेलवे बोर्ड ने प्रति श्रमिक 50 रुपये की मंजूरी दी है, भोजन कम होने पर रेलवे अधिकारी पूरा करेंगे

टीएन मिश्र, लखनऊ

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सफर करने वाले कामगारों को अब खाने-पानी की कमी नहीं होने दी जाएगी। अगर आईआरसीटीसी के खाने व नाश्ते की सप्लाई कम पड़ती है तो रेलवे अतिरिक्त इंतजाम करेगा। रेल मंत्रालय ने इसके लिए 50 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब अतिरिक्त खर्च की मंजूरी दे दी है। दूसरी ओर आईआरसीटीसी के कर्मचारियों की मदद के लिए रेलवे सुरक्षा बल को भी जवाबदेह बनाया जाएगा।

चारबाग स्टेशन पर शुक्रवार को नाश्ते के पैकेट व रेलनीर के लिए हुई झीनाझपटी का मामला सामने आने के बाद रेलवे बोर्ड ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। रेलवे बोर्ड के अपर सदस्य (वाणिज्य) एन मधुसूदन राव ने सभी महाप्रबंधकों से खाने को लेकर झगड़े को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। ऐसे मामले रोकने के लिए उन्होंने कोचों के अंदर ही फूड कार्टन रखकर खाने के पैकेट व पानी की बोतलें देने के आदेश दिए थे। उन्होंने आईआरसीटीसी कर्मचारियों की सुरक्षा व वितरण व्यवस्था बेहतर करने पर जोर दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि किसी भी हालत में श्रमिकों के खाने में कोई कमी न होने पाए। अगर अतिरिक्त व्यवस्था की जरूरत हो तो प्रिंसिपल चीफ कमर्शल मैनेजर खुद करवाएं।

यात्रियों को हो रही स्टेशन से घर जाने की मुश्किल

  • यात्रियों को हो रही स्टेशन से घर जाने की मुश्किल

    स्पेशल ट्रेन से आने वाले ये सभी यात्री राजधानी स्तर के ट्रेन का किराया देकर घर वापसी कर रहे हैं। अब उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वो पटना से सौ किलोमीटर या दो सौ किलोमीटर दूर अपने घर कैसे जाएं, क्योंकि इसके लिए कोई सरकारी इंतजाम नहीं है। स्पेशल ट्रेन से आने वाले हर यात्री के हाथ पर होम क्वारंटीन की मुहर लगाकर और घर में रहने की हिदायत देकर स्टेशन परिसर से बाहर निकाला जा रहा है। हालांकि, हाथ में होम क्वारंटीन का मुहर लगाए जाने के बाद पटना के दूसरे जिलों के यात्री अपने घर कैसे पहुंचेंगे, इसका कोई इंतजाम प्रशासन की ओर से नहीं किया गया है।इसे भी पढ़ें:- कोरोना संकट के बीच बिहार चुनाव पर CM नीतीश की पैनी नजर

  • सरकार की तरफ से दी गयी है सिर्फ ये छूट

    यात्रियों ने कहा कि बिहार में आते ही सरकार का लापरवाह रवैया देखने को मिल रहा है। हालांकि, सरकार ने इतनी छूट जरूर दी है कि किसी भी यात्री को लॉकडाउन के दौरान घर वापस जाने के लिए किसी तरह के पास की जरूरत नहीं होगी। बल्कि उनके कंफर्म रेल आरक्षण टिकट ही सड़क पर पास का काम करेंगे। इसके अलावा प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि आने वाले यात्री निजी वाहन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पटना के बाहर दूसरे जिले में जाने के लिए ट्रैवल एजेंसी के वाहन के जरिए भी अपने घर लौट सकते हैं।

  • यात्री खुद करें अपने घर जाने का इंतजाम

    यात्रियों को अपने घर जाने के इंतजाम खुद से करना होगा। साथ ही कोई यात्री अगर टैक्सी से दूसरे जिला स्थित घर वापसी कर रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में टैक्सी में ड्राइवर के अलावा दो ही व्यक्ति को बैठ के जाने की इजाजत होगी और उन्हें पूरे सफर के दौरान मास्क, ग्लव्स और सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना जरूरी होगा। घर पहुंचने पर वो टैक्सी डाइवर को अपने रेल आरक्षण टिकट की एक प्रति देंगे ताकि उस टैक्सी को वापस लौटने के दौरान दिक्कत नहीं हो।इसे भी पढ़ें:- लॉकडाउन: पटना एयरपोर्ट से फ्लाइट ने मुंबई के लिए भरी उड़ान

  • पटना हो या दिल्ली या फिर रांची, सभी जगह दिखी समस्या

    ऐसा भी नहीं है कि पैसे चुकाकर विशेष रेल के जरिए से घर वापसी करने वाले करने वाले यात्रियों को सिर्फ पटना में ही दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली से भी जो खबर निकल कर सामने आ रही है उसमें भी देखा जा रहा है कि दिल्ली तक तो लोग पहुंच गए। लेकिन दिल्ली से अलीगढ़, मेरठ, आगरा, पंजाब, हरियाणा जाने वाले यात्रियों की संख्या भी काफी अधिक है। अब वे दिल्ली स्टेशन के बाहर ही अपने घर वापस जाने के लिए सड़क पर घूम रहे हैं।

  • यात्रियों की ओर से की जा रही ये मांग

    इन यात्रियों को उनके घर जाने को लेकर सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई थी, लिहाजा ऐसे यात्री टैक्सी के जरिए घर पहुंचने की कोशिश करने लगे। लेकिन इस बुरे दौर में टैक्सी या दूसरे वाहन चालक जिस तरह से पैसों की मांग कर रहे हैं, वो मध्यम वर्ग के लोगों को सोचने पर विवश कर रहा है। जरूरत है सरकार कि ओर से इन यात्रियों के लिए व्यवस्था की जाए, क्योंकि यात्रियों का कहना है कि वो अपने घर जाने के लिए टैक्सी का जो वाजिब किराया होता है वो देने को तैयार हैं। लेकिन अपने स्तर पर टैक्सी बुक कराने पर अनाप-शनाप पैसे की मांग की जा रही है। ऐसे में अगर स्टेशन पर ही सरकार की ओर से टैक्सी उपलब्ध करा दी जाए तो यात्री कई परेशानी से बच सकते हैं।

डिवीजन की होगी जिम्मेदारी

अपर सदस्य ने कहा है कि अगर आईआरसीटीसी द्वारा दिए जाने वाला खाना-पानी कम पड़ता है तो रेलवे अधिकारी उसे अपने पास से पूरा करें। 50 रुपये प्रति यात्री खर्च करने के लिए जोनल रेलवे को अधिकृत किया गया है। उन्होंने वाणिज्य विभाग के अधिकारियों को भी पूरी व्यवस्था पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं।

रेलवे सुरक्षा बल को भी बनाया जवाबदेह

रेलवे बोर्ड ने आरपीएफ के महानिदेशक को निर्देश दिए हैं कि वह आईआरसीटीसी के कर्मचारियों की सुरक्षा के साथ ही ट्रेनों में सफर करने वाले श्रमिकों को कोच में ही खाने पीने की सामग्री उपलब्ध करवाने में सहयोग दें। मामले में आरपीएफ के डीजी ने देश भर के सभी वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वह सभी स्टेशनों पर खानपान सामग्री वितरण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को मेनटेन करें।

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Web Title now railway will look after food requirements in shramik special trains(News in Hindi from Navbharat Times , TIL Network)

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