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15 दिन में घर पहुंच जाएंगे सारे प्रवासी मजदूर? सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से मांगा प्‍लान

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15 दिन में घर पहुंच जाएंगे सारे प्रवासी मजदूर? सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से मांगा प्‍लान

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Edited By Deepak Verma | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

अब भी दूसरे राज्‍यों से घर पहुंच रहे मजदूर (फाइल फोटो)अब भी दूसरे राज्‍यों से घर पहुंच रहे मजदूर (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों के पलायन का मामला, जल्‍द घर पहुंचाने पर जोर
  • अदालत ने कहा, 15 दिन का वक्‍त दे सकते हैं ताकि राज्‍य कर लें सारे इंतजाम
  • रेलवे ने 3 जून तक चलाईं सवा चार हजार ट्रेनें, कुल मिलाकर करीब 1 करोड़ लोगों को पहुंचाया घर
  • सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के जिलेवार रजिस्‍ट्रेशन की बताई जरूरत, योजनाओं की जानकारी मांगी

नई दिल्‍ली

प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश दिया है। केंद्र और राज्‍य सरकारों को निर्देश देते हुए SC ने कहा कि हम प्रवास‍ियो को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय दे सकते हैं। SC ने कहा कि सभी प्रवासियों के राज्‍यवार और जिलेवार रजिस्‍ट्रेशन की जरूरत है। अदालत ने कहा कि उसे राज्‍यों में इनके लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी चाहिए। SC ने जब पूछा कि अभी कितने मजदूर फंसे हुए हैं तो केंद्र के वकील ने कोई आंकड़ा नहीं दिया। अदालत ने कहा कि यह सब बहुत वक्‍त से चल रहा है। हम 15 दिन का समय दे सकते हैं कि राज्‍य ट्रेनों की अपनी डिमांड पूरा सकें।
केंद्र ने दी उठाए गए कदमों की जानकारी

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को दायर हलफनामे के आधार पर कहा कि रेलवे ने 3 जून तक 4,228 श्रमिक स्‍पेशल ट्रेनें चलाई हैं। उन्‍होंने कहा कि लगभग एक करोड़ लोग अपनी मंजिल तक पहुंचे हैं। उत्‍तर प्रदेश में 1,695 ट्रेनें भेजी गईं। अधिकतर ट्रेनें यूपी और बिहार के लिए थीं। बसों के जरिए 41 लाख, ट्रेन के जरिए 57 लाख मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजा गया। मेहता ने कहा कि ‘मैंने केंद्र की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी देता एक हलफनामा फाइल किया है। यह सिर्फ आपकी आत्‍मा की संतुष्टि के लिए है कि एक वेलफेयर स्‍टेट के रूप में हम जो कर सकते थे, हमने किया है।’

वित्त मंत्रालय ने सभी नई योजनाओं पर लगाई रोकवित्त मंत्रालय ने सभी नई योजनाओं पर लगाई रोककोरोनावायरस के बीच देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए और खर्च की जरूरतों से निपटने के लिए वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों को वित्त वर्ष- 2021 में नई योजनाओं का प्रस्ताव देने से रोक दिया है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए इस वित्त वर्ष के लिए पहले से ही स्वीकृत योजनाओं पर भी मार्च -2021 तक रोक लगा दी है।

महाराष्‍ट्र ने सिर्फ एक ट्रेन मांगी?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाराष्‍ट्र को लेकर सवाल-जवाब हुए। SG के मुताबिक, महाराष्‍ट्र सरकार ने केवल एक ट्रेन मांगी है जो बात अदालत के गले नहीं उतरी।

SG तुषार मेहता– हमने राज्यों से पूछा है कि कितने मजदूरों को शिफ्ट करने की ज़रूरत है और कितने ट्रेन की ज़रूरत है। राज्यों ने हमे ये जानकारी उपलब्ध कराई है। उसके आधार पर चार्ट तैयार किया गया है। अभी 171 ट्रेन की और ज़रूरत है।

सुप्रीम कोर्ट– आपके चार्ट के मुताबिक क्या महाराष्ट्र ने एक ही ट्रेन की मांग की है?

SG-हां, 802 ट्रेन पहले ही महाराष्ट्र से चला चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट-यानि हम ये मानें कि कोई और शख्स महाराष्ट्र से नहीं जाना चाहता।

SG– जी, राज्य सरकार ने हमे बताया है। राज्यों से मांग आने पर 24 घंटे के अंदर हम ट्रेन उपलब्ध करा रहे हैं।

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दिल्‍ली से नहीं जाना चाहते प्रवासी?

दिल्‍ली सरकार की नुमाइंदगी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने अदालत को बताया कि राष्‍ट्रीय राजधानी में अभी भी करीब दो लाख मजदूर हैं। उन्‍होंने कहा, “वे वापस नहीं जाना चाहते। 10 हजार से भी कम वर्कर्स ने अपने घर वापस जाने की इच्‍छा जताई है।”

यूपी में बाहर के सिर्फ 3,206 लोग बचे!

