सांसदों की लापरवाही की वजह से राज्यसभा को चुकाने होंगे 8 करोड़ रुपये, रेलवे ने पकड़ाया एक साल का बिल


सांसदों को टिकट कराने के लिए कैश पैसा नहीं देना पड़ता, बल्कि पास के ज़रिए टिकट मिल जाता है. जिसे बाद में रेलवे एक साथ राज्यसभा सचिवालय से लेता है.

नई दिल्ली: राज्यसभा के कुल 245 सांसदों में से क़रीब 55 सांसद ऐसे हैं, जो अनलिमिटेड मुफ़्त रेल टिकट सुविधा के मामले में डिफॉल्टर सांसद कहे जा सकते हैं. क्योंकि इन सांसदों ने साल 2019-20 में एक ही तारीख़ के 4 से अधिक टिकट कराए, लेकिन बिना अन्य तीन को कैंसिल कराए ही एक टिकट पर यात्रा की. सांसदों के इस ग़ैरज़िम्मेदाराना रवैये के कारण अब राज्यसभा को 8 करोड़ रुपये का नुक़सान हो रहा है.

सांसदों को मिलती है असीमित यात्रा की छूट

दरअसल राज्यसभा सांसदों को और पूर्व राज्यसभा सांसदों को रेलवे में नि:शुल्क असीमित यात्रा की सुविधा मिलती है, जिसका पूरा भार राज्यसभा सचिवालय को उठाना पड़ता है. इन सांसदों को पत्नी सहित एसी-1 में मुफ़्त यात्रा की सुविधा मिलती है. इसके अलावा इनके साथ यात्रा करने वाले एक अटेंडेंट को भी सेकेंड क्लास एसी कोच या एग्जीक्यूटिव क्लास में मुफ़्त यात्रा की छूट होती है.

टिकट कराते समय सांसदों को पैसा नहीं देना पड़ता

दरअसल सांसदों को टिकट कराने के लिए कैश पैसा नहीं देना पड़ता, बल्कि पास के ज़रिए टिकट मिल जाता है. जिसे बाद में रेलवे एक साथ राज्यसभा सचिवालय से लेता है. यही कारण है कि सांसद मनमाने ढंग से टिकट करा लेते हैं, जिनमें से अधिकतर टिकट पर यात्रा नहीं की जाती और न ही उन्हें कैंसिल कराया जाता है.

रेलवे ने पकड़ाया बिना यात्रा वाले टिकटों का बिल

साल 2019-20 में ऐसे टिकटों के लिए, जिन पर यात्रा नहीं हुई, लेकिन वो कैंसिल भी नहीं कराए गए, रेलवे ने राज्यसभा सचिवालय को 8 करोड़ रुपये का बिल भेजा है. ये सभी टिकट माननीय राज्यसभा सांसदों के हैं.

राज्यसभा और रेलवे के बीच नेगोशिएशन जारी

फ़िलहाल राज्यसभा सचिवालय ने ये बिल अदा करने से इंकार कर दिया है. राज्यसभा सचिवालय ने रेलवे से आग्रह किया है कि वो उन्हीं टिकटों का किराया वसूल करे, जिनपर सांसदों ने यात्रा की हो, लेकिन रेलवे नियमों का हवाला देते हुए इस बात पर क़ायम है कि जो टिकट कैंसिल नहीं कराए गए, उनका पैसा राज्यसभा सचिवालय को देना होगा. क्योंकि फ़िलहाल रेलवे के पास अपनी ओर से आम नागरिक और सांसदों में भेद करने का कोई नियम नहीं है. सांसदों को किराए में जो भी छूट रेलवे में दी जाती है, उसका भार राज्यसभा या लोकसभा सचिवालय वहन करता है. ऐसे में नियमतः देखें तो रेलवे का पलड़ा भारी है और राज्यसभा को सांसदों की लापरवाही के कारण ये 8 करोड़ रुपये का अनावश्यक बिल भरना पड़ेगा.

राज्यसभा ने सांसदों के लिए नियम बदला

मुफ़्त रेल टिकटों की सुविधा की आड़ में पैसों की इस बड़ी बर्बादी को देख कर अब राज्यसभा सचिवालय ने एक बुलेटिन जारी कर सांसदों को आगाह करते हुए कहा है कि उन्होंने अगर वांछित समय से पहले अतिरिक्त टिकटों को कैंसिल नहीं कराया तो ऐसे टिकटों का पैसा सांसदों से ही वसूला जाएगा.

ये सब जानकार आप चौंक जाएंगे

एक पूर्व राज्यसभा सांसद ने तो एक महीने में 63 रेल टिकट बुक कर लिए, जिनमें से सिर्फ़ 7 टिकटों का ही इस्तेमाल किया. और बाक़ी टिकटों को कैंसिल भी नहीं कराया. इस तरह राज्यसभा को इस एक माननीय के कारण 1,46,920 रुपये अतिरिक्त चुकाने पड़ रहे हैं. इसी तरह एक वर्तमान माननीय सांसद ने जितने टिकट कराए, उनमें से सिर्फ़ 15 फीसदी टिकटों पर ही यात्रा की. उनके द्वारा बर्बाद किए गए 85 फीसदी टिकटों का भुगतान अब राज्यसभा सचिवालय को करना है. इन क़रीब 55 वर्तमान और पूर्व सांसदों में ओपी यादव, वीपी निषाद, एलएन यादव, एनके दूबे और वीरेंद्र सिंह शामिल हैं, जिन्होंने एक ही दिन के चार से अधिक टिकट लिए थे.

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