देश में कोरोना का कहर बुरी तरह टूट रहा है। हालात इतने ज्यादा खराब हो गये हैं कि अब तक के रिकार्ड संक्रमण लोगों की संख्या 1 लाख से अधिक 24 घंटों के भीतर आये हैं। अब लोग इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि देश में कोरोना का प्रकोप जारी है लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार सिर्फ चुनाव प्रचार में जुटी हुई है। पिछले 15 दिनों से कोविड 19 का संक्रमण दिन ब दिन तेज गति से बढ़ रहा है। उसी दौरान देश के पांच प्रदेशों केरल, तमिलनाड़, पुडुचेरी असम और प बंगाल में असेंबली चुनाव शुरू किये गये हैं। यह चुनाव इलैक्शन कमीशन के आदेश पर कराये जा रहे हैं। केवल प. बंगाल मे आठ चरण में चुनाव होने हैं जिनमे ंदो चरण के चुनाव हो चुके हैं। लोग इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं कि प. बंगाल में आठ चरणों में चुनाव कराना कहां तक तर्क संगत है। विपक्षी दलों की मानें तो मोदी सरकार के इशारे पर ही पं बंगाल में आठ चरण में चुनाव कराये जा रहे है।
अब यह भी चर्चा में है कि इस कोरोना के गंभीर समय में जितना केन्द्र सरकार को बचाव के लिये सजग और जागरूक करना चाहिये वो नहीं हो रहा है। मोदी सरकार पर यह भी आरोप लग रहा है कि बीजेपी और केन्द्र की मोदी सरकार की दिलचस्पी कोरोना से निपटने में कम पांच प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनाव में ज्यादा है। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह, जेपी नड्डा, और ढेर सारे केन्द्रीय मंत्रियों समेत सांसद चुनावी रण में कूदे हुए है। राजनीतिक रैलियों और जनसभाओं में उमड़ रही भीड़ को लेकर लोग भी चर्चा करने लगे हैं कि कोरोना केवल आम आदमी के लिये ही है। गृहमंत्रालय की विशेष गाइडलाइंस राजनीतिक कार्यक्रमों पर लागू नहीं हो रहे हैं। यह भी मान जा रहा है कि कोरोना का संक्रमण बढ़ाने में राजनीतिक दलों की गतिविधियां की अहम् भूमिका है।