अश्विनी वैष्णव और विदश मंत्री एस जयशंकर को भी निशाने पर
यूनियन बजट पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने मौजूदा केन्द्र सरकार को बुरी तरह सवालों के घेरे में ला दिया।

After Hindenberg research Indian Govt. is trying to find out solution for news ecomic crises

उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के साथ रेवले मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव और विदश मंत्री एस जयशंकर को भी निशाने पर रखा। उन्होंने यूएसए से भारत भेजे गये अप्रवासी भारतीयों के साथ की गयी अमानवीय यातना भरी 40 घंटों की यात्रा पर एनडीए सरकार और विदेश मंत्री एस जयशंकर को लताड़ लगायी। जानवरों की तरह भर कर इंडिया भेजा गया। इस बात का भारत सरकार ने यूएसए की इस कार्रवाई का विरोध क्यों नहीं जताया। इन अप्रवासी भारतीयों को अमेरिका के मालवाहक विमान में क्यों भीेजा गया। भारत सरकार ने समय रहते उनकी समस्या का निदान क्यों नहीं किया। उन्होंने उनसे पूछा कि जब उनकी जानकारी में 104 यात्रियों के भारत भेजने की जानकारी थी तो भारत सरकार और विदेश मंत्री ने उनकी ससम्मान भारत वापसी के लिये कोई व्यवस्था क्यों नहीं की गयी। यह सवाल पूछते हुए सांसद ने 140 करोड़ भारतीयों के आत्मसम्मान पर ठेस लगने की बात कही। श्री चड्ढा ने यह भी कहा कि भारत देश एक तरफ विश्व गुरु होने की दुहाई दे रहा है वहीं उसके देश के नागरिकों को अमेरिका से कैदियों की तरह हाथ में हथकड़ी और पैरौं में बेडियां डाल कर भेजा। क्या भारत के 140 करोड़ लोगों की इज्जत और सम्मान को ठेस नहीं लगी है। इससे देश के पीएम मोदी के सम्मान से जोड़ कर नहीं देखना चाहिये।
केन्द्र सरकार व विदेश मंत्री की नाकामी का परिणाम
सदन में इस बात की चर्चा रही कि भारत सरकार और विदेश मंत्री की लापरवाही और नाकामी की वजह से देश के 104 अप्रवासी भारतीयों को जिनमे 25 महिलाएं शामिल थीं। इन सभी लोगों को अमेरिकन ट्रंप सरकार ने मालवाहक जहाज में भूसे की तरह भरकर भारत भेज दिया। अफसोस की बात तो यह है कि अमेरिका की इस कार्रवाई की जानकारी भारत सरकार और विदेश मंत्रालय को थी। इसके बावजूद देश के नागरिको को इतनी दर्दनाक यात्रा का सामना करना पड़ा। कहने को तो मोदी सरकार विकसित भारत और विश्व गुरु होने का राग अलापते हैं। लेकिन जब विदेश में भारतीय नागरिक किसी परेशानी में पड़ते हैं तो सरकार और विदेश मंत्री हाथ खड़े कर देते हैं। देश की 140 करोड़ की जनता सरकार से सवाल कर रही है कि हमारे परिवार के लोगों के साथ अमेरिका ने अमानवीय बर्ताव क्यों किया तो मोदी और विदेश मंत्री बगलें झांक रहे हैं। जानकारी हो कि अमेरिका सरकार 18 हजार से अधिक अप्रवासी भारतीयों को भारत भेजने की तैयारी में है। इस बात से देशवासी परेशान हैं कि क्या उनके साथ भी अमेरिका ऐसे ही अमानवीय तरीके से भारत भेजा जायेगा। इस बारे में केन्द्र सरकार ने कोई आश्वासन नही दिया है।
अब तक की सबसे निकम्मी केन्द्र सरकार
पिछले दस सालों में यह दिख रहा है कि वर्तमान मोदी सरकार विदेश मामलों में सबसे नकारा और उदासीन सरकार साबित हुई है। आसपास के लगभग सभी देशों से भारत के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान नेपाल और चीन से छत्तीस का आंकड़ा है। यूएसए से भारत के संबंध जो बाईडेन के समय तक ठीक थे। लेकिन जब से डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार यूएसए की सत्ता संभ्ज्ञाली है तब से वहांका माहौल भारतवासियों के लिये परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। पीएम मोदी और टंप की दोस्ती के किस्से दुनिया भर में जगजाहिर थे। ये वही ट्रंप हैं जिनकी जीत के लिये नरेंद्र मोदी ने न केवल अमेरिका में अब की ट्रंप सरकार के नारे लगवाये थे बल्कि भारत में हाउडी मोदी और नमस्तें ट्रंप का आयोजन कराया था। कोराना के समय ट्रंप परिवार ने भारत का दौरा किया था। इस दौरे में मोदी सरकार ने सैकड़ों करोड़ खर्च किये थे। इतना ही नहीं डोनाल्ड ट्रंप की जीेत के लिये भारत में अनेक जगहों पर धार्मिक अनुष्ठान और यज्ञ कराये गये। एक बात तो यह माननी चाहिये कि पीएम मोदी बहुत ही बड़ी खूबी है मौकापर​स्ती है। जब ट्रंप सत्ता से बाहर थे तब मोदी ने उनको तवज्जो नहीं दी। ये बात ट्रंप को खटक गया और फिर से सत्ता में आने के बाद उन्होंने भारत और सरकार के प्रति रवैया बदल गया है।
शपथ ग्रहण समारोह में मोदी को निमंत्रण नहीं
यूएसए में अमेरिका के नये राष्ट्रपति ट्रंप ने दूसरी बार सत्ता की कमान संभाली और 20 जनवरी 2025 शपथ ली। दूनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाया गया है। लेकिन इस ऐतिहासिक मौके पर ट्रंप प्रशासन ने भारत के पीएम मोदी को निमंत्रित नहीं किया। इससे भारत सरकार और पीएम मोदी को जबरदस्त झटका लगा। इतना ही नहीं देश के नामचीन उद्योगपति मुकेश अंबानी को पत्नी समेत ओथ सेरेमनी में बुलाया गया।

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