
भारत में कोरोना के संक्रमितों की संख्या आज 1000 के पार पहुंच गई। देश में अबतक 31 लोगों की मौत हो चुकी है। तीन हफ्ते के लॉकडाउन का यह पहला सप्ताह है। पूरे देश में दहशत का माहौल बनता जा रहा है। सबसे ज्यादा बुरे हालात दिहाड़ी मजदूरों के हैं जिनके पास न तो काम है और न ही रहने खाने का ठिकाना। उनका मानना है कि वो कोरोना से बच गये तो क्या भुखमरी से मारे जायेंगे। वैसे केन्द्र सरकार ने 1.7 लाख करोड़ का राहत पैकेज देने का एलान किया है। दिलली सरकार ने भी अपनी हैसियत के अनुसार दिहाड़ी मजदूरों को राहत देने का प्रयास किया है लेकिन इन मजदूरों को केन्द्र व दिल्ली सरकार की राहत योजनाओं पर विश्वास नहीं हो पा रहा है इसीलिये बस अड्डों पर हजारों की संख्या पर जमा हो जा रहे हैं। लेकिन सरकार ने यह फैसला कर लिया है कि वो हर हाल मे लॉकडाउन सफल बना कर रहेंगे।
कई कॉल्स आ रहे हैं, आगे क्या होगा ? लॉकडाउन कब खुलेगा ? भारत की एक तिहाई जनसंख्या को हाइपरटेंशन है। 10 में से एक वयस्क को डायबिटीज है। भारत में पांच साल से कम उम्र के कुपोषित बच्चों की संख्या लाखों में हैं। कोरोना से सबसे ज्यादा खतरा इन्हें है। अमेरिका की सेंटर फॉर डिसीज डायनामिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी ने एक मॉडल बनाकर भारत में कोरोना के संक्रमण, फैलाव और इससे शिकार लोगों की संख्या का अनुमान लगाने का प्रयास किया है।
सीडीडीईपी का कहना है कि अप्रैल और मई इस वायरस के फैलाव का चरम काल होने वाला है। 20 से 40 लाख मरीज अस्पताल में दाखिल हो सकते हैं। चीन और इटली के मॉडल पर आधारित इस अनुमान को राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, जनगणना के डेटा को मिलाकर तैयार किया गया है। इसलिए आगे भी लॉकडाउन के लिए तैयार रहें।