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भाजपा ने दलबदलुओं के सहारे जीता चुनाव
दिल्ली विधानसभा के चुनाव का परिणाम आ गया। आम आदमी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया और भाजपा ने 27 साल बाद भाजपा का वनवास भी खत्म हो गया।

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Delhi CM Arvind Kejriwal and Dy CM Manish Sisodiya takes on BJP Leader and candidate Pragya Thakur

इस चुनाव में आप के अरविंद केजरीवाल समेत मनीष सिसोदिया समेत सौरभ भरद्वाज, सतेंद्र जैन समेत लगभग सभी दिग्गज नेता चुनाव हार गये। केवल सीएम आतिशी, गोपाल राय, पूजा बाल्यान और अमानुतल्लाह ही अपनी साख बचाये दिखे। वहीं भाजपा के दिग्गज नेता दुष्यंत गौतम और रमेश विधूड़ी ही चुनाव नहीं जीत पाये। वैसे विधूड़ी का चुनाव हारना लगभग तय था। लेकिन गौतम का चुनाव हारना चिंता का विषय भाजपा के लिये हो सकता है। लेकिन चर्चा यह है कि आला कमान के इशारों पर गौतम को हरवाने की साजिश बतायी जा रही है।
भाजपा को थामने वालों की मौज
अभिषेक श्रीवास्तव के अनुसार कहा जा सकता है कि रमेश बिधूड़ी और दुष्यंत गौतम को ऊपर से हरवाया गया है। दुष्यंत मुख्यमंत्री का सबसे संभावित चेहरा थे और रमेश दिल्ली भाजपा में बार बार विवाद पैदा करने वाली जड़, भाजपा ने दोनों से मुक्ति पा ली। जिन्हें लगता है कि इस चुनाव के नतीजों का कोई पैटर्न है या फिर भाजपा की हवा थी और आप के खिलाफ गुस्सा, उन्हें छतरपुर की सीट देखनी चाहिए। यहां आप से पांच साल विधायक रहा आदमी भाजपा से प्रत्याशी बन कर जीत गया जबकि भाजपा का आदमी आप से टिकट लेकर हार गया।
चुनाव आयोग का नकारा और निठल्लापन
इसी तरह, चुनाव में पैसे का खेल भी बहुत जटिल है। सबसे अमीर आप विधायक धर्मपाल लकड़ा कांग्रेस से लड़कर हार गया जबकि करीब उतना ही अमीर नेता मनजिंदर सिरसा अकाली से भाजपा में आकर जीत गया। जिन्हें चुनाव का काम से रिश्ता दिखता है, उन्हें शाहदरा की तरफ देखना चाहिए। यहां भाजपा के नेता रहे जितेंद्र सिंह शंटी ने कोविड के दौरान खूब सामाजिक सेवा कर के नाम कमाया था लेकिन आप में आते ही वे उससे लड़कर हार गए। बगल में दिलचस्प घटना हुई कि कभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अरविंदर लवली भाजपा में जाकर जीत गए।
दलबदलुओं में कोई जीता कोई हारा
मनीष सिसोदिया को हराने वाले तरविंदर मारवाह कांग्रेस से भाजपा आए और जीत गए। इसी तरह राजकुमार चौहान कांग्रेस से भाजपा में आए और मंगोलपुरी से जीत गए। ये लोग कांग्रेस से लड़ते तो हार जाते। इससे क्या मतलब निकाला जाय? चुनाव से पहले टिकट पाने के लिए दल बदलने वालों का ट्रेंड देखते हुए कहा जा सकता है कि आप से कांग्रेस और आए गए लोगों को औसतन नुकसान हुआ जबकि कांग्रेस से भाजपा में आए लोग लाभ में रहे। वहीं, आप से भाजपा में आए सभी को बराबर लाभ नहीं मिला।

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