जानें, कहां तक पहुंची कोरोना वैक्सीन की खोज?
हाइलाइट्स
- इस महीने के अंत तक उपलब्ध हो सकती है रेमडेसिवीर दवा
- कोरोना वायरस के खिलाफ रामबाण इलाज मानी जा रही है यह दवा
- DCGI से मिल चुकी है एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिवीर को मंजूरी
नई दिल्ली
Covid-19 के खिलाफ जंग में बड़ा हथियार माने जा रहे रेमडेसिवीर (remdesivir) के इस महीने के अंत तक मार्केट में पहुंच जाने की उम्मीद है। भारतीय ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने हाल ही में कोरोना मरीजों के लिए इमर्जेंसी केस में इस दवा के उपयोग की अनुमति दी थी।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में ही तैयार रेमडेसिवीर जल्द ही उपलब्ध होगा। ‘रेमडेसिवीर ‘ इंजेक्शन एंटी वायरल इंजेक्शन है। यह इंजेक्शन SARS और MERS-CoV जैसी बीमारी के लिए पर कारगर साबित हुआ है, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक बहुत संभावना है कि यह कोरोना पर भी असरकारक साबित होगा।
भारतीय ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI), वीजी सोमानी ने कुछ दिनों पहले ही कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिवीर के उपयोग की अनुमति दे दी थी। यह जानकारी हेल्थ मिनिस्ट्री के जॉइंट सेक्रेट्री लव अग्रवाल ने दी थी। हालांकि डीसीजीआई की तरफ से इस बात को पूरी तरह साफ किया गया है कि रेमेडिसिवर का उपयोग केवल आपातकालीन स्थिति में ही किया जा सकता है।
Institute Of Medical Biology फेज 1
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चीन की मेडिकल साइंस रिसर्च एकेडमी वैक्सीन को डेवलप करने में जुटी हुई है। इससे पहले इस संस्थान ने पोलियो और हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों की वैक्सीन तैयार की है। ये संस्थान कोरोना वायरस वैक्सीन के पहले चरण के ट्रायल की ओर बढ़ चुका है।
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मई में इस अमेरिकन कंपनी ने एक स्टडी से पाया कि डीएनए बेस्ड वैक्सीन एंटीबॉडीज प्रोडक्ट ज्यादा कारगर होगा। इस कंपनी का पहले फेज का ट्रायल किया जा रहा है। यूएस में इसका पहले फेज का ट्रायल चल रहा है और साउथ कोरिया में जून आखिरी तक पहले फेज का ट्रायल खत्म हो जाएगा।
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सिसोवैक कंपनी चीन की प्राइवेट कंपनी है। 13 जून को इस कंपनी ने ऐलान किया था कि ये फेज 1 और 2 तक पहुंच चुकी है। ये चीन बेस्ड कंपनी है और ब्राजील के साथ मिलकर वैक्सीन पर काम कर रही है। कंपनी का दावा है कि 743 वॉलिंटियर पर इसका ट्रायल किया गया है। ट्रायल ईस्टर्न चाइना के जिंग्यासू प्रोविंशल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेन्शन में किया गया। अब तक यहां 18-59 की उम्र के 743 स्वस्थ लोगों को शेड्यूल पर शॉट्स या प्लसीबो दिया जा चुका है। इसमें से 143 वॉलंटिअर पहले चरण में हिस्सा ले रहे हैं जिनमें वैक्सीन की सुरक्षा जांची जा रही है। इसमें वायरस के डेड स्ट्रेन का इस्तेमाल किया जा रहा है। करीब 90 प्रतिशत लोगों में इस वैक्सीन के पॉजिटिव परिणाम आए हैं। Sinovac के CEO वेइडॉन्ग यिन ने बताया कि पहले-दूसरे चरण में वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है और इम्यून रिस्पॉन्स पैदा कर रही है।
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यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी AstraZeneca मिलकर कोरोना वैक्सीन डेवलप कर रही हैं। वैक्सीन चिंपैंजी के एडिनोवायरस से बनी हैं। इंग्लैंड और ब्राजील में इसका ट्रायल दूसरे और तीसरे चरण में चल रहा है। कंपनी का दावा है कि अक्टूबर तक इमरजेंसी यूज के लिए इस वैक्सीन का प्रयोग कर रहे हैं।
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मॉडर्मा ने मई में आठ लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया है लेकिन बहुत अच्छा परिणाम हाथ नहीं लगा। अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना के वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल जुलाई में शुरू होने जा रहा है। अमेरिका के मैसाच्युसेट्स में स्थित बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना थेराप्यूटिक्स की यह वैक्सीन इंसानों की इम्यूनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता को कोरोना से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करेगी। तीसरे चरण में अमेरिकी कंपनी 30 हजार लोगों को यह वैक्सीन दी जाएगी। कंपनी का दावा है कि 2021 तक वैक्सीन आ जाएगी।
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Bacillus Calmette Guerin वैक्सीन 1900 से पहले से Tuberculosis से निपटने की वैक्सीन डेवलप की थी। ऑस्ट्रेलिया की ये कंपनी फेज 3 तक पहुंच चुकी है और कई अन्य ट्रायल भी चल रहे हैं। ट्रायल में ये देखा जा रहा है कि कोरोना वायरस को खत्म करने में ये वैक्सीन कितनी सार्थक है।
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चीन की ड्रग निर्माता कंपनी Sinopharm ने अपना पहले और दूसरे चरण का ट्रायल शुरू कर दिया है। कंपनी ने ऐलान किया है कि हर साल 200 बिलयन तक ये वैक्सीन वो बनाने में सक्षम हैं।
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Clover Biopharmaceuticals कंपनी प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन बना रही है। इस प्रोजेक्ट को यूके की ड्रग निर्माता कंपनी gsk डेवलप कर रही है। इस वैक्सीन के जरिए आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होगा जिससे कोरोना को हराने में मदद मिलेगी। ये अपने पहले चरण में हैं और जल्दी ही इसका दूसरा चरण भी शुरू हो जाएगा।
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नोवावैक्स कंपनी अमेरिकी कंपनी है। मई में वैक्सीन का दो लेवल ट्रायल हो चुका है। ये वैक्सीन प्रोटीन बेस्ड होगी। इस प्रोजेक्ट में 384 मिलियन डॉलर का बजट लगाया गया है।
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ये प्रोजेक्ट भी बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। BioNtech कंपनी जर्मनी की कंपनी है और यूएस की कंपनी Pfizer के साथ मिलकर वैक्सीन डेवलप कर रही है। इसके साथ चीन की ड्रग बनाने वाली कंपनी फोसन फार्मा भी साथ दे रही है। ये अपने पहले और दूसरे ट्रायल से गुजर रही हैं।
मरीजों में हुआ इंप्रूवमेंट
मरीजों पर किए गए तुलनात्मक अध्ययन में यह देखा गया कि जिन मरीजों को सिर्फ स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट दिया जा रहा है, उनकी तुलना में उन मरीजों में अच्छा इंप्रूवमेंट हुआ है, जिन्हें स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट के साथ रेमडेसिवीर की डोज लगातार 5 दिन तक दी गईं। इस दवा का कोर्स 5 दिन का है।
इबोला के लिए तैयार हो रही थी दवा
रेमडेसिवीर दवाई का ट्रायल इबोला वायरस के इलाज को ध्यान में रखकर किया जा रहा था। लेकिन यह दवा इबोला के उपचार में किए गए क्लिनिकल ट्रायल को पास नहीं कर पाई थी। इसके चलते इस दवाई को इबोला ट्रीमेंट के लिए उपयोग नहीं किया जा सका।
फाइल फोटो