#BJP updates# Indian Politics# PM Modi News# Bihar Politics# Maharashtra politics#UP Politics# Nexon News#
आप यह मानते होंगे कि भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टियों में एक है। करोड़ों की संख्या में उसके कार्यकर्ता हैं। सोशल मीडिया के जरिये वो पूरे विश्व में अपनी दखल बनाने में सफल है। अगर मैं कहूं कि यह सब बकवास है भाजपा देश की सबसे कमजोर और सिद्धांतविहीन पार्टी है तो आप हैरान हो जायेंगे। वर्तमान भाजपा एक स्वार्थी और घटिया सोच वाली पार्टी बन गयी है। अक्सर लोग चर्चा करते हैं कि अब यह पहले वाली बीजेपी नहीं रह गयी है। पिछले दस सालों में बहुत सारे भाजपा नेताओं को निष्क्रिय कर उन्हें राजनीति से बाहर का रास्ती दिखा दिया गया है। सिर्फ ऐसे लोगों को पार्टी में खास पदों पर बैठा दिया गया है जो सिर्फ यस मैन हैं। यह माना जाता है कि पीएम मोदी और अमित शाह भाजपा को हाई जैक कर लिया है। लाल कृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी,शांता कुमार और यशवंत सिन्हा जैसे दिग्गज नेताओं को साइड लाइन कर दिया गया। उनकी जगह अपने खास नेताओं को पार्टी के उच्च पदों पर बैठा दिया।
बहुत सारे नेताओं यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का दामन थाम रखा है। लेकिन यह भी सच है कि जो इमेज भाजपा की दस साल पहले थी अब वो खत्म हो गयी है। पहले लोग भाजपा को एक राष्ट्रीय नैतिकता व सिद्धांतवादी पार्टी मानते थे लेकिन अब वो एक विस्तारवादी पार्टी के रूप में जाना जा रहा है। सत्ता के लिये साजिशों के लिये भाजपा कुख्यात हो गयी है। यही वजह है कि उसकी लोकप्रियता तो बढ़ी लेकिन छवि पर दाग देखे जा रहे हैं। सत्ता के लिये नैतिकता की बलि दे कर विपक्ष को कुचलने की साजिशें रची जा रही हैं। कहने को तो भाजपा की देश में डेढ दर्जन प्रदेशों में सरकारें बनाने में सफल हुई है लेकिन इसके लिये उन्होंने विपक्षी दलों के विधायकों और सांसदों को बिकने पर मजबूर कर दिया और गैर भाजपा प्रदेशों में अपनी सरकारें बनायी हैं। भाजपा का एकमात्र मंत्र जोर से बोलो, झूठ बोलो लगातार बोलो। इसके साथ मीडिया के साथ मिलकर विरोधी दलों के नेताओं का चरित्र हनन करना फेक खबरें फैलाना भाजपा के आईटी सेल का मुख्य काम रह गया है।
केवल गुजरात और मध्यप्रदेश में भाजपा मजबूत
गुजरात और मध्यप्रदेश में यह माना जा सकता है कि वहां भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है। वहां पिछले तीन दशकों से भाजपा की ही सरकार बन रही है। लेकिन यह नहीं कि वो अपने दम पर बन रही हैं वहां भी भाजपा कांग्रेस के नेताओं पर निगरानी रखती है और मौका पाते ही उसे अपने पाले में खींच लेती है। बिना कांग्रेसी विधायकों और सांसदों के भाजपा का खाना हजम नहीं होता है। पिछले अम चुनाव से पहले भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस के अनेक नेताओं ने पाला बदल कर भाजपा का दामन लिया था। कांग्रेस के लिये बड़ी समस्या तो यह है कि पहले अपने उम्मीदवारों को जनता से चुनवाओ बाद में उन्हें भाजपा से बचाना पड़ता है। लेकिन जब बिकने को लोग तैयार हैं और खरीदार तैयार बैठा है तो क्या किया जा सकता है। 2018 में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में भाजपा को हरा कर सत्ता पर कब्जा किया था। लेकिन ढायी साल बाद ही मध्यप्रदेश में भाजपा ने आपरेशन कमल चला कर कांग्रेस की सरकार को गिरा दिया। इसमे कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गद्दारी कर शिवराज की सरकार बनवा दी। सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के दो दर्जन विधायकों को सरकार से बागी बना कर भाजपा में शामिल करा दिया। यह पहली बार नहीं हुआ जब भाजपा ने गोवा, उत्तराखंड, कर्नाटक, मणिपुर और महाराष्ट्र में भी कुछ ऐसे ही कुचक्र रच कर सत्ता पर कब्जा किया है।
