‘टूर ऑफ ड्यूटी’ के तहत युवाओं को तीन साल के लिए सेना में कार्यरत होना होगा. इसमें नौ महीने की मिलिट्री-ट्रेनिंग होगी. ये ठीक वैसे ही होगी जो किसी दूसरे सैनिक को मिलती है. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद उन्हें सेना की फॉरमेशन, छावनी या फिर सरहद पर तैनात
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