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आज मैं ऐसे विषय पर लिखने चर्चा करने बैठा हूं जो दुनिया के हर आदमी और औरत से जुड़ा है। क्यों कि हर व्यक्ति बाजार से सामान खरीदता है। आप कहेंगे इसमें नया क्या है। आज से दस साल पहले भी होता था। लेकिन आजकल हम लोग जो भी जो भी सामान खरीदते हैं वो विज्ञापन के कारण खरीदा जाता है। इस पर सब में टीवी का बहुत ही बड़ा हाथ है। पहले टीवी कुछ समय के लिये प्रोग्राम बनाता था। कुछ समय के कार्यक्रम में बहुत थोड़े समय तक घर परिवार के लोग टीवी देखते थे। विज्ञापन भी बहुत कम देखने को मिलते थे। लेकिन आजकल 24 घंटों में टीवी देखा जाता है। चैनल्स की संख्या भी कई सौ हो गये हैं। समाज के हर वर्ग की जरूरत और पसंद के हिसाब से चैनल्स कार्यक्रम तैयार किये जाते हैं। आज के समय में तो युवा वर्ग सिर्फ चकाचौंध और आाधुनिकता की अंधी दौड़ में लगातात भाग रहा है। विज्ञापनों के आधार पर बने ब्रांड को खरीदने की होड़ में युवा अपनी शान समझते हैं। युवा ऐड में मॉडल को प्रोडक्ट का विज्ञापन करते देख कल्पना की उड़ान भरने लगते हैं। वो विज्ञापन में दिखाये जाने वाला प्रोडक्ट आंख बंद कर खरीदने को बेताब हो जाता है। यही हाल घरेलू महिलाओं का है टीवी सीरियल में काम करने वाली ऐक्ट्रैस के कपड़े जेवर और कॉस्मेटिक की दीवानी हो कर वैसे ही साड़ी कपड़े और जेवर की खरीदारी करने के लिये बाजार में डिमांड पैदा करती है। ऐसे में उनके घर का बजट भी बिगड़ जाता है। इस बात की चिंता घरेलू महिलाओं को बिल्कुल नहीं होती है। घर का माहौल भी तनावपूर्ण हो जाता है।
सारा खेल टीआरपी और रेवेन्यू का
इन चैनल्स की मंशा है कि उनके टीवी चैनल की मंशा रहती है कि उनकी टीआरपी सबसे बेहतर होनी चाहिये। यही वजह है कि बहुत सारे टीवी चैनल्स पर सास बहु की मसालेदार सीरियल दिखाये जाते हैं। यह टीवी सीरियल प्राइम टाइम में दिखाये जाते हैं जब घर पर रहने वाली औरतें फ्री होती हैं। इसी बात का फायदा उठाने के लिये इन धारावाहिकों का पुन: प्रसारण अगले दिन दोपहर को किया जाता है। इन सीरियल्स की अच्छी खासी टीआरपी होती है। इसी को आधार मानकर मार्केटिग कंपनियों टीवी पर ऐड देती हैं जिससे टीवी चैनल्स का रेवन्यू बेस करता है। अब आती है असली मुद्दे की बात। कैसे आम लोग इन टीवी चैनल्स पर दिखाये जा रहे उत्पादकों को देख कर आम दर्शक प्रभावित होता है। हमारे देश में विज्ञापनों पर नियंत्रण करने वाली संस्था तो है लेकिन लगता नहीं कि टीवी चैनल्स चल रहे भ्रमाक विज्ञापनों को नियंत्रित भी किया जा रहा है। ऐसा होने पर बहुत सारे उत्पादको के विज्ञापन बिना प्रमाणिकता के देश भर के टीवी चैनल्स चलाये जा रहे है। ऐसा होने से टीवी दर्शकों के विश्वास के साथ खिलाड़ कर रहे हैं। गैर प्रमाणिक व उत्कृष्ट उत्पादकों को जन सामान्य जाने अनजाने खरीदने को मजबूर हो जाता है। आजकल पैसा कमाने की होड़ लगी है इसके लिये वो अनैतिकता के बारे में कतई नहीं सोचता है। झूठ सच बोल कर अपना प्रोडक्ट बेचना चाहता है। हर कोई रुपया बनाने की अंधी दौड़ में दिनरात दौड़ रहा है।
कितने बेवकूफ हैं हम सभी लोग
जब कभी भी हम लोग अपना पसंदीदा टीवी सीरियल या प्रोग्राम को देखते हैं तो हर दो तीन मिनट के बाद ऐड दिखाये जाते हैं। हम सभी लोग उस ऐड के प्रेसेंटेशन से इतने ज्यादा प्रभावित हो जाते हैं कि उस प्रोडक्ट को खरीदने का मन बना लेते हैं। यह नहीं सोचते कि विज्ञापन में जो भी बताया जा रहा है वो प्रमाणिक है भी या नहीं।विज्ञापनों में तो खूबसूरत और फेमस कलाकार या पर्सनैलिटी वालादिखाया जाता है जो प्रोडक्ट का बखान करता है। बस हम यहीं पर मात खा जाते हैं। हम दिमाग से नहीं दिल से काम लेते हैं। हमें यह नहीं समझ में आता कि विज्ञापन कर रहे अभिनेता या मॉडल को तो इस काम के लिये हजारों लाखों रुपये मिलते हैं। न तो वो कभी विज्ञापन वाले प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं और न वो प्रोडक्ट की कोई जिम्मदारी ही लेता है। लेकिन हम लोग उस सेलिब्रिटी से इंप्रेस हो कर बाजार जा कर विज्ञापन वाले प्रोडक्ट को खरीदने को बेताब हो जाते है। ऐसे प्रोडक्ट खरीदने में आदमियों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा उतावली होती हैं। आजकल औरतें उन उत्पादों को खरीदने में ज्यादा उत्सुक होती हैं जो टीवी सीरियल में अभिनेत्रियां पहने दिखती हैं। इन चैनल्स पर साड़ी, ज्चैलरी और कास्मेटिक प्रोडक्ट्स के विज्ञापनों की भरमार होती है। ऐसे समय में दिखाये जाने वाले टीवी सीरियल से महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। ऐसे समय में ज्यादातर घरों में औरतें घर पर अकेली होती हैं। घर के मुखिया या कमाने वाले लोग काम पर या दुकान पर चले जाते हैंं। सामान्य परिवारों की महिलाओं को समझना चाहिये कि टीवी पर जो ऐक्टै्रस जो भी कपड़े या ज्वैलरी पहनती हैं वो उन्हें कुछ देर शूटिंग करने के लिये होती हैं। उनका काम ही टीवी ग्लैमरस दिखने का होता है। जिसके लिये प्रोड्यूसर की तरफ से उन्हें लाखों रुपये का महनताना देता है। जब कि सामान्य घरों की महिलाओं को घर की पूरी जिम्मेदारियों को भी निभाना होता है।