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भाजपा व एनडीए से कोई संबंध नहीं
जहां भाजपा अपने कुनबे एनडीए को एकजुट करने की जीतोड़ मेहनत कर रही है वहीं दक्षिण भारत में उसे बहुत जबरदस्त झटका लगा है। अभी तक एनडीए में एआईएडीएमके शामिल था लेकिन उसने साफ तौर पर यह ऐलान कर दिया है कि उसका भाजपा व एनडीए से कोई संबंध नहीं रहा है। वो एनडीए से अलग हो गया है। ये सब सनातन धर्म पर हुई विवादित टिप्पणी के बाद हुआ है। एआईएडीएमके के नेता जय कुमार ने साफ करते हुए कहा कि वो भाजपा के रवैये से काफी नाराज है और वो अपना समर्थन वापस ले रहे हैं। काफी समय से एआइडीएमके भाजपा के बयानों से नाराज चल रहा था। तमिलनाडु बीजेपी चीफ के उन्नमलाई एआईएडीएमके नेताओं के बारे में विवादित बयान देने से बाज नहीं आ रहे है। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम जे ललिता और महान अन्नादुरै के बारे में अनाप शनाप बयान दिये जिसे पार्टी बर्दाश्त नहं कर सकती है। इससे एआईएडीएमके नेताओं में भारी रोष था लेकिन सनातनी मामले ने तूल इतना पकड़ा कि पार्टी ने साफ कर दिया कि वो अब एनडीए के पार्टनर नहीं इससे पीएम मोदी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। उनका तीसरी बार पीएम बनने का सपना चूर चूर होता दिख रहा है। अब बीजेपी का दक्षिण भारत से पूरी तरह सफाया हो गया है।
पिछले आम चुनाव में एनडीए को मिली थी 15 सीटें
2019 में हुए आम चुनाव में एनडीए को 39 में 15 सीटें मिली थी। तब एआईएीएमके एनडीए में शामिल था। लेकिन अब वो एनडीए से अलग होने का निर्णय कर चुका है। इसलिये दक्षिण भारत में एनडीए का कोई पार्टनर नहीं रह गया है। यूं भी कहा जा सकता है कि साउथ इंडिया में अब पीएम मोदी का समर्थन करने वाला कोई नहीं रह गया है। इसका असर आगामी आम चुनाव में देखने को मिलेगा। यह भी कहा जा सकता है कि दक्षिण भारत में भाजपा का पूरा सफाया हो गया है। इसी साल कर्नाटक में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा सरकार को धूल चटाते हुए प्रचंड बहुमत की सरकार बना ली है। इससे भाजपा को भारी झटका लगा था। अभी वो कर्नाटक के झटके से उबरे भी नहीं थे कि एआईएडीएमके ने जोर का झटका जोर से दिया है।
तमिलनाडु में किसका प्रभाव
यह बात जग जाहिर है कि दक्षिण भारत में क्षेत्रीय राजनीतिक दल डीएमके और एआईएडीएमके का ही प्रभुत्व है। इसके अलावा कुछ छोटे मोटे दल हैं जो अपने अपने इलाकों में प्रभावी हैं। लेकिन प्रमुख दलों में सत्ताधारी दल डीएमके और एआईएडीएमके ही हैं जो प्रदेश में सत्ता पर कब्जा करती रहती है। कांग्रेस का भी बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं हैं उसका गठबंधन डीएमके के साथ है। लेकिन भाजपा का भी तमिलनाडु में जीरो प्रभाव है। पिछले आम चुनाव तक उनका एआईएडीएमके के साथ समझाौता था। लेकिन पिछले कुछ समय से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई एआईडीएमके पर लगातार विवादित बयानबाजी कर रहे थे।

इस बात को लेकर पूर्व सीएम ईपीएस पलानीस्वामी ने दिल्ली आकर गृहमंत्री अमित शाह और अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकत कर मामले को सुलझाने की कोशिश की लेकिन मामला सुलझने के बजाय बिगड़ गया । सनातन विवादित बयान को लेकर एआईएडीएमके और एनडीए के बीच दूरियां बढ़ती रही आखिर कार एआईएडीएमके नेता डी जयकुमार ने साफ कर दिया कि वो अब एनडीए में नही है। उन्हेंने एनडीए से रिश्ता तोड़ दिया है। आगामी लोकसभा चुनाव में वो अलग से चुनाव लड़ेंगे। हमारे यहां बीजेपी का कोई वजूद नहीं है। श्री जयकुमार ने कहा कि बीजेपी चीफ के अन्नामलाई हमारे महान द्रविड़ नेता अन्नादुरै के बारे में विवादित बयान देकर अपमान करते हैं ये हम बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।