विश्व के साथ भारत में भी कोरोना ने अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है। विज्ञानियों और डाक्टारों की मानें तो कोरोना अपने सबसे खतरनाक रूप में आ गया है। यह अब सामुदायों में प्र्वेश कर रहा है। यह माना जाता है कि कोरोना खांसने, छींकने से संक्रमण फैलाता है। अब यह देखा जा रहा है कोरोना के शिकार डाक्टरों और मेडिकल स्टाफ होते ेखे जा रहे हैं। विश्व भर के वैज्ञानिक और संस्थान कोरोना से निपटने के लिये वैक्सीन खोजने में जुटे है। भारत में भी आईसीएमआर इस दिशा में युद्ध स्तर पर प्रयासरत हैं।
सीडीसीकोरोना के बारे में एक बहुत खतरनाक बात का पता चला है। मरीज़ के खांसने, छींकने से फैला कोरोना वायरस मौत बनकर डॉक्टरों और बाकी गैर संक्रमितों का पीछा करता है।
अमेरिका की सेंटर फ़ॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने पाया है कि कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टरों के जूते की सोल में चिपककर कोरोना अस्पताल के अलग हिस्सों में पहुँच रहा है। सीडीसी ने वुहान में यह स्टडी की थी। पता चला कि ICU फ्लोर पर लिए गए 94% और जनरल वार्ड में मिले 100% सैंपल कोरोना पॉजिटिव थे। डॉक्टरों के जूतों की तली में मिले आधे सैंपल कोरोना के थे, जो एक वार्ड से दूसरे वार्ड में फैले। यहां तक कि अस्पतालों की फार्मेसी में भी कोरोना वायरस पहुंचे थे।
अब जरा भारतीय अस्पतालों के बारे में सोचिए। चीन की स्टडी को ध्यान में रखें तो आइसोलेशन वार्ड से जनरल वार्ड में वायरस संक्रमण में ज़रा भी देरी नहीं होगी। तो फिर फुल बॉडी PPE, मास्क, सैनिटाइजर भी कोरोना के फैलाव में फेल है। दुआ करें कि अव्वल तो अस्पताल जाने की नौबत ही न आए। अगर जाना ही पड़े तो जूतों का खास ध्यान रखें। जूते कहीं कोरोना के पब्लिक कैरियर न बन जाएं। वरना हवन का सहारा लेना पड़ेगा।
Report by
Saumitra Roy