पिछले साल होली के पास बीजेपी ने कमलनाथ सरकार में सेंध लगाकर चैथी बार सत्ता हथिया ली थी। उन्होंने प्रदेशचायिों कोयह भरोसा दिलाया था कि प्रदेश में रामराज आ जायेगा चारों ओर सुख शांति की बंसी बजेगी। लेकिन यह बात सिर्फ खोखले वादे ही दिख रहे हैं। आम जनता तो छोड़िये वहां जज भी अपनी जान को सुरक्षित नहीं समझ रहे हैं। जज ने अपने एक फैसले में साफ लिखा है कि उनकी जान को प्रदेश की पुलिस और हत्या के आरोपी से खतरा है। जज ने सरकार को पत्र को लिखे 15 दिन से अधिक बीत चुकी है लेकिन सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।
दो साल पहले बीएसपी विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह ने कांग्रेस विधायक देवेंद्र चैरसिया की हत्या कर दी थी। देवेंद्र्र सिंह पहले बीएमस में थे। 2018 में वो बीएसपी छोड़ कर कांग्रेस में षािमल हुए थे। गोविंद सिंह पहले से ही आपराधिक प्रवृत्ति का था और उसके खिलाफ काफी मामले दर्ज थे। लेकिन पत्नी रामबाई के रसूख के कारण पुलिस और राजनीतिक माहौल उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से कतराती थी। पुलिस ने गोविंद सिंह पर 25 हजार का इनाम ऐलान किया था। देवेंद्र सिंह चैरसिया हत्याकांड गोविंद सिंह समेत 28 लोग नामजद थे। लेकिन जब मामला कांग्रेस एमएलए की हत्या का था तो पुलिस ने गोविंद सिंह को गिरफ्तार तो किया लेकिन उस पर सख्त कार्रवाई नहीं की और उसे कोर्ट से जमानत मिल गयी। पुलिस ने नामजद लेागों में से गोविंद सिंह का नाम हटाने की वजह से उसे कोर्ट से जमानत मिल गयी। लेकिन देवेंद्र चैरसिया के परिजनों ने पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। सबसे दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार होने के बावजूद गोविंद सिंह पर पुलिस इतनी मेहरबान रही। इसके पीछे कारण साफ था कि रामबाई का समर्थन कांगे्रस सरकार को था। रामबाई का नाम दबंग बीएसपी विधायकों में जाना जाता है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को स्पष्ट बहुमत न मिलने की वजह से समर्थन देने वाले विधायकों के सौ खून माफ करने पड़ रहे थे। उसी रामबाई ने पिछले साल बीजेपी का दामन थाम कर कांग्रेस की सरकार गिराने में अहम् भूमिका निभाई थी।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले की सुनवाई कर रहे जज ने पुलिस पर झूठे आरोप लगाने और अप्रिय घटाने कराने की आशंका जताई है । हटा के द्वितीय अपर सत्र न्यायालय में कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले की सुनवाई चल रही है । पथरिया से बीएसपी विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह मामले में मुख्य आरोपी हैं । मामले की सुनवाई कर रहे द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने स्वयं पर पुलिस द्वारा भविष्य में गंभीर मिथ्या आरोप लगाने और कोई अप्रिय घटना करने की आशंका जताई है।
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने एक ऑर्डर सीट में लिखा है कि जिस मामले की वे सुनवाई कर रहे हैं, इसकी कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर की जा रही है. मगर अभियुक्तगण अत्यधिक प्रभावशाली और राजनीतिक हैं। उनके खिलाफ माननीय जिला न्यायाधीश महोदय को आवेदन कर चुके हैं. जिसे जिला न्यायाधीश ने मिथ्या पाया और आवेदन भी निरस्त कर दिया। लेकिनअब अभियुक्तगण पुलिस के साथ मिलकर उनके खिलाफ झूठा और मनगढंत दबाव बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी भविष्य में उनके खिलाफ गंभीर मिथ्या आरोप लगा सकते हैं और कोई अप्रिय घटना की जा सकती है।. द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने इस प्रकरण को किसी अन्य न्यायालय में स्थानांतरित करने की अपेक्षा सत्र न्यायाधीश से की है।
मध्यप्रदेश में कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा मुझे नहीं मालूम किस परिपेक्ष्य में लिखा है लेकिन मप्र सुचारू रूप से चल रहा है। ये स्थिति कांग्रेस के वक्त जरूर थी. 15 महीने में अराजाकता का माहौल बनाया था, सरकार बचाने के लिये 15 महीने में लोगों को गिरफ्तार नहीं किया। हमने कभी किसी को संरक्षण नहीं दिया ना दिया जाएगा।