लॉक डाउन के कारण देश के कारखानों और फैक्ट्रीज में काम धधे ठप चल रहे है। केन्द्र सरकार के इशारों पर प्रदेश सरकारों ने उद्योग धंधों और कारखाना मालिकों को सहूलियतें देने का मन बना लिया है। इसके लिये सरकारों ने चुपचाप श्रम कानूनों में बदलाव कर लिया है। इनके तहत कारखाने और फैट्री मालिकों को यह छूट दी गयी है कि वो मजदूरों के हितों की अनदेखी कर सकते है। केन्द्र व प्रदेश सरकारों के इस आदेश के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने विरोध जताया है। उनके केन्द्रीय नेतृत्व ने यह ऐलान किय है कि उनके बड़े नेता जल्द ही अन्य मुख्यमंत्रियों से इस मुद्दे पर बात करेंगे।
कोरोना के कहर से जूझ रहे देश और सरकार ने आर्थिक हालात सुधारने के लिये कारखान व फैक्ट्री मालिकों कारखाने चलाने की अनुमति दी है। जिससे देश के आर्थिक हालात सुधर सकें। इसके लिये उन्होंने फैक्ट्री व कारखाना मालिकों को उन बातों से मुक्त करने का आश्वासन दिया है जिनमें मजदूरों की सेहत और सुरक्षा की बात कही गयी है। सरकारों ने श्रम कानूनों में निर्देशित व्यवस्थाओं और निर्देशों को कमजोर कर दिया है जिससे मजदूरों की सेहत और सुरक्षा व्यवस्था से कारखाना और फैक्ट्री मालिको को छूट मिल सकती है।
आरएसएस से जुड़ी भारतीय मजदूर संघ ने सरकारों के इस आदेश पर भड़कते हुए कहा कि सरकारों को बताना होगा कि मजदूरों की सुरक्षा व सेहत का मुद्दा किस कानून के तहत हटाया गया है। मजदूरों की सेहत और सुरक्षा व्यवस्था से किसी भी सूरत में समझौता बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इस संबंध में बीएमएस के दिग्गज नेताओं ने गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर श्रम कानून में बदलाव का विरोध भी जताया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना जैसी महामारी के दौरान मजदूरों के हितों की अनदेखी करना किसी भी सूरत में ठीक नहीं है सरकार का यह आदेश किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जायेगा।