मोदी सरकार की नाक के बाल रहे मुख्य चुनाव आयुक्त
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं। मई 2022 भारत सरकार ने उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त किया था

18 फरवरी को वो इस पद से रिटायर हेा जायेंगे। 2020 में रिटायर कर दिये गये थे। पिछले तीन सालों से बी राजीव कुमार ईसी के पद पर तैनात थे। राजीेव कुमार सरकार के लिये काफी महत्वपूर्ण और खास करीबियों माने जाते हैं।
राजीव कुमार ने शिक्षा विभाग में भी अहम जिम्मेदारी संभाली है। लेकिन पिछले तीन सालों में विपक्षियों के निशाने पर राजीव रहे हैं। उन पर देश के राजनीतिक दलों के आरोपों से राजीव कुमार घेरे गये हैं। कांग्रेस ने सीईसी राजीव कुमार पर सत्ता धारी दल के इशारों पर काम करने का गंभीर आरोप लगाया है। कांग्रेस के आरोप के अनुसार मोदी सरकार और भाजपा के इशारों पर चुनाव कार्यक्रम तय करने का भी आरोप लगाया है। इंडिया ब्लाक के सभी दल के नेता यह भी कहते हैं कि चुनाव आयोग विपक्षी दलों के नेताओं पर आचार संहिता के नियम कायदे का हथौड़ा चलता है। वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार और भाजपा पर चुनाव आयोग नरमी बरतता है। आचार संहिता का उल्लंघन करने पर भी सत्ताधारी दल के नेताओं पर कोई ऐक्शन नहीं लिया जाता है। आप नेता और संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तो राजीव कुमार पर यह आरोप लगा दिया कि रिटायरमेंट के बाद अपने लिये सुखद रोजगार की फिराक में हैं। वैसे यह तो जनता को भी दिख रहा है कि चुनाव आयोग समेत अनेक आटोनोमस संस्थाएं सरकार के इशारों पर नाच रही हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में विवादित सीईसी
देश में चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराने की जिम्मेदारी जिस भारतीय निर्वाचन आयोग पर है, उसका नेतृत्व करने वाले मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार का झारखंड-बिहार की धरती से गहरा नाता रहा है। बिहार-झारखंड कैडर के आईएएस के रूप में उन्होंने अपने सेवा काल के लगभग 17 साल का वक्त यहां गुजारा है। वह तीन साल से भी ज्यादा वक्त, 1993 से 1 जून 1996 तक, रांची के उपायुक्त भी रहे हैं।
उनके साथ काम कर चुके एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त अफसर बताते हैं कि राजीव कुमार जिस वक्त रांची के उपायुक्त बने थे, उस समय यहां विधि-व्यवस्था को लेकर बड़ी चुनौतियां थी, लेकिन उन्होंने कई जटिल मसले अपनी प्रशासनिक सूझबूझ से बखूबी सुलझाया। राजीव कुमार 1984 बैच के मूल रूप से बिहार कैडर के आईएएस रहे हैं। वर्ष 2000 में नया राज्य बनने के बाद उन्होंने झारखंड कैडर चुना था।
झारखंड में काफी दिनों तक अनेक विभागों में पोस्टेड रहे
2000 में वह यहां कार्मिक विभाग में निदेशक, प्राथमिक शिक्षा विभाग में निदेशक और 2000 से 2001 तक उद्योग विभाग के निदेशक के रूप में पदस्थापित रहे। बिहार-झारखंड में अपने सेवा काल में राजीव कुमार एसडीएम, एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर), डीडीसी, डीएम और सचिव आदि पदों पर रहकर शासन-प्रशासन को मजबूती देने में जुटे रहे. इसके बाद वह 2020 में सेवानिवृत्ति तक ज्यादातर समय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे।
4 साल तक झारखंड भवन के रेजिडेंट रहे
बीच में वर्ष 2008 से 2012 वह नई दिल्ली स्थित झारखंड भवन में एडिशनल रेजिडेंट कमिश्नर और रेजिडेंट कमिश्नर के पद पर भी पोस्टेड रहे। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में वित्त सचिव के तौर पर बैंकिंग सुधारों के लिए उन्हें उल्लेखनीय तौर पर याद किया जाता है। राजीव कुमार का जन्म 19 फरवरी 1960 को यूपी में हुआ। वे लोक नीति में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। उन्होंने बीएससी, एलएलबी, पीजीडीएम और सहित कई शैक्षणिक डिग्रियां हासिल की।
अनेक क्षेत्रों में प्रतिभा दिखा चुके हैं राजीव कुमार
उन्हें सोशल सेक्टर, पर्यावरण और वन, मानव संसाधन, वित्त और बैंकिंग के क्षेत्र में कार्य करने का लंबा अनुभव प्राप्त है। पहले राज्य और फिर केंद्र में रहकर उन्होंने कई मंत्रालय संभाले। वह कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग में स्थापना अधिकारी के अलावा व्यय विभाग में संयुक्त सचिव और जनजातीय कार्य मंत्रालय, पर्यावरण और वन मंत्रालय में सचिव रह चुके हैं।
शेल कंपनियों पर जबरदस्त ऐक्शन लिया
उन्होंने शिक्षा विभाग में भी अहम जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने 2017 और 2020 के बीच वित्त मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान शेल कंपनियों पर कार्रवाई शुरू की और तीन लाख से अधिक ऐसी कंपनियों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए। राजीव कुमार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को व्यवस्थित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राजीव कुमार 15 मई 2022 से भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और उनका यह कार्यकाल फरवरी 2025 में समाप्त होगा।