Edited By Naveen Kumar Pandey | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
- चीन ने सतलज नदी से जुड़े आंकड़े 10 दिन पहले ही साझा करने शुरू कर दिए
- समझौते के मुताबिक चीन जल की मात्रा और इसके प्रवाह संबंधी आंकड़े भारत से साझा करता है
- ब्रह्मपुत्र और सतलज नदी से जुड़े ये आंकड़े क्रमश: 15 मई और 1 जून से अक्टूबर के अंत तक साझा होता है
नई दिल्ली
चीन ने तय समय से करीब 10 दिन पहले ही सतलुज नदी में जल की मात्रा और उसके प्रवाह से जुड़े आंकड़े भारत के साथ साझा करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी। मॉनसून के दौरान आंकड़े साझा करने की प्रक्रिया हर साल चलती है और उत्तर भारत में बाढ़ के संबंध में इनसे महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
तनाव के माहौल में चीन ने चौंकाया
दिलचस्प बात यह है कि चीन ने यह फूर्ति तब दिखाई जब भारत की पूर्वी और उत्तरी सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का हाल में आमना-सामना हुआ है। गुरुवार को ही भारत के विदेश मंत्रालय ने चीनी सैनिकों पर भारतीय पेट्रोलिंग टीम की ड्यूटी में अड़ंगा डालने का सीधा-सीधा आरोप लगाया। उधर, बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के शपथग्रहण समारोह में भी बीजेपी सांसदों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया है।
विदेश मंत्रालय ने साफ कहा, ‘चीन ने पेट्रोलिंग में डाली बाधा’
1 जून से अक्टूबर तक साझा होते हैं आंकड़े
अधिकारियों ने बताया कि सतलज नदी के संबंध में चीन त्साडा केन्द्र से प्राप्त आंकड़े साझा करता है। इस नदी को चीन में लांगकेन जांगबो के नाम से जाना जाता है। सिंधु की महत्वपूर्ण सहायक नदी सतलज का उद्गम तिब्बत में है और यह हिमाचल प्रदेश से भारत में प्रवेश करती है। इस साल चीन ने तय समय से करीब 10 दिन पहले 18-19 मई से ही आंकड़े साझा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक चीन ब्रह्मपुत्र और सतलज नदी में जल की मात्रा और इसके प्रवाह संबंधी आंकड़े क्रमश: 15 मई और 1 जून से अक्टूबर के अंत तक साझा करता है।
पढ़ें: ताइवान पर भारत का बड़ा कदम, क्या है इशारा
चीन के दिए आंकड़े भारत के लिए काफी अहम
अधिकारियों ने बताया कि हर साल बरसात के मौसम में चीन नदी में जल की मात्रा और उसके प्रवाह से जुड़े आंकड़े साझा करता है। भारत के लिए इन आंकड़ों की काफी अहमियत है क्योंकि इसके माध्यम से उत्तर, पूर्वोत्तर के राज्यों में बाढ़ की आशंका आदि का अनुमान लगाया जाता है। आंकड़े साझा करने से पहले दोनों देश यह देखते हैं कि क्या सिस्टम सही से काम कर रहा है। ब्रह्मपुत्र नदी के लिए आंकड़ा साझा करने का काम 15 मई से शुरू हुआ।