घरेलू मोर्चे पर किसी बड़े घटनाक्रम के अभाव में इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा वैश्विक संकेतक तय करेंगे। इसके अलावा डेरिवेटिव्स अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव रह सकता है। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा, ”सप्ताह के दौरान 25 नवंबर को माह के डेरिवेटिव्स अनुबंधों के निपटान की वजह से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रह सकता है। साथ ही घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से निवेशक संकेतकों के लिए वैश्विक बाजारों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करेंगे।” 
     
सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी शोध प्रमुख येशा शाह ने कहा, ”तिमाही नतीजों का सीजन समाप्त होने के बाद दलाल पथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों से दिशा लेगा। किसी तरह के सकारात्मक उत्प्रेरक के अभाव में बाजार दबाव में रह सकता है।” उन्होंने कहा कि बाजार पर वैश्विक वृहद रुख का प्रभाव रहेगा, ऐसे में निवेशकों को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत होगी और आक्रामक रुख अपनाने के बजाय चुनिंदा  दृष्टिकोण का विकल्प चुनना होगा। 

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पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,050.68 अंक या 1.73 प्रतिशत टूट गया। शुक्रवार को ‘गुरु नानक जयंती’ के मौके पर बाजार बंद रहे। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ”आगे मुद्रास्फीतिक दबाव वैश्विक बाजारों के लिए चिंता का विषय रहेगा। ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका से भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी निकाली जा सकती है।” मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इसके अलावा रुपये की चाल, ब्रेंट कच्चे तेल का दाम और विदेशी संस्थागत निवेशकों का रुझान भी बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा।



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