22 मार्च से ही भारत में जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। एक दिन का जनता कफ्र्यू पीएम मोदी ने अपील करके लगवाया था। लेकिन उसके बाद भी कोरोना वायरस के संक्रमण पर कोई अंतर नहीं दिखा। लगातार संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी ही देखी गयी। इसके बाद शुक्रवार को एक बार फिर पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश देते हुए पूरे देश में 21 तालाबंदी करने की बात कही। इसके कारण सभी शहरों की सीमाएं सील कर दी गयी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचने का एक ही उपाय है सोशल डिस्टेंसिंग। उन्होंने लोगों से कहा कि इस बीच लोग किसी भी सूरत में घर से न निकलें क्योंकि अभी तक इस जानलेवा बीमारी का अभी कोई तोड़ नहीं निकल पाया है।
दिहाड़ी मजदूर अपने परिवारों के साथ पैदल ही जाने के लिये निकल पड़े। कुछ लोग तो रिक्शा पर ही अपने परिवार समेत सैकड़ों किमी दूर गांवों की आरे जाते दिखे। इनलोगों के पास न तो खाने को खाना था और न ही पीने को पानी। उस पर सुरक्षा बलों की सख्ती भी इन परेशान हाल लोगों के लिये परेशानियां बढ़ा रही हैं।
दिल्ली से सटे हरियाणा और यूपी के जिलों से कमाने आये लोगों की परेशानी यह है कि दिल्ली से उनका दाना पानी उठ चुका है लेकिन यूपी के अंदर जाना बड़ा मुश्किल है क्योंकि वहां सीमाएं सील कर दी गयी हैं साथ सुरक्षा बल किसी भी वाहन और आदमी को प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं। पिछले तीन चार दिनों के हातात देखते हुए यूपी सरकार ने अपने प्रदेश के लोगों के लिये परिवहन निगम की बसों को अंदर लाने का ऐलान किया था। कुछ बसों में भारी संख्या में लोग बैठ कर बुलंदशहर तक पहुंच भी गये लेकिन वहां सीमा पर तैनात पुलिसकर्मियों ने बसों को अंदर आने नहीं दिया। उन्होंने सरकार के पास को भी मानसे से इनकार कर दिया। इससे हजारों की संख्या में लोग बुलंदशहर के बार्डर के आस पास ही भूखे प्यासे जमा हो गये है। इस बात से साफ जाहिर है कि यूपी सरकार के विभागों में ही तालमेल का अभाव है कि एक विभाग का पास दूसरे विभाग मानने से इनकार कर रहा है। पिछले तीन चार दिनों में सीएम योगी ने अपने फैसलों से यूटर्न लेना पड़ा है।
मोदी की अपील का काफी प्रभाव देखा गया लेकिन देश के मजदूर और असहाय लोगों के लिये हालात काफी बुरे हो गये। जो जहां था वहां फंस कर रह गया। शहरों में मजदूरों के लिये काम नहीं रह गया। ऐसे में उनको भुखमरी का सामना करना पड़े लगा। वैसे केन्द्र व प्रदेश सरकारों को दावा सामने आय कि शहरों में दिहाड़ी मजदूरों के रहने और खाने पीने का इंतजाम किया जा रहा है। इसके लिये दिल्ली सरकार ने रैन बसेरों में मजदूरों व बाहर से काम करने आये लोगों के लिये दो टाइम के खाने की व्यवस्था की। लेकिन वहां के हालात इतने बुरे थे कि हजारों की तादाद में लोग खाना खाने पहुंच गये। सोशल डिस्टेंसिंग के सारे दावों की हवा निकल गयी।
हालात गंभीर होते देख दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों को रैन बसेरा बनाने का आदेश दे दिया है यहां पलायन कर रहे दिहाड़ी मजदूरों और असंगठित मजदूरों के रहने और खाने की व्यवस्था करने का कदम उठया है। साथ ही यह भी अपील कि कोई भी व्यक्ति दिल्ली छोड़े। सरकार उनके रहने सहने खाने पीने और जीवनयापन का इंतजाम करने को तत्पर है।