यूपी में भाजपा की हालत सबसे ज्यादा खस्ता
यूपी में भाजपा ने दूसरी बार सरकार जरूर बनायी है लेकिन फिलहाल पार्टी की हालत सबसे ज्यादा खराब है। हालात यह हैं कि इसी साल पिछले आम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इंडिया गठबंधन के आगे भाजपा बिल्कुल टिक नहीं पायी और 62 सीटों से फिसल कर 33 पर आ गयी। समाजवादी पार्टी ने इतिहास रचते हुए 37 सीटों पर जीत हासिल की है। विश्व में अपनी विजय पताका फहराने वाली भाजपा की हालत यूपी में काफी पतली हो गयी है। हालात यह हैं कि ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद जैसे छुटभैये नेताओं की धौंस भी मोदी शाह को सुननी पड़ रही है।
बिहार में भी भाजपा को नितीश का ही सहारा
मोदी शाह और भाजपा को बिहार मेंं केवल जेडीयू के प्रमुख नितीश कुमार का ही सहारा है। उसका बड़ा कारण यह है कि बिहार में भाजपा का कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसे वो मुख्यमंत्री का प्रोजेक्ट कर सकें। यही वजह है कि बिहार में वो नितीश कुमार के कंधों पर सवार हो कर सत्ता चला रहे हैं। इतना ही नहीं नितीश के अलावा वो चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाह जैसे लोगों को भी एनडीए में जगह मिली हुई है। इनके भी नखरे उठाने पड़ रहे हैं। नितीश कुमार पिछले 20 से अधिक सालों से सीएम की कुर्सी से चिपके हुए हैं। वहां इनके रहते भाजपा की दाल गलने वाली नहीं है। भाजपा ऐसी हालात में नहीं कि अपने बल पर बिहार में सरकार बना सके। वहां नितीश कुमार भाजपा के लिये सांप छछूंदर वाली हालत में हैं न वो नितीश को उगल पा रहे हैं और न निगल पा रहे हैं।
महाराष्ट्र में भी भाजपा की बैंड बजी
यह देखा जा रहा है कि पूरे देश में भाजपा अपनी विश्वि में विजय पताका फहराने की डींग मारने में जुटी रहती है लेकिन महाराष्ट्र्र में उसकी इज्जत दांव पर लगी हुई है। महाराष्ट्र में पिछले ढायी साल से महायुति की सरकार चल रही है जिसमें शिवसेना शिंदे और एनसीपी अजित के सहयोग से सरकार चल रही है। दिलचस्प बात यह है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी एकनाथ शिंदे को सीएम बनाना पड़ा है। उसकी वजह है कि भाजपा के 106 विधायक होने के बाद भी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती है। इससे पहले भाजपा और शिवसेना का गठबंधन पिछले 25 साल से चल रहा था लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में सीएम पद को लेकर विवाद हुआ और सत्ता की ताकत के लिये आपस में दरार बढ़ गयी और 25 साल पुराना गठबंधन टूट गया और भाजपा सत्ता से बाहर हो गयी। इसी वजह से भाजपा ने शिवसेना को तोड़ कर अपना बदला ले लिया। इसके साथ शिवसेना शिंदे गुट के साथ मिलकर महाराष्ट्र में अपनी सरकार बना ली। इसी तर्ज पर एनसीपी के साथ भाजपा साजिश कर उनकी पार्टी को तोड़ दिया। उनके भतीजे अजित पवार को अपने साथ अपनी सरकार में शामिल कर लिया। अब महाराष्ट्र में भाजपा को एकनाथ शिंदे और अजित पवार के नखरे उठाने पड़ रहे हैं। हालात यह है कि भाजपा किसी भी सूरत में महाराष्ट्र की सत्ता खोना नहीं चाहती है। अगर सोचें तो भाजपा सबसे मजबूत नहीं सबसे मजबूर राजपनीतिक दल है।