Edited By Vishnu Rawal | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
नई दिल्ली
कोरोना वायरस से जूझ रहे देश के सामने एक नई समस्या आ खड़ी हुई है। यह समस्या बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात के कारण उठने वाले तूफान के रूप में खड़ी है जिसे अम्फान (amphan cyclone) नाम दिया गया है। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में यह तूफान तबाही मचा सकता है। अम्फान तूफान को लेकर क्या तैयारियां हैं और इन तूफानों का नाम आखिर कैसे रखा जाता है, यह आप यहां जानिए
200 किलोमीटर प्रति घंटा से चलेंगी रफ्तार
अम्फान तूफान आनेवाले दिनों में कितना घातक रूप ले सकता है इसका अंदाजा इसकी रफ्तार से लगाएं। बताया जा रहा है कि 19 मई तक इसकी रफ्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटा की हो सकती है। इसकी वजह से ओडिशा, बंगाल में दो दिनों तक भारी बारिश भी होगी। 20 मई तक यह दोनों राज्यों को पार करेगा। चक्रवाती तूफान की गति और क्षमता को देखते हुए राज्य सरकार ने आज दिन में केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि वह अम्फान के रास्ते से होकर गुजरने वाली सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को अस्थाई रूप से स्थगित कर दे।
तूफान के कारण दक्षिण और बंगाल की खाड़ी तथा अंडमान सागर में समुद्र की स्थिति खराब से बेहद खराब रहने वाली है, ऐसे में सरकार ने मछुआरों को चेतावनी दी है कि वह 18 मई से लेकर समुद्र में या ओडिशा के समुद्री तटों पर ना जाएं। पश्चिम बंगाल के मछुआरों को भी चेतावनी दी गई है कि वे 18 से 21 मई के बीच बंगाल की खाड़ी या पश्चिम बंगाल-ओडिशा के तटवर्ती क्षेत्रों में ना जाएं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, पिछले छह घंटे से बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी भाग और आसपास के क्षेत्रों के ऊपर बना निम्न दबाव का क्षेत्र अब तूफान अम्फान का रूप ले चुका है। पटनायक ने चक्रवात को लेकर राज्य की तैयारियों का जायजा लिया। मौसम विभाग के अनुसार, यह तूफान 17 से 20 मई तक राज्य में रहेगा।
कैसे रखें जाते हैं तूफानों के नाम
भारतीय मौसम विभाग ने हाल में 169 नामों की लिस्ट जारी की है जो आनेवाले वक्त में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठनेवाले तूफानों को दिए जा सकते हैं। तूफानों के नाम रखने की मुख्य वजह है कि इनको लेकर आम लोग और वैज्ञानिक स्पष्ट रह सकें। क्या आप जानते हैं कि इन तूफानों का नामकरण कैसे होता है?
तूफानों का नाम रखने की जिम्मेदारी उस क्षेत्र के मौसम विभाग की ही होती है जहां से तूफान शुरू होता है। दुनिया में 6 रीजनल स्पेशलाइजड मेट्रोलॉजिकल सेंटर हैं। इसमें से भारत का मौसम विभाग (IMD) एक है। बंगाल की खाड़ी, अरब सागर में उठनेवाले तूफानों के नाम की जिम्मेदारी भारत की ही है। अटलांटिक क्षेत्र में तूफानों के नामकरण की शुरुआत 1953 की एक संधि से हुई। हालांकि, हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था 2004 में शुरू की। इन आठ देशों में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। 2018 में इसमें ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन को भी जोड़ा गया।
मौसम विभाग ने तूफानों के लिए 169 नाम पिछले महीने फाइनल किए हैं। इसमें सभी 13 देशों से 13 नाम शामिल हैं। अम्फान पिछली लिस्ट में भी था, लेकिन तब इसका इस्तेमाल नहीं हुआ था तो इसलिए इसका इस्तेमाल अब किया गया है।
काफी चर्चा में रहे तूफान हेलेन का नाम बांग्लादेश ने, नानुक का म्यांमार ने, हुदहुद का ओमान ने, निलोफर और वरदा का पाकिस्तान ने, मेकुनु का मालदीव ने और हाल में बंगाल की खाड़ी से चले तूफान ‘तितली’ का नाम पाकिस्तान द्वारा दिया गया है।