जुलाई माह में यूपी के आठ पुलिस कर्मचारियों की हत्या के आरोप में विकास दुबे की यूपी पुलिस कुत्ते की तरह पीछे पड़ गयी थी। आखिकार सातवें कुख्यात अपराधी ने यूपी पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए मध्यप्रदेश के महाकाल मंदिर परिसर में आत्मसमर्पण कर दिया उसे उज्जैन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दिलचस्प बात यह है कि जहां यूपी पुलिस का दावा था कि चप्पे चप्पे पर निगरानी कर रही है। विकास दुबे किसी भी सूरत में बच कर नहीं जा सकेगा। लेकिन यूपी की पुलिस हाथ मलते रह गयी और विकास हरियाणा से होते हुए मध्यप्रदेश के उज्जैन जा पहुंचा और महाकाल मंदिर में गया और उसने गार्ड से कहा कि वो विकास दुबे है यह बात मंदिर परिसर में एक बार नहीं कई बार चिल्ला कर लोगों बतायी कि वो कानपुर वाला गैंगस्टर विकास दुबे है। सूचना मिलने पर महाकाल मंदिर थाने की पुलिस मौेके पर पहुंची और विकास दुबे को अपने साथ ले गयी।
विकास दुबे ने 36 साल की उम्र में अपराध जगत में प्रवेश किया था। उसके बाद उसने ताबड़तोड़ आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हुए यूपी में तहलका मचा दिया था। यह कहना गलत न होगा कि विकास को अनेक राजनीतिक दलों का प्रश्रय मिला हुआ था। इतना ही नहीं उसके लिये पुलिस अधिकारी भी मुखबिरी करते थे। दो जुलाई की पुलिस रेड की भी जानकारी भी विकास को पहले से ही दे दी गयी थी। मुठभेड़ में विकास ने डिपटी एसपी समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी। तब से ही पुलिस अमला विकास को तलाश रही थी। इतने समय तक विकास आपरााधिक मामलों को अंजाम देता रहा वो बिना किसी सरपरस्ती के होना असंभव है। बहुत सी तस्वीरों में वो भाजपा के बड़े नेताओं और मंत्रियों के साथ काफी करीब देखा गया है। यहां तक कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ भी उसका फोटो वायरल हुआ है। यह भी कहा जा रहा है कि विकास यूपी के अपर गृह सचिव अवनीश अवस्थी और उनकी पत्नी मालिनी अवस्थी का करीबी रिश्तेदार था। ये भी एक वजह थी कि विकास पर यूपी की पुलिस काफी मेहरबान रहती थी। अब योगी से अवनीश अवस्थी को गृहसचिव पद से हटाने की मांग जोर पकड़ रही है।
विकास दुबे पहले यूपी में श्रीपकाश शुक्ला का भी इसी तरह का टैरर था। शुक्ला गोरखपुर का रहना वाला युवा तेज तर्रार रंगबाज था। पहले उसने गोरखपुर और आसपास के इलाकों में आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया बाद में उसने पूरे प्रदेश में लूटपाट और हत्याओं को अंजाम दिया। उन दिनों गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी की तूती बोलती थी। तिवारी के कहने पर ही रेलवे के टेंडर और अन्य ठेके दिये जाते थे। ऐसे में श्रीप्रकाश ने तिवारी से रंगदारी वसूलने की हिमाकत दिखा दी। इतना ही नहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भी जान से मारने की धमकी श्रीप्रकाश ने दे डाली थी।
माफिया डान तिवारी और उसके बाद यूपी के सीएम को मारने की धमकी देने से सूबे की सरकार और माफियाजगत श्रीप्रकाश के खिलाफ हो गया। सितंबर 1998 में श्रीप्रकाश शुक्ला को यूपी एसटीएफ ने गाजियाबाद दिल्ली हाई वे पर मुठभेड़ में मार गिराया था। विकास की तरह श्रीप्रकाश शुक्ला को भी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। जिसकी वजह से उसने बहुत ही कम समय में क्राइम जगत में खासी पहचान बना ली थी।