कोरोना के इलाज में गंभीर मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी कारगर नहीं है। इससे मृत्यु दर को कम नहीं किया जा सकता है। एम्स ने 30 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी देकर परीक्षण किया है, जिसमें यह बात सामने आई। एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया की माने तो 30 मरीजों के परीक्षण में एक वर्ग के मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई थी, दूसरे वर्ग के मरीजों को सामान्य उपचार दिया गया।
यह सामने आया कि दोनों वर्ग के मरीजों की मृत्यु दर में कोई अंतर नहीं था। यह केवल एक अंतरिम विश्लेषण है। प्लाज्मा के इस्तेमाल के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी होनी चाहिए। एम्स मेडिसिन विभाग के डॉ. मनीष सुनेजा का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी को लेकर आईसीएमआर ने भी देशभर में परीक्षण कराया है, जिसके परिणाम अभी आना बाकी है। अमेरिका और चीन में भी परीक्षण किए गए है।
बता दें कि कोविड-19 मरीज स्वस्थ होने के 14 दिन बाद प्लाज्मा दान कर सकते हैं। उनकी उम्र 18 से 60 साल के बीच में होनी चाहिए और वजन 50 किलोग्राम से कम नहीं होना चाहिए। महिलाएं जो अपने जीवन में कभी गर्भवती रही हैं, वह प्लाज्मा दान नहीं कर सकती हैं। वहीं डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर और हार्ट, लिवर और लंग्स की बीमारी वाले लोग प्लाज्मा दान नहीं कर सकते हैं।
दिल्ली में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के 1,299 नये मामले सामने आये, जिससे शहर में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1.41 लाख से अधिक हो गई। वहीं, मृतक संख्या बढ़कर 4,059 हो गई। यह जानकारी प्राधिकारियों ने दी। नवीनतम बुलेटिन के अनुसार, पिछले 24 घंटे में 15 मरीजों की संक्रमण से मौत हो गई।
बुधवार को 1,076 नए मामले सामने आए थे और 11 मरीजों की मौत हुई थी। बुलेटिन के अनुसार, उपचाराधीन मरीजों की संख्या बृहस्पतिवार को बढ़कर 10,348 हो गई, जो कि कल 10,072 थी। गत 23 जून को राष्ट्रीय राजधानी में एक दिन में सबसे अधिक 3,947 नये मामले सामने आये थे।