
नयी दिल्ली। मुंबई के आरे में पेड़ों को बचाने के लिए दी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच कर रही है। उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर निचली अदालत के फैसले को उलट दिया है। सुप्रीमकोर्ट के आदेश से आरे कालोनीवासियों और सामाजिक संगठनों ने काफी राहत महसूस की है।
बाम्बे हाईकोर्ट ने आरे के जंगल में लगे पेड़ों को काटने का आदेश दिया था। महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस की निगरानी में हजारों की संख्या में पड़ों को कटवा दिया है। इतना ही नहीं सरकार की इस कार्रवाई का विरोध कर रहे आदिवासियों और सामाजिक संगठनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। सुप्रीमकोर्ट ने यह आदेश किया कि पुलिस गिरफ्तार लोगों को तुरंत रिहा करे। महाराष्ट्र सरकार ने एससी का आदेश मानते हुए उन सभी 29 लोगों को जिसमे दो छात्र भी शामिल थे रिहा कर दिया।
मुंबई की आरे कालोनी के जंगल को लेकर सरकार और पर्यावरण संगठनों व आदिवासियों में ठन गयी है। इस संबंध में बाम्बे हाइकोर्ट ने सरकार की दलीलों को देखते हुए दूसरे पक्ष की दलीलों को नामंजूर कर कर दिया और आरे के जंगलों के पेड़ों को काटने का आदेश दिया था।
20.76 वर्ग किमी. में बसी आरे कालोनी को संजय गांधी नेशनल पार्क में एक अन क्लास्ड जंगल की श्रेणी में रखा गया था। इसे 1969 में प्रदेश सरकार के वनविभाग को ट्रांसफर कर दिया गया था। इस बारे में जो कागजात थे वो खो गये हैं यह बयान वनशक्ति एनजीओ ने गुरुवार को बंबई हाईकोट दिया था। इस पर अदालत ने सरकार को इन आरोपों के बारे में दो सप्ताह में सफाई देने को कहा था।