सोने की शुद्धता की ऐसे करें पहचान, जानें  क्या है हॉलमार्किंग और क्यों है जरूरी


सरकार ने सोने की शुद्धता के लिए हॉलमार्किंग सेंटर की ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगले साल से हॉलमार्क ज्वेलरी की बिक्री अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे में उपभोक्ताओं और कारोबारियों को परेशानी से बचाने के लिए हॉलमार्किग सेंटर की संख्या में इजाफा किया जा रहा है। इसके कई फायदे होंगे। आइए जानें हॉलमार्किंग क्या है और यह जरूरी क्यों है? साथ ही यह भी जानें कि इससे सोने की शुद्धता की पहचान कैसे की जाती है?

यह भी पढ़ें: सस्ता और फायदेमंद डिजिटल गोल्ड पर लट्टू हुए भारतीय, बॉन्ड-ईटीएफ की 50 फीसदी बढ़ी मांग

क्या है हॉलमार्किंग

हॉलमार्क सरकारी गारंटी है। हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है। हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है। भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है। सोने के सिक्के या गहने कोई भी सोने का आभूषण जो बीआईएस द्वारा हॉलमार्क किया गया है, उस पर बीआईएस का लोगो लगाना जरूरी है। इससे पता चलता है कि बीआईएस की लाइसेंस प्राप्त प्रयोगशालाओं में इसकी शुद्धता की जांच की गई है।

हॉलमार्किंग केन्द्र की मौजूदा स्थिति

  • 921 केन्द्र हैं हॉलमार्किंग के 234 जिलों में देशभर में वर्तमान में
  • 31 हजार ज्वेलर्स कर चुके हैं ऑनलाइन आवेदन हॉलमार्किंग के लिए
  • 05 लाख ज्वेलर्स के आने की उम्मीद हॉलमार्किंग के दायरे में
  • 2 ग्राम से कम वजन वाली ज्वैलरी पर हालमार्क जरूरी नहीं
  • 03 मानक 14,18,22 कैरेट की ज्वेलरी पर हॉलमार्क अगसे साल से अनिवार्य


 हॉलमार्क की पांच पहचान

  • असली हॉलमार्क पर बीआईएस का तिकोना निशान होता है
  • उस पर हॉलमार्किंग केन्द्र का लोगो होता है
  • सोने की शुद्धता भी लिखी होती है
  • ज्वैलरी निर्माण का वर्ष 
  •  उत्पादक का लोगो भी होता है

ऐसे करें शुद्धता की पहचान

  • 24 कैरेट शुद्ध सोने पर 999 लिखा होता है 
  • 22 कैरेट की ज्वेलरी पर 916 लिखा होता है 
  • 21 कैरेट सोने की पहचान 875 लिखा होना 
  • 18 कैरेट की ज्वेलरी पर 750 लिखा होता है 
  •  14 कैरट ज्वेलरी पर 585 लिखा होता है

ज्यादा महंगी नहीं होती हॉलमार्क ज्वेलरी

                       5                                                                             5                     10243

यह भी पढ़ें: Gold Price: सोना अभी और सस्ता हो सकता है, ऑल टाइम हाई से 4281 रुपये तक फिसला

हॉलमार्क की वजह से ज्यादा महंगा होने के नाम पर ज्वैलर आपको बगैर हॉलमार्क वाली सस्ती ज्वेलरी की पेशकश करता है तो सावधान हो जाइए। विशेषज्ञों का का कहना है कि प्रति ज्वेलरी हॉलमार्क का खर्च महज 35 रुपये आता है। सोना खरीदते वक्त आप ऑथेंटिसिटी/प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें। सर्टिफिकेट में सोने की कैरेट गुणवत्ता भी जरूर चेक कर लें। साथ ही सोने की ज्वेलरी में लगे जेम स्टोन के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट जरूर लें। 

यह भी पढ़ें: तनाव के बीच भारत से चीन के निर्यात में 78 फीसदी का उछाल

 क्यों जरूरी

उपभोक्ताओं को नकली उत्पादों से बचाने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरूरी है। हॉलमार्किंग का फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी यानी आपको सोने का वाजिब दाम मिलेगा। हॉलमार्किंग में उत्पाद कई चरणों में गुजरता है। ऐेसे में गुणवत्ता में किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश कर रहती है। साथ बाजार में सोने की खरीद-बिक्री पर नजर रखने में मददगार होता है। जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियां कई संस्थानों के आंकड़ों का मिलान कर गड़बड़ी का पता लगा सकती हैं।





Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here