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संवैधानिक संस्थाओं ने जिता दिया भाजपा कोअरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया हारे
दिल्ली की राजनीति में भूचाल देखा जा रहा है। दिल्ली विधान सभा चुनाव में आमआदमी पार्टी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आप के स्टार नेता अरविंद केजरीवाल सतेंद्र जैन, सोमनाथ भारती, सौरभ भरद्वाज और मनीष सिसोदिया भी चुनाव हार गये हैं। वहीं सीएम आतिशी मामूली अंतर से जीत गयी हैं। वहीं प्रवेश सिंह वर्मा ने आप संयोजक केजरीवाल को हराते हुए जीत हासिल की है। इस चुनाव परिणाम का सबसे बुरा असर आम आदमी पार्टी पर दिख रहा है।
मीडिया और भाजपा ने आप को भ्रष्टाचारी बनाया
भाजपा की इस जीत में जितना हाथ गोदी मीडिया का रहा है उतना ही हाथ चुनाव आयोग का भी माना जाता है। गोदी मीडिया ने भाजपा की साजिश में खुल कर सामने से योगदान किया। भाजपा जनता में यह साबित करने में सफल रही आम आदमी पार्टी भ्रष्टचारी पार्टी है। उसकी सरकार और पार्टी के नेता भ्रष्ट और रिश्वतखोर हैं। देश अदालतों से भी आप नेताओं और मंत्रियों को बेल भी बहुत ही मुश्किल से मिली थी। इस बात को भी भाजपा जनता में यही कह कर बदनाम करने से बाज नहीं आती थी। दस सालो की सरकार के पीछे इनकंबेसी भी हो सकती है। भाजपा ने जिस तरह से दिल्ली शराब घोटालेे को और शीशमहल को जनता के बीच में करप्शन का मुद्दा बनाने में सफल रही है। भाजपा ने साबित कर दिया है कि जब तक केन्द्र मे मोदी और शाह की जोड़ी है तब तक देश में कोई राजनीतिक चुनाव भाजपा हार नहीं सकती है। ये बात हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में साबित हो गयी है। इस जीत से भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तो अरंविंद केजरीवाल और आप को किनारे लगा दिया है वहीं कांग्रेस को उसकी औकात पर ला दिया है। तीसरी बार कांग्रेस का दिल्ली में खाता भी नहीं खुल पाया है।
आप का वजूद पर सवालिया निशान
पार्टी को किस तरह बचाया जाये ये सवाल केजरीवाल के लिये यक्ष प्रश्न दिख रहा है। वहीं कांग्रेस के लियेे इस चुनाव में हाथ खाली रहे। राहुल प्रियंका के चुनाव प्रचार के बाद भी उनकी पार्टी के हाथ कुछ नहीं लगा है। यह भी चर्चा हो रही है कि आम आदमी पार्टी जो दुर्गति हुई है उसमे कांग्रेस की अहम् भूमिका रही है। जहां मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतार कर आप के लिये मुसीबतें पैदा कर दीं। अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा अब आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केलरीवाल विधायकों को या तो भाजपा ज्वाइन करने पर मजबूर कर देगी या उन्हें जांच एजेंसियों के शिकंजे में फंसाने में जुट जायेगी। फिलहाल कुछ सीटों पर मत गणना जारी है। दिलचस्प बात यह है कि जीत का फासला हजार दो हजार से ज्यादा का नही रहा है। केजरीवाल 1100 और सिसोदिया को 600 वोट से हार का सामन करना पड़ा है।
अब पंजाब की सरकार पर भाजपा की नजरें
दिल्ली विधानसभा के चुनावों असर पंजाब सरकार पर भी पड़ सकता है इस बात की चर्चा भी चल रही है। भाजपा कुछ न कुछ कर के वहां भी सरकार गिराने की साजिश कर सकती है। वैसे वहां ढायी साल से आम आदमी पार्टी की प्रचंड बहुमत की सरकार है जहां सीएम भगवंत मान है। वहां भी मान सरकार हिचकोले खा रही है। वहां भी आम आदमी पार्टी का नेतृत्व परिवर्तन की फिराक में है। भाजपा वहां भी सत्ता बदलाव की फिराक में दिख रही है। इस मामले में भाजपा को महारत हासिल है। महाराष्ट्र में वो ऐसे कारनामे करने में सफल हुई है। अब यह कहा जा सकता है कि केजरीवाल को पार्टी के साथ पंजाब की सरकार को बचाना होगा।