यूपी की तरफ से पी नरसिम्‍हा राव ने कहा कि मजदूरों की यात्रा और भोजन के पैसे कभी नहीं लिए गए। जो बाहर से आए थे उन्‍हें वापस भेजना था। इसके लिए 104 स्‍पेशल ट्रेनें दी गईं जिनमें एक लाख से ज्‍यादा लोग भेजे गए। यूपी सरकार के मुताबिक, सिर्फ 3,206 प्रवासियों को भेजना बाकी है। अदालत में बताया गया कि देशभर से यूपी में 21.69 लाख प्रवासी वापस लौटे जिनमें से 5 लाख से ज्‍यादा अकेले दिल्‍ली से थे।

जहां लौटे ज्‍यादा प्रवासी, केसेज तेजी से बढ़े

  • जहां लौटे ज्‍यादा प्रवासी, केसेज तेजी से बढ़े

    कई राज्यों में प्रवासी मजदूरों की वापसी के बाद से कोरोना मामलों में 30 से 80 फीसदी का उछाल देखा गया है। प्रवासियों की वापसी के साथ राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में कोरोना के कुल मामले शहरी क्षेत्रों में मुकाबले ज्यादा हो गए हैं।

  • शहरों के बाद अब महाराष्‍ट्र के गांवों में फैला कोरोना

    महाराष्‍ट्र के ग्रामीण इलाकों में पहले कोरोना वायरस के मामले बेहद कम थे। अब उन इलाकों में मामले शहरों और अर्द्धशहरी इलाकों से भी ज्‍यादा तेजी से बढ़ रहे हैं।

  • ओडिशा के गंजम में 2 मई तक 0, अब 499 केस

    ओडिशा में अब तक करीब 4.5 लाख मजदूर दूसरे राज्यों से वापस आए हैं। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा समय में 80 फीसदी कोरोना केस अब ग्रामीण इलाकों के ही हैं। समस्या का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जिस गंजम जिले में 2 मई तक कोरोना का एक भी केस नहीं था वहां अब 499 मामले हैं और 3 मरीजों की मौत हो चुकी है।

  • कई राज्‍यों में ऐसा ही ट्रेंड

    राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में कोरोना के कुल मामले शहरी क्षेत्रों में मुकाबले ज्यादा हो गए हैं। चिंता की बात ये है कि यह ट्रेंड सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं है।

  • यूपी के 70 फीसदी कोरोना केस प्रवासी मजूदर

    उत्तर प्रदेश में करीब 30 लाख प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से वापस आए हैं। ऐक्टिव मामलों को देखें तो बस्ती और अमेठी जैसे छोटे जिले क्रमशः दूसरे और तीसरे पायदान पर आ गए हैं। 2 जून तक बस्ती में कोरोना के ऐक्टिव मामलों की संख्या 183 थी और अमेठी में ऐक्टिव केस 142 थे। यूपी के आंकड़ों से साफ है कि प्रवासी मजदूरों की वापसी के साथ कैसे कोरोना के मामलों में तेजी आई है। 2 जून तक राज्य के 3324 ऐक्टिव मामलों में से 70 फीसदी प्रवासी मजदूरों से जुड़े थे।

  • आंध्र में प्रवासी मजदूरों ने बढ़ाई परेशानी

    आंध्र प्रदेश में एक महीने पहले तक कोरोना के करीब 90 फीसदी मामले शहरी क्षेत्रों से ही मिल रहे थे। हालांकि अब ग्रामीण इलाकों से भी तेजी से केस सामने आने लगे हैं। अधिकारी इसके पीछे प्रवासी मजदूरों की आवाजाही को जिम्मेदार मानते हैं।

  • रोज बन रहा नए केसेज का रेकॉर्ड

    गुरुवार को पिछले 24 घंटों के दौरान रेकॉर्ड 9,304 केस सामने आए। बुधवार को ही 8,909 केस आए थे। एक जून से रोज आठ हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। इस महीने के चार दिनों में अब तक 34,781 केस आ चुके हैं।

‘हर गांव को पता हो कितने बाहर से आए’

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि ‘अब हर गांव को पता होना चाहिए कि कितने प्रवासी कहां से आए हैं ताकि रोजगार की योजनाएं शुरू की जा सकें।’ बिहार सरकार की तरफ से कहा गया कि उन्‍होंने 10 लाख लोगों की मैपिंग कर ली है और जल्‍द ही उनके रोजगार की व्‍यवस्‍था की जाएगी। पश्चिम बंगाल ने बताया कि उसके 6 लाख मजदूर अभी पहुंचने बाकी हैं।

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