हाल के दिनों में इंश्योरेंस कंपनियों के पास आने वाले क्लेम बढ़े हैं, इसलिए इन कंपनियों की बैलेंसशीट दबाव में है
टर्म इंश्योरेंस हो सकते हैं महंगे, प्रीमियम में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी संभव
कोविड-19 की वजह से पिछले कुछ दिनों के दौरान लाइफ इंश्योरेंस की मांग बढ़ गई है. खास कर टर्म इंश्योरेंस की. लिहाजा अब टर्म इंश्योरेंस के महंगा होने की संभावना बढ़ गई है. इंश्योरेंस इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक टर्म इंश्योरेंस का प्रीमियम 20 से 30 फीसदी बढ़ सकता है. पिछले लगभग छह साल से टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम बढ़े नहीं हैं. लेकिन अब बढ़ती आपदाओं की वजह से इसके ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है. वैसे भी इस वित्त वर्ष की शुरुआत से पहले ही कंपनियों ने प्रीमियम बढ़ाने की संभावना तलाशना शुरू कर दिया था.
खबरों के मुताबिक इंश्योरेंस मार्केट रेगुलटर इरडा से लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने बातचीत शुरू की है. उनका कहना है कि इंडस्ट्री पर वित्तीय दबाव काफी बढ़ गया है. लिहाजा प्रीमियम बढ़ाने की मंजूरी दी जाए. अगर इरडा इजाजत देता है तो टर्म इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ सकता है.
क्यों बढ़ सकता है प्रीमियम?
इंश्योरेंस कंपनियां कवरेज किसी आपदा की स्थिति में अपना घाटा कम करने के लिए अपना कवरेज रिस्क री-इंश्योरेंस कंपनियों के साथ साझा करती है. जब ऐसी आपदाओं की वजह से दावों की संख्या बढ़ती है तो इंश्येरेंस कंपनियां री-इंश्योरेंस कंपनियों का सहारा लेती हैं. इसके लिए उन्हें खर्च करना पड़ता है. एक तरह से री-इंश्योरेंस, इंश्योरेंस करने वाली कंपनी का इंश्योरेंस होता है. इस तरह इंश्योरेंस कंपनी अपना जोखिम कम करती है.
इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि पिछले दिनों उनके पास आने वाले क्लेम की संख्या काफी बढ़ी है. इससे उनकी बैलेंसशीट काफी दबाव में है. लिहाजा उन्हें वित्तीय दबाव से बचने के लिए प्रीमियम बढ़ाना पड़ सकता है.
क्या है टर्म इंश्योरेंस?
टर्म इंश्योरेंस पॉलसी लेने वाले की लाइफ कवर करता है.अगर पॉलिसी पीरियड के दौरान पॉलिसी होल्डर की मौत हो जाती है तो उसके लाभार्थी एकमुश्त रकम दी जाती है. अगर पॉलिसी अवधि खत्म हो जाने पर भी व्यक्ति जीवित रहता है तो उसे इंश्योरेंस मेच्योर होने पर कुछ नहीं मिलता. यह सिर्फ लाइव कवर के लिए होता है, इसमें कोई रिटर्न नहीं मिलता. इसलिए ये दूसरे प्लान की तुलना में सस्ता होता है.