केजरीवाल ने चुनाव आयोग को चेताया
सात फरवरी की शाम को संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग से मिलकर यह शिकायत दर्ज करायी थी कि उनकी पार्टी के विधायकों को पार्टी से छोड़ने के फोन आ रहे हैं। विधायकों की खरीदफरोख्त के लिये 16 करोड़ की पेशकश की गयी है। पहले ही घपले की आशंका जतायी अलावा आम समर्थक वोटरों के नाम काटने का भी आरोप भाजपा पर लगाया था। लेकिन इस बात पर चुनाव आयोग ने कोई ऐक्शन लिया था। इंडिया ब्लाक ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाया है कि उसने हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। महाविकास अघाड़ी की प्रेसवार्ता में राहुल गांधी ने कहा कि अप्रैल से नवंबर के बीच महाराष्ट्र में 70 लाख वोट कैसे बढ़ गये इस बात का जवाब चुनाव आयोग नहीं दे पा रहा है।
खरीदफरोख्त में एसीबी ने शिकायतकर्ता पर शिकंजा कसा
यह मामला जैसे ही चर्चा में आया वैसे ही होम मिलिस्ट्री की तरफ से एसीबी मामले की जांच के लिये ऐक्टिव कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि एण्टी करप्शन विभाग ने इस मामले की जांच के लिये तीेन टीमें गठित कर आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल से घंटों पूछताछ की। इसके अलावा एक टीम ने सांसद संजय सिंह के घर ही पहुंच गयी। यह मामला इतना दिलचस्प है कि एसीबी ने शिकायत करने वालों को ही जांच के लिये पूछताछ शुरू कर दी है। लेकिन आरोपी भाजपा के प्रति कोई नोटिस या पूछताछ को नहीं बुलाया है।
क्या ये वजह रही आप के हार की
आम आदमी पार्टी अपनी सत्ता के बचाव के लिये भाजपा की राह पर चलने लगी। धर्म के सहारे वो चुनाव जीतने को कमर कस चुकी थी। चुनाव के पहले अरविंद केजरीवाल ने सिख और पंडितों को साधने के लिये आर्थिक मदद करने की घोषणा की। दूसरी ओर दिल्ली सरकार ने मौलानाओं के मिलने वाली आर्थिक मदद को भी रोक दिया। इससे मुस्लिम समाज ने भी आप से दूरी बनाने का मन बना लिया। शाहीन बाग में चल रहे लंंबे मोर्चे के प्रति केजरीवाल और आप ने चुप्पी साधे रखी। शाहीन बाग में सीएए औश्र एनआरसी के खिलाफ धरने में शामिल लोगों को दिल्ली पुलिस ने गंभीर ने धाराओं में जल में बंद कर दिया। बहुत सारे लोग आज भी जेल में सड़ रहे हैं। ऐसे में ओवैसी ने इस चुनाव में अपने दस उम्मीदवारों को मुस्लिम समुदाय बाहुल्य इलाकों में उतार कर आप की परेशानियां बढ़ा दीं। यही वजह रही कि इन इलाकों में भी भाजपा उम्मीदवार जीत गया। कांग्रेस ने पुराने जख्मों को याद कर अरविंद केजरीवाल और आप के उम्मीदवारों को हराने में अहम् रोल प्ले किया।
इस बात पर पूरे देश में यह चर्चा हो रही है कि कांग्रेस ने ऐसा कर के भाजपा को जिताने में काफी मदद की है। दो प्रतिशत वोट कांग्रेस को मिले हैं जिससे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत को हार में बदल दिया है। कांग्रेस अब यह कह रही है कि आप को जिताने की जिम्मदारी कांग्रेस ने नहीं ले रखी है। दरअसल 2013 में जब आप ने 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब लोगों ने कहा कि यह सब वोट आप ने कांग्रेस के हिस्से से चुराये हैं। उसके बाद 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त चुनावी जीत हासिल की। वहीं कांग्रेस का वोट खिसक कर आप में चला गया। अरविंद केजरीवाल ने 2013 में सीएम शीला दीक्षित को भारी मतों से हराया था। उसके बाद से दिल्ली में कांग्रेस का जनाधार कम होता चला गया। पिछले पांच बार से कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका है। शायद यही वजह रही कि उसने इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की लुटिया डुबो कर बदला लिया है।